हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) एक बार फिर भारी बारिश से जूझ रहा है, जिससे राज्य में रोजमर्रा की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है. मेरे गृहनगर मंडी में 10 अगस्त से लगातार बारिश हो रही है और यहां की स्थिति बहुत भयावह बनी हुई है.
मेरा घर मंडी (Mandi) जिले के जुकैन गांव में है. गांव में लगभग 10 घर हैं. भूस्खलन के कारण गांव को जोड़ने वाली सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है. नियमित अंतराल पर भूस्खलन हो रहा है, जिसकी वजह से हम सभी को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है.
स्थानीय प्राथमिक विद्यालय सबसे बुरी तरह प्रभावित
मूसलाधार बारिश में घर, सड़कें और वाहन सब बह गए हैं. इससे स्थानीय प्राथमिक विद्यालय बुरी तरह प्रभावित हैं. पहाड़ों से आए पत्थरों ने स्कूल की इमारत को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त किया है.
जो घर पानी की तेज लहरों को झेलने में कामयाब रहे, वे अब पहाड़ों से गिर रहे कीचड़ और मलबे से ढंक गए हैं.
13 अगस्त से हम मंडी के डबरोग गांव में अपने रिश्तेदार के घर रुके हैं. जब हमने अपना घर खाली किया, तो हम केवल कीमती सामान और दस्तावेज ही ला सके. हमें अपना अधिकांश सामान वहीं छोड़कर आना पड़ा.
परिवहन समस्याओं के कारण हमें जरुरी सामान प्राप्त करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अधिकांश पिकअप वाहन हमारे स्थान तक नहीं पहुंच सकते हैं.
मेरी दादी लंबे समय से कोमा में हैं. उनके चिकित्सा उपकरण, जैसे कि नेबुलाइजर को संचालित करने के लिए लगातार बिजली की आवश्यकता होती है. दुर्भाग्य से, बिजली की सप्लाई अच्छे से नहीं हो रही है.
रविवार 13 अगस्त को पूरे दिन बिजली नहीं रही. जिसकी वजह से हमें तत्काल सरकारी अस्पताल में उनकी देखभाल के लिए जाना पड़ा. लेकिन यहां भी हमें एक विद्युत जनरेटर के माध्यम से रुक-रुक कर बिजली की सप्लाई मिलती थी.
16 अगस्त को मैं जुकैन गांव स्थित अपने घर का हाल देखने गया था. वहां बारिश हल्की हो गई है, लेकिन भूस्खलन अब भी जारी है.
हमारा सामान अभी भी हमारे घरों के अंदर है. इसका असर मेरी पढ़ाई पर भी पड़ रहा है.
मैं दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र हूं और मेरी क्लासेज 16 अगस्त से शुरू हो चुकी है.
क्योंकि सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, इसलिए मैं कॉलेज नहीं लौट सकता और क्लासेज अटेंड नहीं कर सकता.
मुझे उम्मीद है कि हिमाचल की स्थिति में जल्द ही सुधार होगा.
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