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झारखंड की गांडेय विधानसभा सीट से कल्पना सोरेन ने नामांकन दाखिल कर दिया है. कल्पना जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की पत्नी है. हेमंत सोरेन फिलहाल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 जनवरी से न्यायिक हिरासत में हैं. कल्पना को जेएमएम ने गांडेय सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया है, जो पिछले साल डॉ. सरफराज अहमद के नाटकीय ढंग से दिए इस्तीफे के बाद से खाली है.
ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या है गांडेय सीट का इतिहास? 2019 के चुनाव के क्या नतीजे थे? यहां का जातीय समीकरण कैसा है? और कल्पना सोरेन के लिए यहां बढ़त है या चुनौती?
गांडेय सीट पर अब तक 10 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इसमें से पांच बार राज्य बंटवारे (बिहार के झारखंड से अलग होने से) के पहले और पांच बार विभाजन के बाद. अब तक हुए चुनावों के अनुसार, इस सीट पर पांच बार- 1985, 1990, 2000, 2005 और 2019- झारखंड मुक्ति मोर्चा, दो -दो बार कांग्रेस- बीजेपी और एक बार जनता पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली है.
कांग्रेस ने यहां 1980 और 2009 में जीत हासिल की थी. वहीं बीजेपी को 1995 और 2014 जबकि जनता पार्टी को 1977 में यहां पर जीत हासिल हुई थी. यहां पर सबसे अधिक सालखन सोरेन ने चार बार और सरफराज अहमद ने तीन बार जीत हासिल की है. कुल मिलाकर देखें तो गांडेय जेएमएम के प्रभाव वाली सीट है.
नामांकन दाखिल करतीं जेएमएम नेता कल्पना सोरेन.
पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में यहां से झारखंड मुक्ति मोर्चा के डॉ. सरफराज अहमद चुनाव जीतने में सफल हुए थे. उन्हें 65, 023 हजार से अधिक वोट मिले थे और उनका वोट शेयर 34.71 प्रतिशत था. जबकि पहले रनरअप रहे बीजेपी प्रत्याशी जय प्रकाश वर्मा को 56, 168 हजार वोट मिला था. वर्मा का वोट शेयर 29.98 फीसदी था. तीसरे नंबर पर एजेएसयू के अर्जुन बैठा थे, जिन्हें 15, 168 मत से संतोष करना पड़ा था.
वहीं, जेवीएम(पी) के दिलीप कुमार वर्मा को 8,952 वोट मिले, जो छठवें नंबर पर रहे थे.
पिछली बार यहां पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) ने भी अपना प्रत्याशी उतारा था. ओवैसी की पार्टी से इन्तेखाब अंसारी को मैदान में थे, जिन्हें 6,039 वोट मिले और उन्हें आठवें स्थान पर संतोष करना पड़ा.
हालांकि, इस बार एजेएसयू बीजेपी के साथ है और जेवीएम का भगवा पार्टी में विलय हो चुका है. जबकि एआईएमआईएम और सीपीआई(एमएल) ने अभी तक कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. यहां पर नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 3 मई है.
कुल मिलाकर देखें तो अब तक की परिस्थिति के मुताबिक, यहां पर इस बार एनडीए के दिलीप कुमार वर्मा और इंडिया गुट की कल्पना सोरेन के बीच सीधा मुकाबला है.
2019 के चुनाव आयोग के डेटा के अनुसार, गांडेय में 2,69,330 लाख पंजीकृत मतदाता हैं. यह सीट गिरिडीह जिले के अंतर्गत आती है. गांडेय विधानसभा सीट झारखंड के मध्य क्षेत्र का हिस्सा है, और इसकी 97 फीसदी आबादी ग्रामीण और 3 फीसदी आबादी शहरी है. इस विधानसभा सीट में 11.35 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) तथा 20.23 फीसदी अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी है. वहीं, 23 प्रतिशत के करीब यहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं.
अगर गिरिडीह जिले में मुस्लिम आबादी की बात करें तो यह 508,586 लाख के करीब है. ऐसे में यह सीट आदिवासी और मुस्लिम प्रभाव वाली है, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए सुरक्षित मानी जाती है.
नामांकन करने के बाद कल्पना सोरेन लोगों के बीच पहुंचीं.
नामांकन के बाद कल्पना सोरेन ने रैली की.
जानकारों की मानें तो, गांडेय में मुस्लिम और आदिवासी को साध कर कल्पना सोरेने के लिए गोलबंदी की गई है. राज्य में आदिवासियों का जेएमएम को बड़ा समर्थन प्राप्त है. जबकि सरफराज अहमद का क्षेत्र में काफी प्रभाव है. पार्टी ने उन्हें इस्तीफा देने का इनाम राज्यसभा भेजकर दिया है. ऐसे में उनके समर्थक भी बढ़-चढ़कर कल्पना को जीत दिलाने में जुटेंगे.
वहीं, सोरेन परिवार के प्रति अहमद की वफादारी का लाभ चुनाव में कल्पना सोरेन को मिल सकता है. इसके अलावा कल्पना सोरेन को झारखंड में हुई राजनीतिक गतिविधियों का भी सहानुभूति के रूप में समर्थन मिल सकता है.
ऐसे में कल्पना सोरेन को यहां पर जीत मिलने की उम्मीद की जा सकती है. लेकिन उनकी राह इतनी आसान भी नहीं है.
दरअसल, एजेएसयू के साथ आने और जेवीएम के बीजेपी में विलय होने से भगवा दल भी यहां मजबूत नजर आ रहा है.
2019 में जेएमएम प्रत्याशी को 8,855 वोट से जीत मिली थी. ऐसे में कागज पर बीजेपी को भी बढ़त मिलती दिख रही है. लेकिन मौजूदा परस्थिति में राज्य की सियासत में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं, जिसका असर चुनावी नतीजे में दिख सकता है.
गांडेय सीट पर 20 मई को उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है और नतीजे लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ 4 जून को आएंगे.
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