advertisement
वामपंथ का गढ़ माने जाने वाली JNU के छात्रसंघ चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट ने एक बार फिर क्लीन स्वीप किया है. चारों बड़े पदों पर लेफ्ट को जीत मिली है. बड़ी बात ये है कि 2017 के चुनाव में जहां ABVP ने लेफ्ट को अच्छी खासी टक्कर दी थी, वो 'कड़ी टक्कर' इस बार नहीं दिखी. प्रेसिडेंट-वाइस प्रेसिडेंट के पदों पर लेफ्ट और एबीवीपी के वोटों के बीच अच्छा-खासा मार्जिन रहा. चुनाव में पहली बार उतरे आरजेडी उम्मीदवार जयंत जिज्ञासु प्रेसिडेंट पद के चुनाव में चौथे स्थान पर रहे.
जेएनयू प्रेसिडेंट के चुनाव में 2017 में यूनाइटेड लेफ्ट और एबीवीपी के बीच 464 वोट का अंतर था. यूनाइटेड लेफ्ट की गीता पांडेय ने 1506 वोट हासिल कर एबीवीपी की निधि त्रिपाठी को मात दिया था.
ये जीत का मार्जिन 2018 के चुनाव में बढ़कर 1,179 वोटों का रहा यानी दोगुने से ज्यादा के अंतर से इस बार यूनाइटेड लेफ्ट को जीत मिली. लेफ्ट के एन साईं बालाजी ने एबीवीपी के ललित पांडेय को मात दी है.
वहीं वाइस प्रेसिडेंट पद की बात करें तो पिछले साल यूनाइटेड लेफ्ट और एबीवीपी के बीच 848 वोट का मार्जिन था. लेफ्ट की सिमन जोया खान ने कुल 1876 वोट हासिल कर एबीवीपी के दुर्गेश कुमार को मात दी थी. अब ये मार्जिन बढ़कर 1580 हो गया है. लेफ्ट की सारिका चौधरी ने ABVP की गीता बरुआ को हराया है.
जनरल सेक्रेटरी के पद पर भी यूनाइटेड लेफ्ट की जीत का मार्जिन पिछले साल से ज्यादा रहा. 2017 में लेफ्ट के उम्मीदवार ने ABVP के उम्मीदवार को 1107 वोटों से हराया था. इस बार ये अंतर 1200 वोटों का रहा.
हालांकि,ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर 2017 में दोनों पार्टियों के बीच 835 वोटों का अंतर रहा था, जो इस बार घटकर 757 वोट का ही रहा.
बिरसा-अंबेडकर-फुले स्टूडेंट एसोसिएशन यानी BAPSA का प्रदर्शन 2017 के मुकाबले खराब रहा है. पिछले साल के चुनाव में उसे इन चारों सीट पर 850 से ज्यादा वोट मिले थे लेकिन इस बार वो वैसा प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी है.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)