advertisement
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में आर्टिकल 370 (Article 370) हटाए जाने के करीब दो साल बाद फिर राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई महीनों तक हिरासत में रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों और कश्मीरी नेताओं के साथ 24 जून को बैठक करेंगे.
हालांकि, बैठक का एजेंडा अभी साफ नहीं है. जहां कई लोगों ने इसे परिसीमन की प्रक्रिया के लिए बैठक बताया है, तो वहीं कई लोग इसे अंतरराष्ट्रीय दबाव और चीनी घुसपैठ के बीच बीजेपी के लिए स्थानीय समर्थन हासिल करने के लिए पीएम मोदी द्वारा “फोटो सेशन” कह रहे हैं.
गुपकार गठबंधन के प्रवक्ता और CPI(M) नेता एम वाई तारिगामी ने द क्विंट को बताया कि पार्टी को उम्मीद है कि ये घाटी की समस्याओं को सुलझाने की एक वास्तविक कोशिश हो.
उन्होंने कहा, “जहां तक प्रधानमंत्री की बैठक की बात है, हमने बार-बार ये कहा है कि 5 अगस्त 2019 को लद्दाख सहित जम्मू-कश्मीर के लिए जो कुछ भी किया गया, वो हमारे अधिकारों और भारत के संविधान की मूल संरचना पर हमला है. हम सभी जानते हैं कि हमारे संवैधानिक अधिकारों, (और) राजनीतिक अधिकारों को कुछ सुरक्षा दी गई थी, जो अब हमसे छीन लिए गए हैं. एक ऐतिहासिक राज्य को बिना किसी चर्चा के, आबादी के किसी भी वर्ग के साथ बहस के बिना, राजनीतिक नेतृत्व के किसी भी हिस्से से बिना चर्चा किए, मनमाने ढंग से विभाजित कर दिया गया.”
उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि केंद्र ने ये महसूस करने के बाद बातचीत शुरू की हो कि वो घाटी में स्थिति से अपने आप निपटने में विफल रहा है. तारिगामी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि ये बैठक सिर्फ एक फोटो सेशन के लिए नहीं है, आशा करते हैं कि ये सिर्फ एक दिखावा नहीं है. हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली में सत्ता संभालने वालों में कुछ गंभीरता होनी चाहिए.”
द क्विंट से बात करते हुए, पीपल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रवक्ता अदनान अशरफ ने कहा कि ये बैठक, आर्टिकल 370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा को उजागर करने का एक अवसर है.
उन्होंने कहा, “हम अपने दर्द और पीड़ा के बारे में प्रधानमंत्री को बताएंगे, और हम उम्मीद करेंगे कि इस बैठक के बाद लोकतंत्र की वापसी और जम्मू-कश्मीर के लोगों के सशक्तिकरण में मदद मिलेगी. दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक नया संबंध बनाने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करने का समय आ गया है. हम इस वार्ता को सकारात्मक, निर्णायक और परिणाम वाला बनाने की जरूरत पर जोर देंगे. इसके अलावा, हम 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में हुए बदलाव के बारे में भी पीएम को जानकारी देंगे.”
अशरफ ने कहा कि पिछले दो सालों में लोगों और प्रशासन के बीच की खाई और गहरी हुई है. उन्होंने कहा कि लेटेस्ट सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर कई इंडिकेटर्स में पीछे रहा है. अशरफ ने कहा कि प्रशासन की विफलता बैठक के पीछे का इकलौता कारण नहीं हो सकती, लेकिन इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined