कर्नाटक विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक मोड़ पर हैं. बीजेपी बहुमत तक पहुंचती नजर नहीं आ रही है और कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर के दम पर सरकार बनाने का भरोसा जता रही है. जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने राज्यपाल के दरवाजे पर मिलने की अर्जी लगा दी है. अर्जी में लिखा है कि कांग्रेस और हम साथ-साथ हैं. लेकिन, ये सुपरहिट मुकाबला वही जीतेगा जिसके साथ अंपायर यानी कर्नाटक के राज्यपाल की वजुभाई वाला होंगे.
दरअसल, कर्नाटक में फिलहाल त्रिशंकु विधानसभा के आसार दिख रहे हैं. बहुत कुछ राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करेगा. त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में राज्यपाल की हैसियत का अंदाजा आप मणिपुर, गोवा के चुनाव और उसके बाद वहां बनी सरकार के आधार पर भी लगा सकते हैं.
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला वहीं नेता हैं जिन्होंने साल 2001 में मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी सीट छोड़ी थी.
विधायक, मंत्री और अब राज्यपाल हैं वजुभाई वाला
वजुभाई वाला गुजरात के राजकोट पश्चिमी सीट से 7 बार चुनाव जीत चुके हैं. कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली राजकोट वेस्ट सीट को वजुभाई वाला ही बीजेपी के पाले में लेकर आए थे. साल 2012 बतौर विधायक उनका आखिरी चुनाव था. 2012 से 2014 तक वो गुजरात विधानसभा के स्पीकर रहे, इससे पहले गुजरात की मोदी कैबिनेट में वो बतौर वित्त मंत्री भी काम कर चुके हैं. केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद साल 2014 में उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया.
गुजरात के कारोबारी परिवार से आने वाले वजुभाई का संघ से भी बहुत पुराना जुड़ाव है. संघ के कार्यकर्ता के तौर पर ही उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा और राजकोट के मेयर भी रहे. अपने पूरे राजनीतिक जीवन में वो हमेशा सत्ता के करीब रहने वाले नेताओं में से एक थे.
2014 से राजकोट की सीट रूपाणी के पास है
वजुभाई के राज्यपाल बनने के बाद इस सीट पर गुजरात के मौजूदा सीएम विजय रूपाणी ने अपना कब्जा जमाया. 2017 के चुनाव में भी वो ये सीट जीतने में कामयाब रहे.
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