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पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल के बाद अब एक और नया बवाल सामने आया है. यहां रबिंद्र भारती यूनिवर्सिटी के चार प्रोफेसरों ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है. उनका आरोप है कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उन पर जातिवादी टिप्पणी की और उनका अपमान किया. टीएमसी के स्टूडेंट विंक तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद पर ये आरोप लगाए गए हैं. हालांकि छात्र संघ ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है.
वॉइस चांसलर को अपना इस्तीफा सौंपने वाले इन प्रोफेसरों का कहना है कि यूनिवर्सिटी के कुछ लोगों ने उनके साथ बदतमीजी की. इसके साथ ही उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की. वहीं टीएमसी के छात्र संघ ने इस सभी आरोपों को आधारहीन बताया है. उनका कहना है कि ये सभी प्रोफेसर रेगुलर क्लास अटेंड नहीं करते हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के एजुकेशन मिनिस्टर पार्थ चैटर्जी ने इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी का दौरा किया. उन्होंने फैकल्टी मेंबर्स के साथ मुलाकात की और इस मामले की जांच के आदेश दिए. उन्होंने बताया कि, कुछ छात्रों की क्लास मिस करने को लेकर प्रोफेसरों से बहस हुई थी. लेकिन इस मामले में जो भी जिम्मेदार हैं उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.
मंत्री ने कहा, मैंने प्रोफेसरों से मुलाकात की और उन्हें इस्तीफा वापस लेने को कहा. मैंने उन्हें बताया कि हम टैगोर के नाम पर चल रही इस यूनिवर्सिटी में ऐसी कोई भी घटना नहीं होने देंगे. टीचर्स और स्टूडेंट्स को क्लास जरूर अटेंड करनी चाहिए. इस मामले में चांज कमेटी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसे सभी के साथ शेयर किया जाएगा.
पिछले महीने एससी कम्युनिटी से आने वाले एक जिओग्राफी प्रोफेसर सरस्वती केरकेत्ता ने आरोप लगाया था कि कुछ छात्रों और स्टाफ ने जाति को लेकर उनका अपना किया. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि उन्हें क्लासरूम में एक घंटे तक खड़ा रखा गया. इसके बाद कुछ अन्य प्रोफेसरों ने भी इसी तरह के आरोप लगाए. इसके बाद ये मुद्दा तब सामने आया जब इन सभी प्रोफेसरों ने एक साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया. पार्थ चैटर्जी ने कहा कि मैंने छात्रों से अपमानित प्रोफेसरों से माफी मांगने को कहा है.
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