advertisement
झारखंड में एक 22 साल के मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या और जय श्रीराम के नारे लगवाने की घटना पर सियासत तेज हो चुकी है. पूरे देशभर में झारखंड की इस घटना की चर्चा हो रही है. विपक्षी पार्टियों ने भी इस मॉब लिंचिंग की घटना पर बीजेपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि बीजेपी की सरकारों में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं.
ओवैसी ने कहा कि 2014 से लेकर 2019 तक मॉब लिंचिंग की इतनी घटनाएं हुई थीं. लेकिन अब फिर से ऐसी घटनाएं शुरू हो चुकी हैं. ऐसी घटनाएं खत्म नहीं होंगी. ये तभी खत्म हो सकती हैं, जब बीजेपी की सरकार अपने संवैधानिक मूल्यों को निभाए. लेकिन सरकार ऐसा करने में नाकाम साबित हो रही है. अगर कोई मुजरिम भी है तो आपको किसने जान लेने का हक दिया है?
झारखंड के मंत्री सीपी सिंह का कहना है कि जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं तो उन्हें बीजेपी और आरएसएस से जोड़ दिया जाता है. उन्होंने कहा, आजकल एक ट्रेंड चल पड़ा है कि जब भी मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं होती हैं तो उन्हें बीजेपी, आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल से जोड़ दिया जाता है. यह कट एंड पेस्ट वाला समय है, जरूरत के हिसाब से किसी को कहीं भी जोड़ दिया जाता है. सरकार जांच कर रही है. लेकिन ऐसी घटनाओं का राजनीतिकरण गलत है.
झारखंड के खरसावां जिले में बीते 18 जून को 24 वर्षीय तबरेज अंसारी को पहले चोरी के शक में पकड़ा गया. बाद में उसे खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा गया. मौके पर जमा भीड़ इस पर भी नहीं रुकी. भीड़ ने मुस्लिम युवक से जबरन 'जय श्री राम' के नारे लगवाए. जब मुस्लिम युवक मरने की हालत में पहुंच गया, तो भीड़ ने उसे पुलिस के हवाले कर दिया. इसके बाद पुलिस ने युवक को गंभीर हालत में एक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसने 22 जून को दम तोड़ दिया. घटना के कई वीडियो भी वायरल हुए हैं.
झारखंड में इससे पहले भी कई मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आई हैं. झारखंड जनाधिकार मोर्चा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा बीजेपी सरकार में कम से कम 12 लोगों को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया. इनमें 10 मुसलमान और 2 आदिवासी शामिल थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined