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यूपी के थर्ड फेज में 16 जिलों की 59 सीटों पर 61% मतदान हुआ. कानपुर की कल्याणपुर सीट (Kalyanpur Seat) पर सबसे कम 50% वोट पड़े. मतदान से पहले ये सीट काफी सुर्खियों में थी. यहां से खुशी दुबे (Khushi Dubey) की बहन नेहा तिवारी कांग्रेस के टिकट से मैदान में थी. ऐसे में समझते हैं कि कम वोटिंग का क्या मतलब है?
बिकरू कांड भला कौन भूल सकता है. कानपुर में ही पूरी वारदात हुई, जिसके बाद विकास दुबे और उसके शॉर्प शूटर अमर दुबे का एनकाउंट हुआ. अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे जेल में है. कांग्रेस ने खुशी दुबे की बहन नेहा तिवारी को टिकट दिया था.
पिछले दो फेज के चुनावों की तरह तीसरे फेज में भी शहर में कम मतदान हुआ. कानपुर नगर में सिर्फ 56% वोट पड़े. कल्याणपुर सीट इसी में से एक है. जहां 50% मतदान हुआ. हालांकि इस सीट पर हर बार ऐसा ही वोट पड़ता रहा है. साल 2002 में तो 33% मतदान हुआ था. लेकिन अबकी बार कयास लगाए जा रहे थे कि खुशी दुबे को जेल भेजे जाने के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा चुनाव में दिखेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
कानपुर नगर की कल्याणपुर सीट शहर से लगी हुई है. यहीं पर छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी है. हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी है. आईआईटी संस्थान है. लेकिन मतदान के मामले में ये बहुत पीछे है. साल 1977 से लेकर 2022 तक सिर्फ 3 बार ऐसा हुआ, जब मतदान 50% से ज्यादा हुआ. साल 1993 में 53%, 2017 में 53.2% और 2022 में 50% वोट पड़े.
अबकी बार के विधानसभा चुनाव में गांव की तुलना में शहरी क्षेत्रों में कम मतदान हो रहा है. ये ट्रेंड पहले, दूसरे और तीसरे फेज में देखने को मिला. आमतौर पर शहरी वोटर बीजेपी का माना जाता है, लेकिन वोटिंग प्रतिशत को देखकर लगता है कि शायद अबकी बार बीजेपी को लेकर शहरी वोटर में कम उत्साह है. इसी वजह से वह वोट डालने के लिए घर से बाहर नहीं निकल रहा है. ये बीजेपी के लिए चिंता की बात हो सकती है.
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