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कर्नाटक का किंग कौन होगा? यह सवाल अब भी सुलझा नहीं है. राज्य में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. कांग्रेस को 78 और जनता दल (एस) को 38 सीटें मिली हैं. किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं है. ऐसे में क्या राज्यपाल कांग्रेस और जनता दल को सरकार बनाने के लिए बुलाएंगे. या फिर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी को न्योता देकर बहुमत साबित करने के लिए कहेंगे. राज्यपाल क्या करेंगे इस पर सबकी निगाहें हैं. लेकिन संविधान क्या कहता है यह भी देखना होगा.
सरकारिया कमीशन की सिफारिश के मुताबिक गवर्नर को सरकार बनाने के लिए न्योता देते वक्त इन चार प्राथमिकताओं पर ध्यान देना चाहिए.
संविधान की परंपरा के मुताबिक किसी को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता देने की परंपरा है. सरकारिया कमीशन ने अपनी सिफारिशों में इसे रेखांकित किया है. 2005 के रामेश्वर परसाद बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने इस सिफारिश का समर्थन किया था. लेकिन सबसे बड़ी पार्टी को बुलाने की संविधान में परंपरा ही है. कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है. इसलिए राज्यपाल किसी भी पार्टी को बुला कर सरकार बनाने का न्योता देकर उसे बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं.
गोवा में मनोहर परिकर सरकार को राज्यपाल ने पहले बुला कर सरकार बनाने को कहा था, जबकि वहां वह दूसरे पोजीशन पर थी. परिकर को बुलाने से पहले राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस से संपर्क नहीं किया था. कांग्रेस कोर्ट गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर गलती की. इसने गवर्नर के सामने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया कि सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत उसके पास है. इस मामले से यह साफ हो गया कि संविधान में इस बात का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है कि राज्यपाल को त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किसे सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए.
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Published: 15 May 2018,07:12 PM IST