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उत्तर प्रदेश के कैराना, महाराष्ट्र के गोंदिया-भंडारा लोकसभा सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. इसी के साथ बीजेपी की दो और सीटें छिन गईं हैं. हालांकि, महाराष्ट्र के पालघर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र गावित ने जीत हासिल की है.
हार की ये शुरुआत हुई थी मध्य प्रदेश के रतलाम सीट से जो अब राजस्थान, उत्तर प्रदेश होते हुए महाराष्ट्र तक पहुंच गई है.
कैराना में विपक्ष पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ एकजुट था. आरएलडी की प्रत्याशी तबस्सुम हसन, बीजेपी की प्रत्याशी मृगांका सिंह को टक्कर दे रही थीं. तबस्सुम को एसपी, कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियों के समर्थन का पूरा फायदा हुआ और उन्होंने दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को हरा दिया.
भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट पर एनसीपी उम्मीदवार मधुकर कुकड़े ने बीजेपी के हेमंत पटले को शिकस्त दी है. कुकड़े को कांग्रेस का भी समर्थन हासिल था. ये सीट बीजेपी सांसद नाना पटोले ने पार्टी से नाराज होकर छोड़ दी थी.
इसी साल मार्च में यूपी के गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली थी. इस हार के मायने कुछ अलग थे, क्योंकि दोनों सीटों पर सालों तक दुश्मन रही एसपी-बीएसपी ने मिलकर बीजेपी के साथ मुकाबला किया था. इसका नतीजा ये रहा कि यूपी के सीएम और डिप्टी सीएम की सीटें छिन गईं.
2014 में मोदी 'लहर' की बात की जा रही थी. ऐसे में 2014 में हुए बीड और नरेंद्र मोदी की सीट वडोदरा में बीजेपी ने करीब 7 लाख और 3 लाख वोटों से उप चुनाव जीता. 2015 में इस 'लहर' के रास्ते में रुकावट एमपी के रतलाम सीट पर आई और बीजेपी ने वो सीट कांग्रेस के हाथों गंवा दी. साल 2017 और 2018 में हुए 3 लोकसभा उपचुनाव में इस लहर की रफ्तार कुंद पड़ी और बीजेपी ने गुरदासपुर, अलवर, अजमेर, गोरखपुर, फूलपुर, कैराना, भंडारा-गोंदिया सीटें गंवा दीं.
इसी के साथ लोकसभा में बीजेपी के सीटों की संख्या 273 हो गई है. हाल ही में कर्नाटक से बीजेपी सांसद बीएस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया था. तब 2014 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था, जब लोकसभा में बीजेपी की सीटें घटकर 272 रह गईं.
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