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IAS नियमों में संशोधन पर राज्यों का विरोध, ममता बनर्जी बोलीं-ये संविधान के खिलाफ

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आठ दिनों में दूसरा पत्र भेजा है

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IAS नियमों में संशोधन पर राज्यों का विरोध, ममता बनर्जी बोलीं-ये संविधान के खिलाफ

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केंद्र सरकार के आईएएस नियमों में प्रस्तावित बदलावों (IAS Rules Proposed Amendment) के खिलाफ राज्यों का विरोध बढ़ता जा रहा है. भले ही सरकार ने संशोधित मसौदे में मानदंडों को और कड़ा कर दिया हो, लेकिन ये प्रस्ताव आईएएस अधिकारियों की पोस्टिंग पर फैसला लेने के लिए सरकार को व्यापक अधिकार देता है.

गुरुवार, 20 जनवरी को, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerejee) ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आठ दिनों में दूसरा पत्र भेजा है. उन्होंने इस कदम को 'भारत की संवैधानिक योजना के बुनियादी ढांचे के खिलाफ' बताया है.

पांच राज्यों ने लिखा केंद्र को पत्र

ममता बनर्जी के पत्र के अलावा, महाराष्ट्र सरकार ने भी एक कैबिनेट मीटिंग में इन बदलावों का 'कड़ा विरोध' करने का फैसला किया. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि कम से कम पांच राज्यों ने प्रस्तावित बदलावों का विरोध करते हुए केंद्र को पत्र भेजे हैं. इनमें पश्चिम बंगाल और ओडिशा के अलावा बीजेपी और एनडीए शासित मध्य प्रदेश, बिहार और मेघालय शामिल है. बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुभानी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि मौजूदा व्यवस्था ही अच्छी है."

बाकी राज्यों ने अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी है, हालांकि महाराष्ट्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि वह इस कदम का विरोध करने के लिए केंद्र को एक पत्र भेजेगी. राज्यों को जवाब देने की समय सीमा 5 जनवरी से बढ़ाकर 25 जनवरी कर दी गई थी.

केंद्र का फैसला संघीय राजनीति के खिलाफ- ममता

मोदी को लिखे अपने नए पत्र में, ममता बनर्जी ने लिखा: "आगे संशोधित मसौदा संशोधन प्रस्ताव का मूल बिंदु ये है कि एक अधिकारी, जिसे केंद्र सरकार किसी राज्य से देश के किसी भी हिस्से में ले जाने का विकल्प चुन सकती है, बिना उसकी सहमति और राज्य सरकार के समझौते के बिना, जिसके तहत वह सेवा कर रहा है, अब अपने वर्तमान कार्य से तत्काल मुक्त हो सकता है."

उन्होंने केंद्र पर इस मामले को गैर-संघीय चरम सीमाओं तक ले जाने का आरोप लगाते हुए, उसने लिखा,

"मुझे संशोधित संशोधन प्रस्ताव पहले की तुलना में ज्यादा कठोर लगता है और वास्तव में ये हमारी महान संघीय राजनीति और बुनियादी ढांचे की नींव के खिलाफ है."
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
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महाराष्ट्र में भी विरोध 

मुंबई में महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिजली मंत्री नितिन राउत ने यह मुद्दा उठाया. द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, राउत ने कहा,

"मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ने मंत्रियों के साथ, केंद्र के उन संशोधनों का कड़ा विरोध करने का फैसला किया है जो स्पष्ट रूप से राज्य सरकारों से परामर्श किए बिना आईएएस अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर अधिकार देते हैं."
नितिन राउत, बिजली मंत्री, महाराष्ट्र

राउत की टिप्पणी और ममता के दूसरे पत्र में 12 जनवरी को केंद्र द्वारा राज्यों को भेजे गए संशोधित मसौदे का उल्लेख है. अपने नए मसौदे में, केंद्र ने दो और संशोधन शामिल किए, जो इसे किसी भी आईएएस अधिकारी को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जनहित में एक निर्धारित समय सीमा के भीतर बुलाने की शक्ति देता है.

उन्होंने कहा कि अगर राज्य अधिकारी को कार्यमुक्त करने में फेल रहता है, तो उसे केंद्र द्वारा निर्धारित नियत तारीख के बाद कार्यमुक्त माना जाएगा. सूत्रों ने कहा कि केंद्र ने आईपीएस और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के लिए इसी तरह के संशोधन का प्रस्ताव दिया है.

क्या है IAS नियमों में प्रस्तावित बदलाव? 

आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में प्रस्तावित संशोधन के जरिए विभिन्न राज्यों के आईएएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के नियमों को बदलने का प्रयास किया गया है.

20 दिसंबर को राज्यों को भेजे गए पहले पत्र में नियम 6(1) में दो संशोधन का प्रस्ताव रखा गया था. इसमें एक नया पैराग्राफ प्रस्तावित किया गया था, जो कहता है कि "प्रत्येक राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्ति के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व की सीमा तक विभिन्न स्तरों के पात्र अधिकारी ... उपलब्ध कराएगी." इसमें आगे कहा गया है कि "वास्तविक संख्या केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्त किए जाने वाले अधिकारी संबंधित राज्य सरकार के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएंगे.

दूसरे संशोधन में प्रस्तावित है कि असहमति के मामले में, राज्य सरकार केंद्र के निर्णय को एक निर्धारित समय के भीतर लागू करेगी. इसके अलावा कहा गया है कि "जहां भी संबंधित राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्णय को निर्धारित समय के भीतर लागू नहीं करती है, तो अधिकारीयों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तिथि से कैडर से मुक्त कर दिया जाएगा."

इनपुट- इंडियन एक्सप्रेस

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Published: 21 Jan 2022,10:36 AM IST

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