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हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए आज यानी 12 नवंबर को वोट डाले जा रहे हैं. इस चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से कई राजनीतिक हस्तियां चुनावी मैदान में उतरी हैं, जिनके भाग्य का फैसला आज जनता कर देगी. लेकिन, नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे. इस चुनाव में कई राजनीतिक हस्तियों की किस्मत भी दांव पर लगी है. आइए हिमाचल प्रदेश की कुछ राजनीतिक हस्तियों की बात करते हैं, जिनकी उपस्थिति विरोधियों पर भारी पड़ती है.
बता दें, हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को चुनाव होंगे. ये चुनाव एक ही चरण में कराया जाएगा. 8 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी और नतीजे घषित किए जाएंगे. फिलाहाल, प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. बीजेपी के पास 68 विधानसभा सीटों में से 44 सीटें उसके पास हैं, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस है. कांग्रेस के पास 21 सीटें हैं, जबकि अन्य के पास 3 सीटें हैं.
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 'भीतरघात' की वजह से हारकर मुख्यमंत्री नहीं बनने वाले धूमल का जलवा अभी भी हिमाचल में बरकरार है. बीजेपी ने धूमल के नेतृत्व में ही 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और उसे बड़ी जीत हासिल हुई थी. धूमल जब पिछला विधानसभा चुनाव हारे थे तो कई लोग उनकी राजनीतिक यात्रा का पूर्णविराम घोषित करके आगे बढ़ने की भविष्यवाणी करने लगे थे. लेकिन, धूमल के व्यक्तित्व के आगे ऐसी भविष्यवाणियां छोटी साबित हुई हैं. अपने चुनाव में हार के महज एक सप्ताह बाद ही धूमल फिर से कार्यकर्ताओं और लोगों के बीच थे. धूमल का यह पब्लिक कनेक्ट पिछले 5 साल में कमजोर नहीं पड़ा है. इसीलिए अब भी राज्य की राजनीति को धूमल के बिना देख पाना बीजेपी के लिए संभव नहीं है.
क्योंकि, वो धूमल ही थे, जो हिमाचल के गांव-गांव बीजेपी को पहुंचाया. हिमाचल प्रदेश की राजनीति में राजपूत और ब्राह्मण समुदायों का वर्चस्व रहा है. धूमल राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो हिमाचल के कुल मतदाताओं का 28 फीसदी है. धूमल एक मजबूत राजपूत नेता के तौर पर जाने जाते हैं. प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर विधानसभा से चुनाव लड़े थे, लेकिन वो अपने प्रतिद्वंद्वी राजेंद्र सिंह राणा से 3500 वोटों के अंतर से हार गए.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और 5 बार के विधायक जयराम ठाकुर का भी प्रदेश की राजनीति में खासा प्रभाव है. ठाकुर हिमाचल प्रदेश की सिराज सीट से लगातार पांच बार से जीतते आ रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को कभी पूर्व सीएम शांता कुमार का भरोसेमंद माना जाता था. लेकिन, आज वे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सबसे विश्वसनीय चेहरा बन चुके हैं. उन्हें ऐसे विनम्र नेता के तौर पर जाना जाता है, जो बहुत ही निचले तबके से अपने संघर्ष के दम पर उठे हैं और जो हमेशा लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करते हैं. उनकी मजबूती का आधार उनका लो-प्रोफाइल होकर काम करना और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भरोसा हासिल करना भी रहा है.
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में अनुराग ठाकुर का खासा प्रभाव है. ठाकुर को राजनीति विरासत में मिली है. पिता प्रेम कुमार धूमल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अनुराग ठाकुर भी हिमाचल की हमीरपुर सीट से सांसद हैं और केंद्र की मोदी सरकार में खेल और सूचना प्रसारण मंत्री हैं. प्रदेश की राजनीति में ये भी कहा जा रहा कि अगर बीजेपी दोबारा सत्ता में आई तो अनुराग ठाकुर भी मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हो सकते हैं.
हमीरपुर जिले में ठाकुर का अच्छा प्रभाव माना जाता है. यहां, विधानसभा की दो सीटें हैं, हमीरपुर और राठ. इन दोनों सीटों पर बीजेपी के ही प्रत्याशी चुनकर आए हैं. इस बार भी अनुराग ठाकुर पर दोनों सीटें जिताने की बड़ी चुनौती होगी.
प्रतिभा सिंह कांग्रेस की हिमाचल प्रदेश की प्रदेशाध्यक्ष हैं. सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री और दिवंगत नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं. कांग्रेस के कद्दवार नेता रहे वीरभद्र की विरासत अब उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के पास है. वीरभद्र सिंह के दिवंगत होने के बाद कांग्रेस ने उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को प्रदेश की कमान सौंप दी थी. माना जा रहा है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है ति प्रतिभा सिंह मुख्यमंत्री की प्रबल दावेदार होंगी.
मुकेश अग्निहोत्री का नाम कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार है. अग्निहोत्री मौजूदा समय में ऊना की हरोली सीट से विधायक हैं. यहां से वो लगातार 4 बार से जीत दर्ज कर रहे हैं. ब्राह्मण समाज से आने वाले अग्निहोत्री का अपने विधानसभा के साथ-साथ जिले में भी दबदबा है. वो मौजूदा समय में नेता प्रतिपक्ष भी हैं. इस बार वो 5वीं बार अपनी किस्म जमाने मैदान में उतरेंगे.
आनंद शर्मा के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि वो केंद्र की रजानीति में केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में डिप्टी नेताप्रतिपक्ष रह चुके हैं. सोनिया गांधी के करीबी रहे शर्मा इस समय कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं, लेकिन राजीव शुक्ला की तरफ से उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है. शर्मा का हिमाचल में एक बड़ा नाम है.
सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल की राजनीति का प्रमुख चेहरा माना जाता है. उन्हें इस बार चुनाव से पहले ही कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति की कमान दे दी गई है. ये इस बात का भी संकेत है कि इस बार के चुनाव में भी सुक्खू ही प्रमुख चेहरा होंगे. निचले हमीरपुर से आने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू का वर्चस्व हिमाचल के कांगड़ा, ऊना और हमीरपुर जिलों की सीटों पर रहता है. इस चुनाव में भी उन पर यही जिम्मेदारी रहेगी, वे नादौन से विधायक हैं.
हरमेल धीमान को हिमाचल प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता है. हाल ही में उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी को ज्वाइन किया है. माना जा रहा है कि वह आगामी चुनाव में बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. हरमेल धीमान की कर्मभूमि सोलन रही है. वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य (SC विंग) और पूर्व SC मोर्चा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं. इसके अलावा भी वह बीजेपी में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. इनमें जिला उपाध्यक्ष युवा मोर्चा, प्रदेश उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति मोर्चा, नेशनल एग्जीक्यूटिव मेंबर अनुसूचित जाति मोर्चा, निदेशक अनुसूचित और जनजाति निगम शामिल हैं. उन्होंने 30 साल तक बीजेपी में सक्रिय राजनीति की है और अब आम आदमी पार्टी के झाड़ू को हाथ में लिया है.
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Published: 14 Oct 2022,10:58 PM IST