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हिमाचल प्रदेश में सरकार कांग्रेस की, 3 निर्दलीय को मिलाकर 43 विधायकों का समर्थन भी. लेकिन इसके बावजूद राज्यसभा चुनाव में पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है. उसे बीजेपी ने मात दी है जिसके पास इस पहाड़ी राज्य में केवल 25 विधायक हैं. हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट पर बीजेपी (BJP) के उम्मीदवार हर्ष महाजन (Harsh Mahajan) की जीत हो गई है. हर्ष महाजन को भी 34 वोट मिले और कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को भी 34 वोट. आखिर में फैसला टॉस उछाल कर किया गया. सिक्का हर्ष महाजन के पक्ष में गिरा.
चलिए आपको बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने कैसे खेला किया है?
हिमाचल में विधानसभा की 68 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 40 विधायक, बीजेपी के 25 और तीन निर्दलीय विधायक हैं. तीनों विधायक सुक्खू सरकार के साथ थे. यानी कांग्रेस के पक्ष में 43 विधायक थे और बीजेपी के पास 25. लेकिन यह आंकड़ा वोटिंग के समय बदल गया.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने कांग्रेस उम्मीदवार की हार के बाद कहा कि, "9 क्रॉस वोटिंग हुई, उनमें से 3 निर्दलीय विधायक थे लेकिन 6 अन्य कांग्रेसी विधायकों ने अपना ईमान बेच दिया और उनके (अभिषेक सिंघवी) खिलाफ मतदान किया... उन्होंने अपना वोट बदला और अपने ईमान को बेचा है लेकिन हिमाचल की जनता इस प्रकार की संस्कृति की आदि नहीं है."
इससे पहले सीएम सुक्खू ने दावा किया था कि सीआरपीएफ और हरियाणा पुलिस 5-6 कांग्रेसी विधायकों को अपने साथ ले गयी है.
जीत के बाद हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि, "इस जीत को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के सीएम को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए... महज एक साल के भीतर ही विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है."
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य बीजेपी शक्ति परीक्षण की मांग करेगी, इस पर जयराम ठाकुर ने दावा किया कि कई कांग्रेस विधायक उनके संपर्क में हैं. यानी इसकी संभावना है कि हिमाचल विधानसभा के अगले सत्र में बीजेपी शक्ति परीक्षण की मांग कर सकती है.
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