मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019BJP के ‘जितिन टूलकिट’ में क्या है- ब्राह्मण वोट, विपक्ष पर चोट...

BJP के ‘जितिन टूलकिट’ में क्या है- ब्राह्मण वोट, विपक्ष पर चोट...

BJP का मिशन यूपी शुरू, जितिन प्रसाद के आने से बदलेंगे समीकरण?

मुकेश बौड़ाई
पॉलिटिक्स
Updated:
Jitin Prasad| बीजेपी ने जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल कर गरम किया यूपी का चुनावी माहौल
i
Jitin Prasad| बीजेपी ने जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल कर गरम किया यूपी का चुनावी माहौल
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

जितिन प्रसाद...एक ऐसा नेता जो खानदानी कांग्रेसी रहा है, वो बीजेपी में क्यों चला गया? एक ऐसा नेता जो 2014 के बाद लगातार चुनाव हार रहा है, उसे बीजेपी ने इतने धूम धड़ाके के साथ क्यों पार्टी में शामिल कराया? इन दोनों सवालों के जवाब आप जितिन की अपनी मजबूरियों, बीजेपी की जरूरतों, यूपी में कांग्रेस की स्थिति और योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने के आरोपों में ढूंढ सकते हैं.

डूबती नैया, नई जमीन की तलाश

एक तो यूपी में कांग्रेस का बुरा हाल ऊपर से अपनी घटती पकड़, आने वाले यूपी चुनाव से पहले जितिन को नई जमीन की तलाश थी. साल 2014 में उन्होंने धौरहरा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. इसके बाद 2017 में हुए यूपी विधासभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें शाहजहांपुर की तिलहर सीट से टिकट दिया, लेकिन जितिन प्रसाद विधानसभा चुनाव भी हार गए. फिर एक बार 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जितिन प्रसाद पर भरोसा दिखाया और धौरहरा से ही टिकट दिया, लेकिन इस बार भी वो बुरी तरह से हारे. इस हार के बाद से ही यूपी कांग्रेस में उनका रुतबा कम होने लगा था और पार्टी से नाराजगी बढ़ने लगी थी.

जितिन प्रसाद 2001 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्हें यूथ कांग्रेस का सचिव बनाया गया. उन्होंने 2004 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा. जिसके बाद वो शाहजहांपुर से सांसद चुने गए. इसके बाद 2008 में उन्हें केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री का पद सौंपा गया. इसके बाद 2009 में भी वो धौरहरा से सांसद चुने गए और कई मंत्रालयों में बतौर मंत्री काम किया.

जितिन के बगावती तेवर काफी समय से नजर आ रहे थे. ऐसा माना जाता है कि वो लंबे समय से बीजेपी के संपर्क में थे.

कब-कब दिखे बगावती तेवर?

साल 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं. जिसमें बताया गया कि जितिन बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ सकते हैं. इसे लेकर जब जितिन से सवाल पूछा गया था तो उन्होंने इनकार भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि ये एक काल्पनिक सवाल है, जिसका जवाब मैं नहीं दे सकता हूं. यानी उन्होंने अटकलों पर पूरी तरह विराम नहीं लगाया.

इसके बाद जितिन का नाम तब सामने आया जब कांग्रेस के 23 बड़े नेताओं ने सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिखी. जिसमें पार्टी में तमाम तरह के सुधारों की बात कही गई थी. ये सभी नेता पार्टी से नाराज चल रहे थे. इनमें जितिन प्रसाद का भी नाम शामिल था. इसके बाद जितिन प्रसाद का यूपी कांग्रेस में काफी विरोध हुआ. 2020 में कांग्रेस जिला इकाई ने जितिन को पार्टी से निकालने का प्रस्ताव भी जारी कर दिया था. जितिन प्रसाद को यूपी कोर कमेटी से भी बाहर कर दिया गया था.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बंगाल चुनावों को लेकर उठाई थी आवाज

चिट्ठी विवाद थमने के बाद जब पश्चिम बंगाल चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा हो रही थी, तब भी जितिन प्रसाद की नाराजगी देखने को मिली थी. उन्होंने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पर हमला बोलते हुए कहा था कि, उम्मीदवारों का ऐलान करने में देरी क्यों हो रही है. साथ ही उन्होंने गठबंधन को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए थे.

इसके अलावा जब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की करारी हार हुई तो जितिन प्रसाद को एक और मौका मिला. उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में खुलेआम कहा कि कांग्रेस को आईएसएफ के साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा था कि इस गठबंधन ने कांग्रेस की संभावनाओं को चौपट कर दिया.

जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस से बगावत कर चुके हैं. उन्होंने साल 2000 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी को ही चुनौती दे दी थी. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन बुरी तरह हार गए. इसके कुछ ही महीने बाद उनका निधन हो गया.

बार-बार हार रहे नेता को बीजेपी ने क्यों लिया?

अब सवाल ये है कि जब पिछले करीब 7 साल से जितिन प्रसाद का राजनीतिक करियर ठीक नहीं चल रहा है तो ऐसे में बीजेपी ने उन्हें इतने जोर शोर के साथ अपने पाले में क्यों शामिल किया? दरअसल हालिया इतिहास पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि ये अब बीजेपी की SOP का हिस्सा है. हिमाचल में सुखराम हों या फिर उत्तराखंड में एनडी तिवारी, चुनाव पूर्व तोड़फोड़ अब चुनाव लड़ने का अहम हथियार बन चुका है. असम से लेकर बंगाल तक उदाहरण भरे पड़े हैं. यूपी में आने वाले समय में इस पैटर्न पर और भी घटनाक्रम आप देखें तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए. यूपी में ये और भी जरूरी है कि क्योंकि योगी सरकार ने प्रोग्रेस से लेकर परसेप्शन तक में खूब बदनामी कमाई है. रही सही कलई कोरोना ने खोल दी. अब नौबत ये है कि बीजेपी आलाकमान से लेकर आरएसएस तक चिंता में है. तो जितिन भले ही अपने साथ बहुत बड़ी सियासी साख नहीं लाएंगे लेकिन माहौल बना सकते हैं. कांग्रेस का 20 साल पुराना सिपहसलार टूटेगा तो सोशल मीडिया के सैनिकों के जरिए खूब पटाखे फोड़े जाएंगे. और एक बार फिर से हम नहीं तो और कौन का नेरिटिव चलेगा.

जितिन को लाने के पीछे एक और वजह हो सकती है ब्राह्मण वोट. पिछले कई महीने से यूपी की राजनीति में ब्राह्मण बनाम ठाकुर की बहस चल ही है. योगी सरकार पर ब्राह्मण नेताओं ने खुलकर ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लगाए हैं. ऐसे में जितिन प्रसाद को लाकर पार्टी एक बैलेसिंग एक्ट कर रही है. जितिन भी हाल फिलहाल अलग ट्विटर हैंडल के जरिए अपनी पोजिशनिंग ब्राह्मण नेता के तौर पर करा रहे थे. ब्राह्मण चेतना परिषद जैसे हैंडल देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ये पूरी तरह से जितिन का प्रचार कर रहे थे.

प्रत्यक्ष तौर पर लग सकता है कि कांग्रेस को बड़ी चोट है, लेकिन जिस तरह से जितिन बीजेपी की लाइन पर लोकसभा क्षेत्रों के परिसीमन की पैरवी कर रहे थे, जिस तरह से पार्टी को लेकर बयानबाजी कर रहे थे, उससे ये कितनी बड़ी चोट है, ये बहस का विषय हो सकता है. यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और जितिन ने अपने दांव खेले हैं, उनके लिए भी देखना होगा कि ये दांव क्या नतीजे लाता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 09 Jun 2021,05:04 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT