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दिल्ली के दंगल में NDA की सहयोगी पार्टियां ही एक दूसरे के खिलाफ दांव खेल रही हैं. बिहार की LJP, JDU और RJD दिल्ली में दांव आजमा रही हैं तो इससे सबसे ज्यादा चुनौती किसे मिलेगी, बीजेपी को या आम आदमी पार्टी को? और बिहार से इतनी दूर दिल्ली में ये पार्टियां क्यों सियासी सरगर्मी बढ़ा रही हैं. आखिर उनकी मंशा क्या है? ये देश की राजधानी में अपने लिए जमीन तलाश रही हैं या फिर बैक होम अपनी जमीन पर पकड़ बरकरार रखने की रणनीति है?
जेडीयू झारखंड में भी बीजेपी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरी थी, लेकिन पार्टी के हाथ एक भी सीट नहीं लग पाई. अब जेडीयू, पार्टी विस्तार के नाम पर दिल्ली में भी दो-दो हाथ करने को तैयार है.
हालांकि सवाल ये है कि जब बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में जेडीयू अपना खाता तक नहीं खोल पाई तो क्या दिल्ली में एक सीट भी जीत पाएगी. जेडीयू दिल्ली में कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी इसकी घोषणा पार्टी ने अभी तक नहीं की है. माना जा रहा है कि जेडीयू 12 से 15 सीटों पर उम्मीदवार खड़ी कर सकती है. जेडीयू का दिल्ली के चुनाव मैदान में उतरना आप दो तरीकों से देख सकते हैं. अगल नीतीश के नाम पर कुछ अल्पसंख्यक वोट जेडीयू को मिले तो फायदा बीजेपी को ही होगा क्योंकि ये वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कटेंगे. लेकिन जेडीयू दिल्ली में मूल रूप से पूर्वांचली वोटरों को टारगेट कर रही है. अगर इसमें वो कामयाब रही तो घाटा बीजेपी को होगा.
देश की राजधानी में पहुंच बनाना हर पार्टी चाहती है. तो एलजेपी दिल्ली में किन वोटरों को टारगेट करेगी? जाहिर है उसका निशाना दलित-पिछ़़ड़ों से लेकर पूर्वांचल वोटरों पर एलजेपी निर्भर करेगी. चूंकि दिल्ली में एलजेपी की कोई पैंठ है नहीं तो चुनाव लड़ने की रणनीति चौंकाती है. लेकिन जरा सोचिए अगर बीजेपी को दिल्ली में बहुमत से कुछ कम सीटें मिलती हैं और एलजेपी एक दो सीटों से मदद देकर उसकी सरकार बना पाए तो क्या होगा?
झारखंड में आरजेडी एक सीट पर जीत कर जेएमएम और कांग्रेस के साथ सरकार में शामिल है. इससे पार्टी का मनोबल काफी बढ़ा है और अब दिल्ली में भी अपना वजूद तलाश रही है. बिहार की क्षेत्रीय पार्टी जेडीयू और एलजेपी जब दिल्ली के मैदान में उतर चुकी है तो बिहार की सबसे बड़ी पार्टी आरजडी कैसे पीछे रह सकती है. आरजेडी ने भी यहां 5 से 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. हालांकि, आरजेडी ने झारखंड की तरह दिल्ली में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने का मन बनाया है और उसे 12 सीट मिलने की उम्मीद है. लेकिन अगर कांग्रेस से बात नहीं बनी तो पूर्वांचल वोटरों के हिसाब से 5 से 6 सीट पर आरजेडी का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.
दिल्ली में वैसे मुख्य रूप से बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच टक्कर है. लेकिन बिहार की क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव में अपना दमखम दिखा रही हैं. दिल्ली की करीब 40 फीसदी आबादी पूर्वांचली है और 12 सीटें तो ऐसी हैं, जहां पूर्वांचल वोटर निर्णायक स्थिति में है.
दिल्ली पर अब तक आए एकमात्र चुनाव पूर्व सर्वे (ABP-C VOTER) में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है लेकिन ये अभी अनुमान ही है. पूर्वांचली असल वाली सीटों पर अगर जेडीयू, एलजेपी और आरजेडी को कामयाबी मिली तो बीजेपी, AAP और कांग्रेस का चुनावी गणित बिगड़ सकता है. अगर जेडीयू, एलजेपी और आरजेडी इन सीटों पर अपना कब्जा जमाने में सफल हो जाती हैं तो दिल्ली की सत्ता का सरताज तय करने में बिहार की क्षेत्रीय पार्टियां अहम भूमिका निभा सकती हैं.
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Published: 16 Jan 2020,08:52 PM IST