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हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने बड़े ही जोर-शोर से कहा कि ''हमें पूरा यकीन है कि हम जीतने जा रहे हैं.''
क्विंट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि "हम उन्हें (बीजेपी को) हरा देंगे और यहां से पूरे देश में बीजेपी के पतन की शुरुआत होगी."
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के अभियान से संबंधित कई पहलुओं पर प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) ने क्विंट के साथ खुलकर बातचीत की, जिसमें महत्वपूर्ण सवाल यह भी शामिल हैं कि पार्टी का सीएम चेहरा कौन होगा? और हाल ही में हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा की वर्तमान स्थिति क्या है?
वीरभद्र सिंह 1980 के दशक के अंत से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का निर्विवाद चेहरा रहे हैं. 2021 में उनके निधन के बाद से पहाड़ी राज्य में कांग्रेस में लीडरशिप में एक खालीपन है. वर्तमान में कांग्रेस के ऐसे कई नेता हैं जो अपने-अपने क्षेत्रों में काफी प्रभावशाली हैं. ऊना जिले में मुकेश अग्निहोत्री, हमीरपुर में सुखविंदर सुक्खू, डलहौजी में आशा कुमारी, सोलन में धनी राम शांडिल और मंडी जिले के कुछ हिस्सों में कौल सिंह ठाकुर का प्रभाव है लेकिन इनमें से किसी भी नेता के पास उस तरह की प्रदेशव्यापी लोकप्रियता नहीं है, जैसी कि वीरभद्र सिंह को हासिल हुई थी.
पूर्व सीएम की राजनीतिक विरासत को उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के साथ-साथ उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है. विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से विधायक हैं. वहीं प्रतिभा सिंह हिमाचल कांग्रेस प्रमुख होने के अलावा मंडी लोकसभा सीट से सांसद हैं. प्रतिभा सिंह ने पिछले साल एक महत्वपूर्ण उपचुनाव में जीत हासिल की थी.
वीरभद्र सिंह के निधन के बाद जो खालीपन आया है उससे पार्टी की राज्य इकाई के अंदर इस बात को लेकर खींचतान पैदा हो गई है कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का मुख्य चेहरा कौन होना चाहिए?
प्रतिभा सिंह ने जोर देते हुए कहा कि "लोग खुद कहते हैं कि 'पोस्टर में अन्य चेहरे कौन हैं? हम इन अन्य चेहरों को नहीं देखना चाहते हैं. पहले वीरभद्र सिंह का चेहरा लाओ तभी हम आएंगे.' इन बातों से स्पष्ट है कि वे लोग केवल वीरभद्र सिंह मॉडल के बारे में सुनना चाहते हैं."
हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सामूहिक लीडरशिप में चुनाव लड़ेगी.
हिमाचल प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा था, इसके लिए प्रतिभा सिंह पार्टी में चल रही खींचतान या कांग्रेस के भीतर चलने वाले आंतरिक कलह को जिम्मेदार ठहराती हैं, हालांकि उनका कहना है कि आगामी चुनावों से पहले इसे कुछ हद तक सुलझा लिया गया है.
वे कहती हैं, "हमने अपनी तरफ से सबसे बेहतर करने की पूरी कोशिश की है. लेकिन जब आप रेस में होते हैं तो कोई आपके आगे दौड़ता है तो कोई आपके पीछे रह जाता है."
उन्होंने कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले दो विधायकों, पवन काजल और लखविंदर राणा को पार्टी से निष्कासित कर दिया और इसे "बीजेपी से आए दो विधायकों का अवसरवाद" बताया.
पार्टी के सीनियर लीडर आनंद शर्मा उन 23 नेताओं के समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर कामकाज की आलोचना करते हुए एक पत्र लिखा था. हाल ही में आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए पार्टी की संचालन समिति के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया है. वह गुलाम नबी आजाद के बहुत करीबी माने जाते हैं, आजाद ने हाल ही में कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ा है.
क्विंट ने जब प्रतिभा सिंह से यह पूछा कि आनंद शर्मा पार्टी में हैं या बाहर? इस पर उन्होंने कहा कि
इस साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव होने हैं. मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व वाली बीजेपी पार्टी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, 2021 में महत्वपूर्ण उपचुनावों में इसी फैक्टर की वजह से पार्टी की हार हुई थी. विशेष रूप से, बेरोजगारी राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा है.
हालांकि हिमाचल प्रदेश के दोनों पड़ोसी राज्य, पंजाब और उत्तराखंड में कांग्रेस को हार सामना करना पड़ा है, हो सकता है इस फैक्टर ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के मोमेंटम या गति को नुकसान पहुंचाया हो.
हालांकि प्रतिभा सिंह का कहना है कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति अन्य दो राज्यों से संबंधित नहीं है.
उन्होंने कहा कि "स्थिति काफी अलग है. जय राम ठाकुर की सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है. प्रदेश में हमारी लीडरशिप बहुत मजबूत है."
क्विंट ने जब प्रतिभा सिंह से यह पूछा कि हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी से निपटने के लिए कांग्रेस पार्टी कैसा प्लान बना रही है? तब उन्होंने कहा, "हमें एक रास्ता निकालना होगा. यह आसान नहीं होने वाला है. नौकरियां तुरंत पैदा नहीं की जा सकती हैं. हमने सरकारी नौकरियों में भर्ती बढ़ाने के लिए वादा भी किया."
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