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किसान आंदोलन पर अमित शाह से बातचीत के बाद CM खट्टर- जल्द खुल जाएंगे बॉर्डर

इस मुलाकात में ऐलानाबाद में होने वाले उप चुनावों को लेकर भी चर्चा की गई.

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<div class="paragraphs"><p>गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मुलाकात</p></div>
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गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मुलाकात

फाइल फोटो

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गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar lal Khattar) के बीच दिल्ली में बैठक हुई. जिसमें सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन को लेकर चर्चा की गई. साथ ही राज्यभर में अलग-अलग हिस्सों में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर भी सीएम ने अमित शाह को जानकारी दी.

इस मुलाकात के बाद हरियाणा के सीएम खट्टर ने जानकारी देते हुए कहा-

"मैंने (मनोहर लाल खट्टर) आज अमित शाह जी से मुलाकात की, जहां उन्हें सिंघु और टिकरी बॉर्डर को खोलने के मुद्दे पर जानकारी दी गई. मैंने उन्हें राज्य में कई स्थानों पर हो रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में भी बताया है. मुझे उम्मीद है कि बॉर्डर जल्द ही खुल जाएंगे."
मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री, हरियाणा

किसान आंदोलन पर बोले खट्टर- जल्द होगा समाधान

सीएम खट्टर ने ये भी बताया कि "सिंघु बॉर्डर से सटे के सोनीपत जिले के आसपास के गांवों के लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल मुझसे मिलने आया और सिंघु बॉर्डर तक की सड़क खोलने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा".

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मुलाकात में केवल इतनी ही बातचीत नहीं हुई है बल्कि ऐलानाबाद में होने वाले उप चुनावों को लेकर भी चर्चा की गई.

बॉर्डर को खोलने को लेकर मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि "हमने उन लोगों (किसानों) से शांतिपूर्वक आंदोलन करने की अपील की है, गृह मंत्री ने कहा है कि यह अपील रखी जानी चाहिए कि वे शांति से विरोध करें, हमें कोई आपत्ति नहीं है".

इससे पहले सितंबर में हरियाणा सरकार ने सिंघु बॉर्डर पर नेशनल हाईवे-44 पर नाकेबंदी हटाने के लिए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से बात करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर को हरियाणा के सोनीपत के निवासियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें किसानों द्वारा सिंघु बॉर्डर को बंद करने की वजह कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. कोर्ट ने उन्हें राहत के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा था क्योंकि हाईकोर्ट वहां कि स्थानीय समस्याओं से पूरी तरह परिचित थी.

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