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हरियाणा चुनाव: जीत के करीब कांग्रेस, बीजेपी लड़खड़ाई, क्या कहता है ओपिनियन पोल?

सर्वे के अनुसार, कांग्रेस को 43-48 और बीजेपी को 34 से 39 सीटें मिलने का अनुमान है.

आदित्य मेनन
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>हरियाणा चुनाव: जीत के करीब कांग्रेस, बीजेपी लड़खड़ाई, क्या कहता है ओपिनियन पोल?</p></div>
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हरियाणा चुनाव: जीत के करीब कांग्रेस, बीजेपी लड़खड़ाई, क्या कहता है ओपिनियन पोल?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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एक हालिया सर्वे में अनुमान लगाया गया कि कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) में बहुमत के करीब आ सकती है. सर्वे एजेंसी पीपल्स पल्स (Haryana Election Opinion Poll) के अनुसार, कांग्रेस (Congress) को 43-48 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि बीजेपी (BJP) को 34 से 39 सीटें मिल सकती हैं. 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को 46 सीटों की जरूरत होती है.

इस सर्वे में 'अन्य' को 3 से 8 सीटें मिलने का अनुमान भी लगाया गया है, जिसमें क्षेत्रीय दल इंडियन नेशनल लोक दल और जननायक जनता पार्टी के साथ-साथ छोटे राष्ट्रीय दल जैसे बहुजन समाज पार्टी (जो आईएनएलडी के साथ गठबंधन में है) और आम आदमी पार्टी शामिल हैं.

2019 के हरियाणा चुनावों में, बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने 31, JJP ने 10 और INLD ने 1 सीट जीती थी.

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सर्वे में और क्या अनुमान लगाए गए हैं?

पीपल्स पल्स सर्वे के अनुसार, कांग्रेस को 44 प्रतिशत और बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है. 2019 में कांग्रेस को 28 प्रतिशत वोट मिले थे उसकी तुलना में कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ी बढ़त है. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी को भी वोट प्रतिशत में बढ़त मिली है, बीजेपी को 2019 में 36 प्रतिशत वोट मिले थे.

सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा मौजूदा बीजेपी सीएम नायब सिंह सैनी से आगे हैं.

सर्वे में यह भी देखा गया है कि कांग्रेस फिर से जाट और दलित समुदायों में अपनी पारंपरिक बढ़त हासिल कर रही है. वे ग्रामीण क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है, जहां 65 प्रतिशत किसान उसको समर्थन कर रहे हैं.

सर्वे से यह भी पता चलता है कि बीजेपी का ओबीसी समुदाय में समर्थन कम हुआ है और ओबीसी को मुख्यमंत्री बनाने की उसकी रणनीति ने उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं दिए हैं.

सर्वे के अनुसार, मतदाताओं के लिए मुख्य मुद्दे "किसानों की बदहाली, बेरोजगारी, अग्निवीर योजना और बुनियादी जीवनयापन" हैं और वे स्थानीय कारणों जैसे अपने-अपने विधायकों की लोकप्रियता या आलोकप्रियता के आधार पर वोट देने की अधिक संभावना रखते हैं.

क्या तस्वीर बदल सकती है?

  • कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोट प्रतिशत का अंतर सिर्फ 3 प्रतिशत है, अगर बीजेपी ने अनुमान से थोड़ा बेहतर किया तो उसके पास सरकार बनाने का मौका आ सकता है. इसके विपरीत स्थिति बनती है तो कांग्रेस की बड़ी जीत हो सकती है.

  • सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम '15 सीटें' ऐसी हैं जो दोनों पार्टियों की मेहनत और उम्मीदवारों के आधार पर किसी भी तरफ जा सकती हैं.

  • स्वतंत्र विधायकों की संख्या भी बढ़ सकती है क्योंकि कई महत्वपूर्ण सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवार बहुत करीबी मुकाबलों में हैं.

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