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गुजरात में पीएम मोदी ने दिन भर जो-जो कहा, वो-वो कांग्रेस के लिए था

पीएम मोदी के गुजरात दौरे के बाद क्या होगी कांग्रेस की रणनीति?

प्रबुद्ध जैन
पॉलिटिक्स
Updated:
प्रधानमंत्री मोदी ने किया घोघा-दाहेज फेरी सर्विस का उद्घाटन
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प्रधानमंत्री मोदी ने किया घोघा-दाहेज फेरी सर्विस का उद्घाटन
(फोटो: PIB)

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पीएम नरेन्द्र मोदी गुजरात में हों और मौसम चुनावी हो तो बात शुरू कहीं से हो, खत्म विरोधियों को चित करने की कोशिश पर ही होती है. इस बार पीएम ने शुरूआत की घोघा-दाहेज के बीच फेरी सेवा के उद्घाटन से. एक के बाद एक कांग्रेस पर कई तीर छोड़ने वाले पीएम ने साफ कर दिया कि निगाहें गुजरात में एक बार फिर सरकार बनाने पर हैं और निशाना है- विकास. वही विकास जिसको लेकर कांग्रेस के समर्थन से 'विकास पागल हो गया है' जैसे अभियान चल रहे हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात में लगातार कांग्रेस के लिए नई जमीन तय करने में लगे हैं.

पीएम मोदी ने पहले भावनगर के घोघा में जनसभा को संबोधित किया. करीब 50 मिनट के अपने हिंदी-गुजराती भाषण में पीएम ने घोघा-दाहेज फेरी सर्विस के फायदे गिनाए और समुद्र को बेहतरीन संसाधन के तौर पर इस्तेमाल करने की बातें कहीं. लेकिन, बहुत कुछ ऐसा था जिसका सीधा सरोकार आने वाले दिनों के चुनावी गणित से था.

पीएम मोदी ने कहा, “पुरानी सरकारों ने कई गलतियां की. वो होते तो फेरी प्रोजेक्ट बन ही नहीं पाता. मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री बना तो ये प्रोजेक्ट किसी कोने में पड़ा था. पहले की सरकारों ने जो शर्तें रखीं वो अजीब थीं. सरकार ने कहा कि फेरी सर्विस चलाने वाली कंपनी को पोर्ट भी खुद बनाने होंगे. ऐसा संभव है क्या? मैं पूछना चाहता हूं कि बस चलाने वाले को सड़क बनाने के लिए कहा जाता है क्या?

पीएम मोदी ने बताया कि ये फैसला किया गया कि पोर्ट सरकार अपने खर्चे पर बनाएगी और कंपनी को होने वाले फायदे में सरकार को हिस्सेदारी मिलेगी. मोदी ने पिछली सरकारों पर कभी काम को लटकाने का आरोप लगाया तो कभी रुके हुए काम निपटाने का सेहरा अपने सिर बांधने में भी देर नहीं लगाई. उन्होंने कहा:

<b>जाने कितनी सरकारें आईं और गईं. लेकिन सारा काम मेरे ही नसीब में लिखा है</b>

ये वाक्य गुजराती में कहा गया. अपने भाषणों में प्रधानमंत्री ने हिंदी और गुजराती दोनों भाषाओं का इस्तेमाल किया. कौन सी बात कहने के लिए हिंदी चुनी जाए और कौन सी गुजराती में अच्छी लगेगी, ये पीएम बखूबी समझते हैं. इसके राजनीतिक मायने भी टटोलने होंगे जिन्हें जानना काफी दिलचस्प हो सकता है. जिसकी पड़ताल हम आगे करेंगे.

पीएम ने बार-बार गुजरात की समुद्री सीमाओं और उनसे अब तक फायदा न उठा पाने की नाकामी की ओर इशारा किया. पीएम ने कहा, "वापी से कच्छ के मांडवी तक विकास परियोजनाओं पर बैन लगा दिया गया. 2012 में जब मैंने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया, तत्कालीन भारत सरकार ने कई विकास प्रोजेक्ट्स को पर्यावरण के नाम पर रोक दिया. विकास पर ताला लगाने की धमकी दी गई. सीएम रहते गुजरात के विकास के लिए मुझे कितना संघर्ष करना पड़ा, मैं ही जानता हूं."

पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार को बीते दिनों में अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर जमकर घेरा गया. कांग्रेस के अलावा बीजेपी के ही यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और शत्रुघ्न सिन्हा ने भी सरकार पर बेरोजगारी, नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर हमला बोला. पीएम ने इन सभी मुद्दों का भी अपने अंदाज में जवाब दिया.

पीएम मोदी ने कहा, "सरकार का ध्यान कोस्टल प्रोजेक्ट से जुड़े स्किल डेवेलपमेंट पर है. अकेले ‘सागरमाला’ प्रोजेक्ट से 1 करोड़ नौकरी पैदा होंगी. जीएसटी ने कारोबार की नई संस्कृति की शुरूआत की है. ईमानदारी से काम करने वाले व्यापारियों को कोई परेशान नहीं करेगा."

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पीएम अपने भाषणों में बार-बार विकास की बात करते रहे. हर कुछ लाइन के बाद, उनकी बातों में विकास, प्रोजेक्ट, फायदा, गुजरात जैसे शब्द ही सुनाई देते थे.

वडोदरा में कई प्रोजेक्ट के उद्घाटन के बाद पीएम ने कहा, "अगर आप मई 2014 के पहले के अखबारों को खंगालें तो आपको तमाम सेक्टरों में भारी करप्शन दिखाई देगा. विकास का विरोध करने वालों को एक भी सरकारी पैसा नहीं मिलेगा. मैं अटके हुए प्रोजेक्ट्स की फाइलें निकलवा रहा हूं."

कांग्रेस, गुजरात चुनाव के ऐलान में हुई देरी पर लगातार सवाल खड़े कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा, "जो लोग वोटों की दोबारा गिनती के सहारे चुनकर आते हैं, वो चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं."

हिंदी-गुजराती भाषा के चुनावी मायने

प्रधानमंत्री यूं तो पहले भी गुजरात दौरों पर गुजराती में बोलते रहे हैं लेकिन आज के तीन भाषणों में जितनी बार उन्होंने गुजराती का इस्तेमाल किया वो कम ही देखा गया है. पीएम को जब कभी अपनेपन की, क्षेत्र विशेष की बात कहनी होती थी, उन्होंने गुजराती को चुना. गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री बलवंत राय का जिक्र हो, अपने बचपन के दिनों का, वापी और मांडवी का या फिर स्थानीय नायक वीर भोखरा दादा का, पीएम ने गुजराती भाषा को चुना. लेकिन जैसे ही बात विकास के बड़े सवाल पर या कांग्रेस पर हमले की आई, प्रधानमंत्री हिंदी में बोलते दिखे.

गुजरात विधानसभा चुनाव में अब बस कुछ ही समय बचा है. चुनाव के ऐलान से पहले ये प्रधानमंत्री का आखिरी दौरा हो सकता है. पीएम ने इस दौरे में न सिर्फ नए प्रोजेक्ट के धड़ाधड़ उद्घाटन किए बल्कि हर मौके पर कांग्रेस पर विकास को थामने की कोशिशों का आरोप भी लगाया.

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी का फर्राटा गुजरात दौरा, धड़ाधड़ उद्घाटनों का चला सिलसिला

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Published: 22 Oct 2017,07:30 PM IST

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