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रांची में INDIA गुट की रैली के नाम पर विवाद क्यों? 'उलगुलान' आदिवासी अस्मिता से कैसे जुड़ा?

रांची में 21 अप्रैल को इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की संयुक्त रैली हो रही है.

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<div class="paragraphs"><p>'उलगुलान'&nbsp; रैली से क्या है विपक्ष का संकेत ?</p></div>
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'उलगुलान'  रैली से क्या है विपक्ष का संकेत ?

(Photo- AAP/X)

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Ranchi: रांची में रविवार, 21 अप्रैल को इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की संयुक्त रैली हो रही है. इसे 'उलगुलान' रैली का नाम दिया गया है. अब इसके मतलब को लेकर खासा विवाद खड़ा हो गया है.

दरअसल, 'उलगुलान' जनजातीय भाषा-संस्कृति का शब्द है. ऐतिहासिक संदर्भों में इसका उपयोग आदिवासी अस्मिता एवं जल, जंगल, जमीन पर होने वाले हमलों के खिलाफ विद्रोह या क्रांति के लिए किया जाता रहा है.

स्वतंत्रता संग्राम के महान आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में अंग्रेजी हुकूमत और उनके द्वारा पोषित साहूकारों-सूदखोरों के अत्याचारों को आदिवासियों के स्वशासन-स्वराज और पहचान पर हमला बताते हुए उलगुलान का ऐलान किया था.

चूंकि आदिवासी मूल रूप से प्रकृति पूजक होते हैं और जल, जंगल, जमीन प्रकृति के घटक हैं, इसलिए इससे जुड़े 'उलगुलान' शब्द को भी इनकी संस्कृति में बेहद पवित्र माना जाता है.

अब रैली के लिए 'उलगुलान' शब्द के इस्तेमाल पर विवाद खड़ा हो गया है. रैली की मेजबानी कर रहे JMM (झारखंड मुक्ति मोर्चा) की कोशिश है कि वह राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की गिरफ्तारी को आदिवासी अस्मिता पर हमले के तौर पर प्रचारित करे और लोकसभा चुनाव में भावनात्मक मुद्दे के रूप में इसे भुनाए.

यही वजह है कि रैली के मुख्य मंच पर हेमंत सोरेन को जेल की सलाखों के भीतर दर्शाती एक बड़ी तस्वीर रखी गई है और जगह-जगह पर मोटे अक्षरों में 'उलगुलान' शब्द लिखा गया है.

हेमंत सोरेन की पत्नी और रैली की मुख्य मेजबान कल्पना सोरेन ने इस रैली को लेकर सोशल मीडिया पर लिखा, "यह देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता के लिए, अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में बंद जननेताओं की रिहाई के लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए झारखंड और झारखंडियत की रक्षा के सवालों के लिए उलगुलान है."

BJP ने रैली के लिए उलगुलान शब्द के इस्तेमाल पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है. झारखंड BJP के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, "आदिवासी समाज की जमीनों और उनके संसाधनों को लूटने और तबाह करने वाले उलगुलान जैसे पवित्र शब्द का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं? इंडी गठबंधन के साथियों को इतिहास में झांककर उलगुलान विद्रोह के बारे में पढ़ना चाहिए."

BJP नेता ने आगे कहा कि 'उलगुलान' विद्रोह मूल निवासियों के संसाधनों, उनकी जमीनों, उनके अधिकारों को जमीदारों और साहूकारों द्वारा छीने जाने के विरोध स्वरूप उत्पन्न हुआ था. आज इंडी गठबंधन उन्हीं साहूकारों और जमीदारों की तरह आदिवासी समाज की जमीनों को हड़पकर उलगुलान जैसे शब्द का राजनीतिकरण कर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहा है.

BJP नेता ने इस रैली के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा, "यह भ्रष्टाचारियों का भ्रष्टाचारियों के लिए भ्रष्टाचारियों द्वारा आयोजित किया जा रहा सम्मेलन है."

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