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मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जारी सियासी ड्रामे का अंत हो गया. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे का ऐलान कर दिया. इससे पहले देर रात विधानसभा स्पीकर ने सभी बागी कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया था. लेकिन फ्लोर टेस्ट की नौबत नहीं आई. कमलनाथ ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया.
कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी को 15 साल मिले और मुझे सिर्फ 15 महीने. हमारी सरकार बनी तो हर 15 दिन में बीजेपी कहते थे कि यह सरकार 15-30 दिन में चली जाएगी. कमलनाथ ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि बीजेपी को यह रास नहीं आया. हमारे विधायकों को प्रलोभन दिया गया. उन्हें बंधक बनाया गया और साजिश करके हमारी सरकार को गिरा दिया गया. जनादेश का अपमान किया गया.
कमलनाथ ने कहा कि करोड़ों रुपए खर्चकर प्रलोभन देने का गेम खेला गया. पूरा राज्य और जनता इसे देख रही है. एक महाराज और उनकी शह पर 22 लोभियों ने मिलकर बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या कर दी. लेकिन प्रदेश की जनता इन लोभियों और बागियों को कभी माफ नहीं करेगी.
कमलनाथ के इस्तीफे के ऐलान के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा "मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है. मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी. सच्चाई की फिर विजय हुई है. सत्यमेव जयते."
मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया में बीजेपी में जाने के बाद उनके समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. इनमें से 16 को कर्नाटक ले जाया गया था. इन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था जिसे स्पीकर स्वीकार नहीं कर रहे थे. मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करने को कहा गया. लेकिन शुक्रवार को फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया.
मध्यप्रदेश के फिलहाल 228 विधायक हैं. इनमें से 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद सदन में 206 सीटें रह गई हैं. बहुमत के लिए 104 विधायकों के समर्थन की जरूरत है. बीजेपी इस वक्त 107 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है.
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