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UP में 'INDIA' की सीट शेयरिंग का क्या फॉर्मूला, कांग्रेस-SP-RLD को कितनी सीटें?

MP चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच हुई बयानबाजी के बाद रिश्तो में दरार देखने को मिली थी.

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>UP में 'INDIA' की सीट शेयरिंग का क्या फॉर्मूला, कांग्रेस-SP-RLD को कितनी सीटें?</p></div>
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UP में 'INDIA' की सीट शेयरिंग का क्या फॉर्मूला, कांग्रेस-SP-RLD को कितनी सीटें?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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INDIA ब्लॉक की चौथी बैठक 19 दिसंबर को नई दिल्ली में हुई. मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश किया गया तो वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर सीट शेयरिंग भी चर्चा का बड़ा विषय रहा. इस बीच, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सीट के बंटवारे को लेकर भी राजनीतिक कयास लगने शुरू हो गए हैं.

INDIA ब्लॉक की पिछली बैठक में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के न पहुंचने पर अफवाहों का बाजार गर्म था. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं के बीच हुई बयानबाजी के बाद रिश्तो में दरार देखने को मिली थी. हालांकि, चौथी बैठक में अखिलेश यादव अपने करीबी रामगोपाल यादव सहित राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी के साथ मंच पर नजर आए.

राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस महीने के अंत तक इंडिया ब्लॉक में उत्तर प्रदेश को लेकर सीट के बंटवारे पर समझौता हो सकता है.

किसको मिल सकती है कितनी सीटें?

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ था. भारत निर्वाचन आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस ने कल 114 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा किए थे और सिर्फ सात पर जीत दर्ज कर पाई थी. पूरे प्रदेश में कांग्रेस का वोट शेयर 6.25% था. प्रदेश में अपनी खोई जमीन तलाश में जुटी कांग्रेस का 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों में ज्यादा सुधार नहीं दिखाई दिया.

INDIA ब्लॉक की चौथी बैठक 19 दिसंबर को दिल्ली के होटल अशोका में हुई.

(फोटो: अखिलेश यादव/फेसबुक)

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में वोट शेयर 6.31% था.

पार्टी को इन चुनाव में सिर्फ अपनी पारंपरिक रायबरेली सीट पर जीत नसीब हुई थी. पार्टी का दूसरा गढ़ माने जाने वाले अमेठी सीट पर बीजेपी की स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी को शिकस्त दी थी.

अमेठी के अलावा फतेहपुर सीकरी और कानपुर ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां पर 2019 में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी. वहीं, सहारनपुर, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव और वाराणसी उन लोकसभा सीटों में शामिल है, जहां पर पार्टी को डेढ़ लाख से ज्यादा वोट मिले थे. ऐसे में ये आसानी से कहा जा सकता है कि पूरे प्रदेश में 8 से 10 ऐसी सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस गठबंधन में सकारात्मक भूमिका निभा सकती है.

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पार्टी सूत्रों की मानें तो सीट समझौते की बातचीत के दौरान 20 से 25 सीटों की पेशकश की जाएगी. हालांकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि सीट के बंटवारे को लेकर पूर्व के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन सबसे बड़ा आधार होगा और ऐसे में गठबंधन में कांग्रेस को 10 से 15 सीटों के बीच संतोष करना पड़ सकता है.

INDIA ब्लॉक में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का सक्रिय साथी राष्ट्रीय लोकदल है. राज्य का गन्ना बेल्ट कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर मेरठ जोन में पार्टी का कुछ जिलों में प्रभाव है. 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के 8 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. प्रदेश में पार्टी का वोट शेयर 2.85% था. सीट बंटवारे की बात करें तो पार्टी मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और मथुरा की जाट और मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर सकती है.

आसान नहीं होगी सीट बंटवारे की राह

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे को लेकर हुई रार का असर उत्तर प्रदेश में देखा जा सकता है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले अजय राय ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान सीट बंटवारे को लेकर हो रही बयानबाजी में अखिलेश यादव पर खुलकर हमला बोला था. इसको लेकर अखिलेश यादव समेत समाजवादी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके है.

सोनिया गांधी और रामगोपाल यादव एक-दूसरे का अभिवादन करते हुए 

(फोटो: एक्सेस बॉय क्विंट हिंदी)

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस बैकफुट पर है और उत्तर प्रदेश में SP बड़े भाई की भूमिका में है. ऐसे में बारगेनिंग टेबल पर कांग्रेस की राह आसान नहीं होने वाली है. सीट बंटवारे के समीकरण पर अभी गठबंधन का आधिकारिक फैसला नहीं आया है लेकिन इतना तो तय है इसको लेकर आने वाले समय में गठबंधन के अंदर खींचतान देखी जा सकती है.

अखिलेश यादव

(फोटो: अखिलेश यादव/फेसबुक)

वहीं, अगर आरएलडी की बात करें तो पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक साथ कई मौके पर मंच पर साथ दिखाई देते हैं. इसे यह संकेत तो जरूर मिल गया कि दोनों पार्टियां 2024 लोकसभा चुनाव साथ लड़ेंगी लेकिन जमीनी स्तर पर कई ऐसे मुद्दे हैं इनको दोनों पार्टियों को साथ मिलकर समाधान निकालना होगा.

अखिलेश यादव और जयंत चौधरी

(फोटो: अखिलेश यादव/फेसबुक)

2022 विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता और नेता सीट बंटवारे को लेकर आमने-सामने आ गए थे. कुछ ऐसी ही स्थिति 2023 में संपन्न हुए निकाय चुनाव के दौरान हुई जब गठबंधन को लेकर इन दोनों पार्टियों के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया.

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