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हिमाचल चुनाव में इस बार काफी रोमांचक मुकाबला देखने को मिल रहा है. चुनावी मैदान में कई रिश्तेदार आमने-सामने हैं. परिवारिक बंधनों में तो ये एक-दूसरे से बंधे हैं लेकिन चुनावी अखाड़े में एक-दूसरे के खिलाफ डटकर खड़े हैं.
रिश्तेदार और निकट संबंधी होने के बावजूद अलग-अलग राजनीतिक मंच से ये उम्मीदवार कई मुद्दे उठाते हैं, यहां तक कि कई बार ये निजी हमले करने से भी नहीं चूक रहे हैं.
बीजेपी के सीएम कैंडिडेट और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रेम कुमार धूमल का मुकाबला उन्हीं के राजनीतिक शिष्य से है. लगभग दो सालों तक राजनीति का ककहरा सीखने वाले कांग्रेस उम्मीदवार राजिंदर राणा अब चुनावी अखाड़े में धूमल को 'सबक सिखाने' की कोशिश में हैं.
धूमल इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि राणा ने 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी. उन्होंने 14,116 वोटों के अंतर से यह सीट जीती थी. बाद में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी. खाली हुई सुजानपुर सीट पर दोबारा कराए गए चुनाव में बीजेपी के नरेंद्र ठाकुर की जीत हुई थी.
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डॉक्टर से नेता बने बीजेपी उम्मीदवार राजेश कश्यप अपने ससुर और कांग्रेस उम्मीदवार धनी राम शांडिल के खिलाफ चुनावी अखाड़े में हैं. शांडिल मौजूदा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इन दोनों का मुकाबला सोलन आरक्षित सीट पर होगा.
कश्यप के पास राजनीतिक अनुभव की कमी है, तो उनके ससुर और कांग्रेस उम्मीदवार शांडिल राजनीतिक के धुरंधर माने जाते हैं. हालांकि दोनों उम्मीदवार शायद ही कभी एक-दूसरे के खिलाफ व्यक्तिगत हमले करते हैं. दोनों विकास के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं.
उसी तरह कासुम्पटी से कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह अपनी चाची और बीजेपी उम्मीदवार विजय ज्योति सेन के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. विजय ज्योति सेन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की रिश्तेदार हैं.
कासुमप्टी सीट पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा. इस सीट पर खड़े छह उम्मीदवारों में से तीन का संबंध शाही परिवारों से है. ये उम्मीदवार कांग्रेस की तरफ से अनिरुद्ध सिंह, बीजेपी की तरफ से विजय ज्योति सेन और सीपीएम से कुलदीप तंवर हैं. तंवर किसान सभा के राज्य अध्यक्ष हैं.
तंवर ने कहा, "अनिरुद्ध और सेन अभी भी अपने गरिमामयी इतिहास को भुना रहे हैं. ये दोनों शायद ही कभी दबे-कुचले लोगों और दलितों की आवाज उठाते हैं जिनकी संख्या इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा है."
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मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला (ग्रामीण) सीट अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में वीरभद्र ने यहां से चुनाव जीता था. विक्रमादित्य का मुकाबला बीजेपी के प्रमोद शर्मा से है. शर्मा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और कभी उन्हें वीरभद्र सिंह का करीबी माना जाता था.
(इनपुट-IANS से)
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