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सोरेन सरकार ने दी विधानसभा में नमाज हॉल को मंजूरी, बीजेपी ने मांगा हनुमान मंदिर

दो दिन बाद सार्वजनिक हुए इस आदेश ने अब राज्य की राजनीति में एक बड़े विवाद का रूप ले लिया है

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<div class="paragraphs"><p>झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन &nbsp;</p></div>
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झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन  

(फोटो: PTI)

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2 सितंबर को झारखंड (Jharkhand) में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार ने विधानसभा परिसर में "नमाज हॉल" (Namaz hall) के आवंटन के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया. लेकिन दो दिन बाद सार्वजनिक हुए इस आदेश ने अब राज्य की राजनीति में एक बड़े विवाद का रूप ले लिया है.

झारखंड विधानसभा के स्पीकर रवींद्रनाथ महतो के आदेश पर डिप्टी स्पीकर नवीन कुमार द्वारा साइन किये गए एक नोटिफिकेशन में कहा गया कि "नए विधानसभा भवन में नमाज पढ़ने के लिए कमरा नंबर TW 348 का नमाज हॉल के रूप में आवंटन किया जायेगा"

बीजेपी ने किया कड़ा विरोध

जहां एक तरफ सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने इस कदम का स्वागत किया है, वहीं बीजेपी ने ‘नमाज हॉल’ के आवंटन का कड़ा विरोध किया है. अब बीजेपी विधानसभा परिसर में हनुमान मंदिर निर्माण की मांग कर रही है. साथ ही भगवा पार्टी ने दूसरे धर्म के लोगों के लिए अलग पूजा हॉल बनाने की भी मांग सामने रखी है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ‘नमाज हॉल’ आवंटित करने के कदम की निंदा करते हुए बीजेपी नेता रघुवर दास ने कहा कि अगर स्पीकर ने आदेश वापस नहीं लिया तो पार्टी आंदोलन करेगी. उन्होंने दावा किया कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक खुले तौर पर तालिबान का समर्थन करते हैं और कहा कि यह आदेश इसी विचारधारा का परिणाम है.

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“ अन्यथा लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा काम नहीं करेगा. सोरेन सरकार तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति के लिए संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को भी धूमिल कर रही है. झारखंड के लिए अच्छा संकेत नहीं है यह”
रघुबर दास (हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार)

साथ ही बाबूलाल मरांडी, सीपी सिंह सहित कई अन्य बीजेपी नेताओं ने भी इस कदम की कड़ी आलोचना की है.

बीजेपी के चीफ व्हिप विरांची नारायण ने भी विधानसभा स्पीकर को लेटर लिखकर आदेश वापस लेने को कहा है. लेटर में उन्होंने कहा कि अगर स्पीकर कुछ "राजनीतिक दबाव" के कारण आदेश वापस नहीं लेते हैं तो वो अदालत जायेंगे. उनके अनुसार यह आदेश "असंवैधानिक", "असंसदीय" और "मुस्लिम तुष्टीकरण का आदेश" है.

एक तरफ जहां बीजेपी नेता मरांडी ने इसे असंवैधानिक कहा और मांग की कि विधानसभा में एक भव्य हनुमान मंदिर और अन्य धर्म के लोगों के लिए अलग पूजा कक्ष बनाया जाएं, तो दूसरी तरफ सीपी सिंह ने कहा कि सरकार को एक भव्य हनुमान मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए ताकि हनुमान चालीसा का पाठ हिंदू कर सकें .

पत्रकारों से बात करते हुए सीपी सिंह ने कहा,

"इस देश में हम किसी भी धर्म के विरोधी नहीं हैं और सब अपनी पसंद के धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है. लेकिन साथ ही संसद और विधानसभाओं को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है, न कि किसी विशेष धर्म का. इसलिए यदि राज्य विधानसभा नमाज के लिए जगह आवंटित करती है, तो हम भी हनुमान मंदिर बनाने की भी मांग करते हैं."

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सीपी सिंह ने दावा किया कि उनकी मांग सही है क्योंकि विधानसभा में अधिकांश सदस्य हिंदू हैं. उन्होंने कहा कि 82 सदस्यों में से केवल 4 अन्य धर्म से जबकि बाकी हिंदू धर्म का पालन करते हैं.

इस बीच कांग्रेस और झामुमो ने बीजेपी की मांगों और दावों को नकार दिया है. स्पीकर ने कहा कि आदेश में कुछ भी नया नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले भी मुस्लिम विधायकों के जुम्मे की नमाज में शामिल होने के लिए निर्धारित समय से आधे घंटे पहले सदन को स्थगित करने की प्रथा थी.

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