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शिवराज चौहान जी, ऐसे अजब-गजब टोटके कब तक चलेंगे?

देश में किसानों की आत्महत्याओं में 10% कमी आई, लेकिन मध्य प्रदेश में 2013 से किसान आत्महत्याओं में 21% का उछाल आया

अरुण पांडेय
पॉलिटिक्स
Updated:
बाबाओं को राज्यमंत्री बनाने से पहले भी शिवराज ऐसे अजीब फैसले ले चुके हैं
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बाबाओं को राज्यमंत्री बनाने से पहले भी शिवराज ऐसे अजीब फैसले ले चुके हैं
(फोटो: Reuters)

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सत्ता लगी फिसलने, तो सौगात लगी है बंटने. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कुछ ऐसा ही हाल है. वो अपने तीसरे कार्यकाल के अंतिम साल में तरह-तरह के टोटके कर रहे हैं, जिससे फिसलती सत्ता को संभाल सकें.

बाबाओं को राज्यमंत्री बनाने के इस फैसले से पहले भी वो पिछले एक साल से तो वो अजब-गजब फैसले ले रहे हैं. प्रशासन को सुधारने के बजाए वो उसमें रफू करने में जुटे हैं.

उनका एजेंडा सिर्फ यही है कि बातों से जितना काम चले तो चलाओ, अपना क्या है, खजाना सरकार का है, सो लुटाओ.

प्रशासनिक नाकामियों को छिपाने के लिए वो तरह-तरह के इवेंट कर रहे हैं. उनके इवेंट देखिए:

नमामि देवि नर्मदे यात्रा

बहाना था जल संरक्षण और नदी की साफ सफाई, लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि इस यात्रा के बाद नर्मदा की और दुर्गति हो गई. सरकार ने कोई अनुमान नहीं दिया, पर कांग्रेस नेता जयवर्धन सिंह कहते हैं कि 1800 करोड़ रुपए के खर्च में की गई नर्मदा सेवा यात्रा और हाथ कुछ नहीं आया.

शिवराज की ये यात्रा 148 दिन चली. इस दौरान हर जिले के कलेक्टर और एसपी और दूसरे अफसरों से अपना कामकाज छोड़ सिर्फ इस यात्रा की देखरेख का जिम्मा दिया है.

आदि शंकराचार्य एकात्म यात्रा

मध्य प्रदेश में आदि शंकराचार्य की ऐतिहासिक मूर्ति बनेगी(फोटो: फेसबुक)

प्रशासनिक नाकामियों से लोग जल्द ही नर्मदा यात्रा को भूल गए, तो शिवराज ने दूसरी धार्मिक यात्रा शुरू कर दी. उन्होंने उज्जैन में शंकराचार्य और साधुओं को जुटाकर ऐलान किया कि आदि शंकराचार्य की ऐतिहासिक मूर्ति बनाएंगे, जिसमें हर गांव से धातु इकट्ठा की जाएगी.

भोपाल में वीर भारत माता मंदिर

भोपाल में वीर भारत मंदिर बनाने का ऐलान कर दिया. जमीन अलॉट कर दी. बोले 100 करोड़ रुपया खर्च होगा, वीरों की गाथाएं लिखी जाएंगी. इस दौरान मध्य प्रदेश में किसान मुश्किलों से जूझ रहे थे. लेकिन शिवराज के पास हर समस्या से लोगों का ध्यान हटाने का बना-बनाया फॉर्मूला है या तो देशभक्ति के रंग में रंग दो या धार्मिक यात्रा शुरू कर दो.

पद्मावत बैन

फिल्म ‘पद्मावत’ का करणी सेना ने किया था विरोध (फोटो: फेसबुक)

पद्मावत पर बिना सोचे समझे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बैन का ऐलान कर दिया. इसे और नाटकीय बनाते हुए रानी पद्मावती को राष्ट्रमाता घोषित कर दिया. फिल्म बैन करने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई.

गायों के लिए आधार कार्ड

मध्य प्रदेश की 2.5 लाख गायों और भैंसों को आधार की तरह यूनिक नंबर देना शुरू कर दिया. गाय को माता बनाने की बात बार-बार दोहराई. राज्य के 4,000 वेटनरी कर्मचारियों को राज्य के सभी 90 लाख दुधारू जानवरों को यूनिक आईडी देने के काम में लगा दिया गया. लेकिन जैसे ही जोश ठंडा पड़ा, काम भी सुस्त पड़ गया है.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान अपने तीसरे कार्यकाल के अंतिम साल में तरह तरह के टोटके कर रहे हैं(फोटो: क्विंट हिंदी/तरुण अग्रवाल)

लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिवराज को ध्यान भटकाने वाले ये तरह-तरह के काम क्यों करने पड़ रहे हैं.

1. व्यापम घोटाला

हालांकि सीबीआई जांच में शिवराज सिंह को क्लीन चिट मिल गई है. पर ये सच है कि उनकी सरकार के एक पूर्व मंत्री और कई अफसरों पर दाग लगे हैं. अभी भी व्यापम घोटाले की जांच चल रही है, मामला कोर्ट में है.

2. किसानों पर फायरिंग

जून 2017 में मंदसौन में आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग में तीन किसानों की मौत हो गई. इस पर शिवराज चौहान की बहुत किरकिरी हुई. किसान कर्जमाफी और फसलों को वाजिब दाम दिए जाने की मांग कर रहे थे. शिवराज ने किसानों को शांत करने के उपवास किया. मारे गए किसानों के रिश्तेदारों को रातोरात मुख्यमंत्री के उपवास स्थल भोपाल लाया गया और कहलवाया गया कि उन्हें सीएम पर पूरा भरोसा है.

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3. किसानों की आत्महत्या

मध्य प्रदेश में 2016 में 1321 किसानों ने आत्महत्याएं की हैं. राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश में किसानों की आत्महत्याओं में 10 परसेंट कमी आई है, लेकिन मध्य प्रदेश में 2013 से किसान आत्महत्याओं में 21 परसेंट का उछाल आया है.

मुख्यमंत्री ने ठोस उपाए करने के बजाए सभी विधायकों से एक अप्रैल से किसान सम्मान यात्रा निकालने को कह दिया है.

4. फ्लॉप भावांतर भुगतान योजना

मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए तमाम ऐलान किए. न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी ली, भावांतर भुगतान योजना का ऐलान किया किसानों के लिए आंसू बहाए. लेकिन हालत ये है कि अभी भी आलू, प्याज, सोयाबीन, संतरा, मसूर तमाम फसल एमएसपी से नीचे बिक रहे हैं.

ये भी पढ़ें- किसके कहने पर शिवराज ने वापस ली ‘भावांतर भुगतान योजना’?

5. रेत माफिया और अपराध

रेत और खनन माफिया प्रशासन पर इतना हावी हो गया है कि सरकारी कर्मचारी और पत्रकार को जान गंवानी पड़ी है. हाल में ही भिंड में रेत माफिया पर खबर देने वाले पत्रकार को ट्रक ने कुचल दिया. इसके पहले दो सीनियर अधिकारी भी माफिया का शिकार बन चुके हैं.

6. मध्य प्रदेश में उग्र दलित आंदोलन

सोमवार को दलित आंदोलन का असर पूरे देश में रहा, लेकिन सबसे ज्यादा हिंसा मध्य प्रदेश में ही हुई. इस हिंसा में 8 लोगों की जान गई. इससे ऐसा लगता है कि राज्य सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा है.

इसके अलावा कुपोषण, महिलाओं के खिलाफ अपराध, खस्ता हाल खजाना, महंगा पेट्रोल-डीजल तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिनसे शिवराज चौहान लगातार बैकफुट पर हैं.

कांग्रेस ने पिछले 4 उपचुनावों में बीजेपी को पटखनी दी है. ऐसे में साफ लग रहा है कि सत्ता उनके हाथ से खिसक रही है. लेकिन ऐसे में लोगों का ध्यान भटकाने और विकास के बजाए धार्मिक आस्था के आधार पर लोगों का समर्थन लेने की कोशिश कामयाबी का शॉर्टकट ही नजर आती है.

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Published: 04 Apr 2018,09:16 PM IST

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