कश्मीर से गोवा और अब मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक किसानों के मसले को लेकर सरकार से नाराज दिख रहे हैं. इस मामले को लेकर मलिक लगातार खुलकर अपनी बात रख रहे हैं. अब एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर सरकार को ऐसा लगता है कि मैं उनका नुकसान कर रहा हूं, तो मैं पद छोड़ने के लिए तैयार हूं. राज्यपाल के पद से हटने के बाद मैं अपनी बात रखूंगा.
‘जानवर के मरने पर भी होती है संवेदना, यहां किसान मरे हैं’
एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने कई सवालों के जवाब दिए. किसानों को लेकर उनके बयानों पर सवाल पूछे जाने पर मलिक ने कहा कि,
“जब कोई जानवर मरता है तो भी संवेदना प्रकट की जाती है, लेकिन यहां तो 250 किसान मरे हैं, जिनके लिए अब तक किसी ने कोई संवेदना व्यक्त नहीं की. उन्होंने कहा कि अगर किसान आंदोलन ऐसे ही चलता रहा तो पश्चिमी यूपी, हरियाणा और राजस्थान में बीजेपी को बड़ा नुकसान होगा. मलिक ने कहा कि इस मसले पर हालात ये हैं कि बीजेपी नेता अपने गांव से बाहर नहीं जा पा रहे हैं. क्योंकि उनका विरोध हो रहा है.”
मलिक ने कहा कि, मुझे लगता है कि मेरे बयानों से पार्टी को नुकसान की जगह फायदा होगा. क्योंकि इससे किसानों को भी ये लगेगा कि सरकार में कोई तो उनकी बात कर रहा है. इसे लेकर मैंने पीएम मोदी और गृहमंत्री से बात की है, सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए.
किसान आंदोलन को लेकर मुखर रहे हैं मलिक
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेता सत्यपाल मलिक पहले भी किसानों के मुद्दे पर धारदार बयान दे चुके हैं. मलिक किसान आंदोलन की शुरुआत से ही किसानों के प्रति सरकार के रवैये से नाखुश हैं.
मलिक ने इससे पहले किसान आंदोलन को लेकर कई बयान दिए, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसानों का अपमान नहीं किया जा सकता है. सत्यपाल मलिक ने कहा था कि, उन्होंने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि किसानों का अपमान नहीं किया जा सकता और न ही उन्हें कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर किया जा सकता है. मलिक ने कहा था कि उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि वो मौजूदा संकट के समाधान के लिए किसानों से बात करे.
वहीं मलिक ने एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर किसानों को अपमानित कर दिल्ली से भेजा गया तो वो इस बात को 300 सालों तक नहीं भूलेंगे. बागपत में एक सभा को संबोधित करते हुए मलिक ने कहा था,
“मैं कल एक बड़े पत्रकार से मिला, जो प्रधानमंत्री के अच्छे दोस्त हैं. उनसे कहा कि मैंने तो कोशिश कर ली, लेकिन अब तुम उनको समझाओ ये गलत रास्ता है. किसानों को दबाकर, अपमानित कर के दिल्ली से भेजना. पहले तो ये जाएंगे नहीं, ये जाने के लिए नहीं आए हैं. दूसरा चले गए तो 300 साल भूलेंगे नहीं. लिहाजा इन्हें कुछ दिया जाए.”
बतौर राज्यपाल हुए कई तबादले
बतौर राज्यपाल मलिक के सफर की बात करें तो ये सबसे पहले 2017 में बिहार के राज्यपाल बने थे. इसके करीब 1 साल बाद 2018 में मलिक की ट्रांसफर कश्मीर कर दिया गया. फिर एक साल पूरा होते ही उनका ट्रांसफर गोवा में हुआ. लेकिन गोवा ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने कहा था कि उनके दिमाग से कश्मीर जाने का नाम नहीं ले रहा है. मलिक ने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया के समापन समारोह के दौरान अपने भाषण में कहा, "मैं तीन हफ्ते पहले गोवा आया हूं. मैं कश्मीर से आया हूं. मैं अभी भी कश्मीर हैंगओवर से गुजर रहा हूं. दिल-दिमाग पर अभी भी कश्मीर छाया हुआ है."
मलिक की मौजूदगी में हटाया गया आर्टिकल 370
बता दें कि सत्यपाल मलिक के राज्यपाल रहते ही कश्मीर से 2019 में धारा 370 को हटाया गया. बताया जाता है कि इसमें मलिक का भी अहम योगदान रहा. उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि,
“अक्सर नौकरशाह उन्हें डराते थे कि विशेष दर्जे को हटाने पर कम से कम 1000 लोग मारे जा सकते हैं, लेकिन अब, अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने के बाद भी, भारतीय सेना को एक भी गोली चलाने की जरूरत नहीं पड़ी.”
अब फिर से एक साल पूरा होने से पहले ही मलिक को मेघालय भेज दिया गया. जहां वो फिलहाल राज्यपाल का पदभार संभाले हुए हैं. लेकिन इस कार्यकाल के दौरान किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी. क्योंकि मलिक पश्चिमी यूपी के बागपत से आते हैं और एक जाट नेता रहे हैं, ऐसे में किसानों से उनका खास जुड़ाव है. वो कई बार केंद्र सरकार से किसानों के मुद्दे पर बात कर चुके हैं.
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