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शिवसेना के मुखपत्र सामना में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (Narayan Rane) पर खूब हमला बोला गया है. बता दें कि सीएम उद्धव ठाकरे पर बयान देने को लेकर महाराष्ट्र में खलबली मची है, यहां तक कि नारायण राणे की गिरफ्तारी भी हुई हांलाकि उन्हें जल्द ही जमानत भी मिल गई. सामना के संपादकीय में लिखा है-
एडिटोरियल में आगे लिखा है- ये उन्होंने स्वयं ही घोषित किया, ‘मैं नॉर्मल इंसान नहीं’, ऐसा उन्होंने घोषित किया. फिर वे अॅबनॉर्मल हैं क्या ये जांचना होगा. श्री मोदी के कैबिनेट में राणे अति सूक्ष्म विभाग के लघु उद्योग मंत्री हैं. प्रधानमंत्री स्वयं को अत्यंत ‘नॉर्मल’ इंसान मानते हैं, वे स्वयं को फकीर या प्रधान सेवक मानते हैं, ये उनकी विनम्रता है. लेकिन राणे कहते हैं, ‘मैं नॉर्मल नहीं, इसलिए कोई भी अपराध किया तो मैं कानून के ऊपर हूं.’ राणे और संस्कार का संबंध कभी भी नहीं था, इसलिए केंद्रीय मंत्री पद का चोला ओढ़कर भी राणे ये किसी छपरी गैंगस्टर जैसा बर्ताव कर रहे हैं.
सामना में फड़णवीस पर वार करते हुए लिखा है- 'फड़णवीस-पाटिल के गले में राणे नाम का फटा हुआ गुब्बारा अटक गया है. इसलिए कहा भी नहीं जा सकता है, सहा भी नहीं जा सकता, ऐसी उनकी अवस्था हो गई है. ऐसे समय में संस्कारी राजनीतिज्ञ महाराष्ट्र से माफी मांगकर छूट गए होते. क्योंकि महाराष्ट्र की अस्मिता के सामने कोई भी बड़ा नहीं है. पर बीजेपी के लिए महाराष्ट्र की अस्मिता और मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा यह गौण विषय है. महाराष्ट्र में फिलहाल भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों का जनआशीर्वाद नाम की महामारी का फेरा शुरू है. वो मजाक का ही विषय बन गया है''
शरद पवार का जिक्र करते हुए आगे लिखा है- 'शरद पवार जैसे लोकप्रिय नेता पर निचले स्तर की भाषा में टिप्पणी करनेवाले लोग भी बीजेपी ने उधारी पर लिया है और ये लोग पवार पर भी अनर्गल हमला कर रहे हैं, एक बंदर के हाथ में दारू की बोतल थी. अब दूसरा बंदर भी बोतल लेकर कूद रहा है'. केंद्रीय मंत्री नारायण राणे द्वारा मुख्यमंत्री ठाकरे पर शारीरिक हमला करने की भाषा करने से महाराष्ट्र के संयम का बांध टूट गया है. इस मामूली व्यक्ति को शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाया, सर्वोच्च पद दिया, लेकिन बाद में ये महाशय शिवसेना की पीठ में खंजर घोंपकर चला गया.'
सामना में आगे लिखा है- महाराष्ट्र की राजनीति और सामाजिक वातावरण गंदा करने का काम बीजेपी ने शुरू किया है, राणे जैसे लोग आघाड़ी सरकार की स्थापना होने के बाद से रोज ही ठाकरे सरकार गिराने व गिराने की तारीख दे रहे थे. लेकिन सरकार दो साल का कालखंड पूरा कर रही है और संकट के समय भी सरकार लोकप्रिय साबित हुई है.
देश के पहले पांच कार्य सम्राट मुख्यमंत्रियों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री आए इसकी खुशी सभी को है. लेकिन बीजेपी के बाहरी और धर्मांतरित काबुल में तालिबानी विकृति की तरह मारामारी की भाषा करने लगे हैं, शिवसेना भवन पर हमला करने की डींग हवा में मिश्रित हो रही थी तभी कणकवली के चारों खाने चित नेताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर हाथ डालने की भाषा की है. बीजेपी के हाथ से महाराष्ट्र की सत्ता जाने का जिक्र करते हुए लिखा है-
सामना में लिखा है- प्रधानमंत्री के संदर्भ में कोई ऐसा विधान किया होता तो उसे देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल में ठूंस दिया होता. ‘नारोबा’ राणे का गुनाह उसी तरह का है. महाराष्ट्र में कानून का ही राज्य है और एक मर्यादा के बाहर जाकर इस बेलगाम बादशाह को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस कृत्य को दिखा देना यही वो समय है. भारतीय जनता पार्टी को इस बेलगाम बादशाह की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. प्रधानमंत्री मोदी ये बेलगाम सहन नहीं करेंगे.
मुख्यमंत्री पर हाथ डालने की भाषा बोलनेवाला कोई भी हो. उनका हाथ फिलहाल तो कानूनी मार्ग से उखड़े तो ही अच्छा! प्रधानमंत्री मोदी को केवल मारने की साजिश रचने (?) के आरोप में कुछ विचारवानों को फडणवीस सरकार ने जेल में सड़ाया है. यहां ‘नारोबा’ राणे ने मुख्यमंत्री को मारने की ही सुपारी लेने का दिख रहा है. अब सुपारीबाजों की महाराष्ट्र में आरती उतारें क्या?
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