मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गुलाम नबी क्यों हुए कांग्रेस से 'आजाद', ये इस्तीफा पार्टी को कितना करेगा बर्बाद?

गुलाम नबी क्यों हुए कांग्रेस से 'आजाद', ये इस्तीफा पार्टी को कितना करेगा बर्बाद?

Ghulam Nabi Azad इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम कर चुके हैं. इस्तीफा बड़ी घटना है

शादाब मोइज़ी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से इस्तीफा, अजय माकन बोले- बीच लड़ाई में छोड़ा साथ</p></div>
i

गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से इस्तीफा, अजय माकन बोले- बीच लड़ाई में छोड़ा साथ

फोटो- अलटर्ड बाय द क्विंट

advertisement

गुलाम नबी 'आजाद' (Ghulam Nabi Azad) हो चुके हैं. इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, और फिर राहुल गांधी, मतलब चार पीढ़ी के साथ राजनीतिक सीढ़ी चढ़ने वाले गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस से अपना 50 साल पुराना रिश्ता तोड़ लिया. आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पन्ने का इस्तीफा भेजा है. इसमें उन्होंने अहसान, गुस्सा, दर्द, इलजाम, अपमान सब लिख डाला. राहुल गांधी पर हर हार का ठीकरा भी फोड़ा.

गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में लिखा है, 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू करने से पहले नेतृत्व को 'कांग्रेस जोड़ो यात्रा' करनी चाहिए थी. ऐसे में सवाल है कि फिर गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस तोड़ो यात्रा क्यों शुरू की? सवाल ये भी है कि आखिर गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से क्या समझ आता है? गुलाम नबी आजाद के जाने से कांग्रेस पर क्या असर पड़ेगा?

इस लेख में हम तीन पहलू पर चर्चा करेंगे.

1. आजाद ने क्यों पार्टी को अलविदा कहा?

2. आजाद के इस्तीफे का कांग्रेस पर क्या असर होगा?

3. ये इस्तीफा कांग्रेस की स्थिति के बारे में क्या कहता है?

कौन गुलाम, कौन आजाद?

सबसे पहले बात करत हैं कि गुलाम नबी आजाद ने आखिर कांग्रेस क्यों छोड़ा? दरअसल, गुलाम नबी आजाद ने अचानक पार्टी से अलविदा नहीं कहा है. गुलाम नबी आजाद की नाराजगी साल 2020 के अगस्त महीने में हुई कांग्रेस पार्टी की वर्किंग कमेटी की मीटिंग से पहले ही सामने आ गई थी. CWC बैठक से ठीक पहले कुछ कांग्रेसी नेताओं ने सोनिया को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बदलाव की मांग उठाई थी, इन कुछ नेताओं में गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे. फिर क्या था पार्टी चिट्ठी लिखने वालों के 'पन्ने' को मिटाने मे लग गई थी.

इसे ऐसे समझिए कि CWC की बैठक जिस महीने में हुई थी उसी महीने में कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों के लिए एक-एक ग्रुप का गठन किया था. जिसमें कई ऐसे नाम नहीं थे जिन्होंने पार्टी नेतृत्व को लेकर सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. अगर आसान भाषा में समझे तो गुलाम नबी आजाद जी-23 नेताओं में शामिल थे. G-23, उन 23 नेताओं का ग्रुप है, जो कांग्रेस आलाकमान और उसकी नीतियों से पिछले लंबे समय से नाराज चल रहा है.

यही नहीं गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे से पहले कई बार पार्टी को अपने बागी तेवर का संदेश दिया था. फरवरी 2021 में जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद ने अपने एनजीओ गांधी ग्लोबल फैमिली के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें G-23 के नेता राज बब्बर, कपिल सिब्बल, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा पहुंचे थे.

सितंबर आते-आते पार्टी ने गुलाम नबी आजाद को पार्टी ने महासचिव पद से हटा दिया. फिर राज्यसभा चुनाव में भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया.

गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को जो चिट्ठी लिखी है उसमें उन्होंने अपमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है. यही नहीं 2014 लोकसभा चुनाव में हार के लिए भी राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया है.

ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि क्या एक बार फिर राज्यसभा न भेजे जाने को लेकर गुलाम नबी आजाद नाराज हो गए? वहीं दूसरी ओर गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव से भी जोड़कर देखा जा सकता है. कांग्रेस इस समय अजीबोगरीब स्थिति में है. शायद ही कोई नेता पार्टी अध्यक्ष बनने की जिम्मेदारी लेने को इच्छुक नजर आए. लेकिन लगभग हर नेता पार्टी अध्यक्ष के प्रमुख सलाहकारों में से एक बनना चाहता है. आजाद भी इनमे से एक थे. लेकिन अगर राहुल गांधी या उनके खेमे का कोई व्यक्ति पार्टी अध्यक्ष बन जाता है, तो गुलाम नबी आजाद के लिए कहने को बहुत कुछ बचता नहीं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

2. कांग्रेस पर क्या असर होगा?

गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से जाने से दो बातें दिखती हैं. पहला मैसेजिंग पॉलिटिक्स और दूसरा जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस पर असर पड़ना. गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी के बारे में अपने इस्तीफे की चिट्ठी में लिखा है,

"दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद और खासकर जनवरी, 2013 के बाद जब उन्हें आपके (सोनिया गांधी) द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था, तब राहुल गांधी ने पहले से मौजूद संपूर्ण सलाहकार तंत्र (entire Consultative mechanism) को ध्वस्त कर दिया. सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली पार्टी को चलाने लगी."

इन शब्दों से साफ है कि गुलाम नबी आजाद जाते-जाते राहुल गांधी को डैमेज करने की कोशिश कर गए. इससे राहुल के विरोधियों को मौका दे दिया. इसके अलावा पहले से कमजोर कांग्रेस में भगदड़ मची है ये मैसेज और पुख्ता हुआ. क्योंकि जैसा कि खुद आजाद ने कहा है कि वो कांग्रेस के सबसे वफादारों में से एक हैं.

वहीं अगर जमीनी राजनीति की बात करें तो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा को छोड़कर जी-23 के नेताओं की जमीनी राजनीति पर पकड़ नहीं है. हालांकि गुलाम नबी आजाद, जी-23 के दूसरे नेताओं से थोड़ा अलग हैं.

जम्मू और कश्मीर के एक पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर कांग्रेस में उनके वफादारों की टीम भी है. उनके साथ उनके कुछ समर्थकों ने भी इस्तीफ दिया है. ऐसे समय में आर्टिकल 370 हटने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक पार्टियां फिर से एक्टिव हो पा रही हैं, तो ऐसे समय में गुलाम नबी आजाद के जाने से कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर में कुछ नुकसान हो सकता है. कश्मीर में पार्टी के पास बड़े चेहरे की कमी है. हालांकि नेशनल लेवल की राजनीति पर गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से मैसेंजिग के अलावा कोई खास असर नहीं दिख रहा है.

इस्तीफे का मतलब क्या है?

कांग्रेस नेतृत्व की चार पीढ़ियों के साथ काम कर चुका, गांधी परिवार का वफादार माना जाने वाला शख्स, आधी सदी से पार्टी के साथ रहने वाले शख्स जब पार्टी छोड़ता है तो एक संदेश तो जाता ही है. बीजेपी का ट्वीट ही देख लीजिए-देश हम जोड़ रहे हैं, आप कांग्रेस जोड़ो दरबारियों. ये मामला एक बार फिर बताता है कि कांग्रेस नेतृत्व बिगड़ी बातों बनाने के लिए न तो काबिल और न ही कोई इच्छाशक्ति दिखती है. क्योंकि गुलाम नबी का इस्तीफा कोई रातों रात नहीं हुआ है. जैसा कि पहले ही बता चुके हैं कि गुलाम नबी आजाद लगातार संकेत दे रहे थे. पार्टी नेतृत्व को अंदाजा था कि वो खफा हैं लेकिन पार्टी ने उन्हें रोकने की कोशिश की हो, ऐसा नहीं लगता.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT