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मेघालय (Meghalaya) के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने एक बार फिर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन किया है, और बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से करनाल में किसानों पर हुए क्रूर लाठीचार्ज के लिए माफी मांगने की मांग की है. शनिवार को करनाल में हुए लाठीचार्ज में 10 लोग घायल हुए थे.
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने खुद को किसान का लाल कहते हुए कहा कि मनोहर लाल खट्टर को किसानों से माफी मांगनी चाहिए. हरियाणा के मुख्यमंत्री किसानों पर लाठियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने फोर्स का प्रयोग नहीं किया. मैंने शीर्ष नेतृत्व से कहा कि बल प्रयोग न करें.
उन्होंने आगे कहा कि एसडीएम आयुष सिन्हा तुरंत सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए. वो एसडीएम के पद के काबिल नहीं हैं. सरकार उनका समर्थन कर रही है और अभी तक उस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
सत्यपाल मलिक इससे पहले जम्मू कश्मीर, गोवा, बिहार और उड़ीसा में राज्यपाल के रूप में सेवा दे चुके हैं. उन्होंने सरकार से न डरने का संकेत देते हुए कहा कि मुझे इस पद (राज्यपाल) से प्यार नहीं है, मैं कुछ भी बोलता हूं दिल से बोलता हूं. मुझे लगता है कि मुझे किसानों के लिए वापस लौटना चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों मार्च में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मेरा अनुमान है कि यूपी, हरियाणा और राजस्थान में होने जा रहे आगामी चुनाव में बीजेपी को काफी नुकसान का सामना करना पड़ेगा क्योंकि हजारों किसान अब भी दिल्ली सीमाओं पर डटे हुए हैं.
उन्होंने यह भी कहा था कि अगर यह आंदोलन इसी तरह लंबे समय तक चलता रहा तो पश्चिमी यूपी, राजस्थान और हरियाणा में बीजेपी का हारना तय है. बता दें कि कुछ ही महीनों में यूपी में चुनाव होने वाला है.
शनिवार को किसानों के साथ हुए व्यवहार के बाद किसानों ने हरियाणा के आस-पास की कई सड़कों को ब्लॉक किया गया था. जब बीजेपी के स्टेट चीफ ओपी धनकर के काफिले को किसानों विरोध करने की कोशिश करने लगे तो, हरियाणा पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया था.
किसान नेता गुरनाम सिंह चादुनी ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे किसानों पर क्रूरता से लाठीचार्ज करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई.
रिपोर्ट के मुताबिक लाठीचार्ज में दस लोग घायल हुए थे और सोशल मीडिया पर घायल किसानों की तस्वीरें वायरल हुईं.
सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान कई महीनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि इन कानूनों के इस्तेमाल से कम दामों पर फसलें लूट ली जाएंगी और हम किसानों को कॉर्पोरेट हितों की दया पर छोड़ दिया जाएगा. हालांकि इस मामले में सरकार ने जोर देते हुए कहा है कि इन कानूनों से किसानों का फायदा होगा.
किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है. किसानों की मांग के मुताबिक सरकार कानून को खत्म करने को तैयार नहीं है और किसान मजबूती के साथ आंदोलन करते हुए डटे हुए हैं.
पिछले दिनों 22 जनवरी को केन्द्र के एक पैनल ने किसानों से बात की थी. 26 जनवरी को दिल्ली में हुई ट्रैक्टर रैली के बाद से अभी तक सरकार और किसानों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है.
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