advertisement
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आए नतीजों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गदगद कर दिया है. बीजेपी की हार ने दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक को उससे छिन लिया है. कर्नाटक, दक्षिण भारत का इकलौता राज्य था, जहां बीजेपी किसी भी तरह से सत्ता पर काबिज हुई थी. उसे उम्मीद थी कि यहां से वह दक्षिण के बाकी राज्यों तक अपना पैर पसारेगी, लेकिन उससे पहले ही कर्नाटक की जनता ने बीजेपी के 'पर' कतर दिए. बीजेपी 104 सीटों से सिमट कर 65 सीटों पर आ गई है यानी उसे 39 सीटों का नुकसान हुआ है.
कर्नाटक चुनाव 2024 का सेमीफाइनल भी माना जा रहा था, जहां बीजेपी का पुराना (ध्रुवीकरण) हथकंडा फेल हुआ. इस चुनाव ने 2024 की पिच तैयार कर दी है, जहां बीजेपी और विपक्ष आमने सामने होंगे. इस चुनाव के नतीजों से कुछ बातें निकलकर सामने आई हैं, जिसे आपको समझने की जरूरत है.
बीजेपी के सिंगल फेस चेहरे (पीएम मोदी) पर सवाल उठने लगे हैं. दबी जुबान ही सही, ये बात उसके नेता भी मानने लगे हैं कि हर चुनाव में पीएम मोदी का मैजिक काम नहीं करेगा. वहां के लोकल नेता और लोकल मुद्दे ही अंततः काम आते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े कहते हैं कि...
कर्नाटक में पिछले 35 साल की रवायत अभी भी कायम है. यानी जो सरकार में है, वो चुनाव के बाद विपक्ष में होगा. ये चुनाव कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था. वो इसलिए, क्योंकि यह दक्षिण भारत का इकलौता राज्य था, जहां बीजेपी किसी भी तरह सत्ता पर स्थापित हुई थी. यहां से दूसरे दक्षिणी राज्यों में पार्टी के लिए गलियारा खुलने की उम्मीद थी. लेकिन, ये भी रास्ता उसके लिए बंद होगा. तमिलनाडु और केरल में बीजेपी पहले से ही हासिए पर खड़ी है.
जानकारों का मानना है कि बीजेपी को कर्नाटक से बहुत उम्मीदें थीं. यही वजह रही कि पीएम मोदी और बीजेपी ने कर्नाटक को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी अंतिम चरण में 22 से ज्यादा रैलियां किए.
बीजेपी को उम्मीद थी कि कर्नाटक में जीत का असर बाकी दक्षिण के राज्य के साथ-साथ 2024 पर भी पड़ेगा. यही वजह रही कि पीएम मोदी ने कर्नाटक के साथ-साथ केरल में रोड शो किया था, जिसको मीडिया की तरफ से बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया था. बीजेपी की ये रणनीति केरल के आने वाले चुनाव और कर्नाटक चुनाव को देखते हुए ही किया था.
राजनीति के जानकारों का मानना है कि ये कहना जल्दबाजी होगी की कर्नाटक में हार से बीजेपी दक्षिण मुक्त हो गई. हां, ये जरूर है कि वह जीतनी तेजी से इन राज्यों में अपना पैर पसार रही थी, उसकी गति जरूर कम होगी.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव को 2024 के लिटमस पेपर टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है. क्योंकि, इस चुनाव का असर 2024 के साथ-साथ आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव पर भी पडे़गा. आने वाले दिनों में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इन चुनावों पर कर्नाटक के नतीजे असर डालेंगे. इन प्रदेशों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की सरकार है, और जानकारों का मानना है कि मध्य प्रदेश में भी स्थिति कांग्रेस के पक्ष में जाती दिख रही है. वहीं, तेलंगाना में प्रियंका गांधी ने रैली को संबोधित कर चुनाव का आगाज कर दिया है. अगर इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा तो बीजेपी के लिए 2024 की डगर आसान नहीं रहने वाली.
कर्नाटक चुनाव के नतीजों को कई मायनों में अहम माना जा रहा है. ये चुनाव 2024 में विपक्षी एकता को मजबूत करने वाला है. वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े कहते हैं कि...
दरअसल, अभी ये कहना जल्दबाजी होगा कि कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा का व्यापक असर पड़ा है. क्योंकि, कर्नाटक में सत्ता विरोधी लहर जोर पर थी और जनता इस सरकार के भ्रष्टाचार, लॉ एंड ऑर्डर जैसे मुद्दों से तरस्त थी. कांग्रेस ने इसमें सिर्फ इन्हीं मुद्दों को शामिल कर बढ़त बना ली. यही वजह रही कि पीएम मोदी की कई रैलियां और रोड शो भी जनता को विश्वास दिलाने में नाकाफी रहे.
वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े कहते हैं कि...
हालांकि, इस जीत में मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी का भी योगदान कम नहीं है. जानकारों का कहना है कि कर्नाटक चुनाव में प्रियंका गांधी ने मैनेजमेंट तैयार किया मल्लिकार्जुन खड़गे उसे जमीनी स्तर पर उतारने में कामयाब रहे.
खैर, कर्नाटक चुनाव का असर 2024 पर कितना पड़ता है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन ये तो तय है कि इस चुनाव के नतीजों ने विपक्षी एकता में एक नई लहर पैदा की है, जो कांग्रेस के प्रदर्शन से नाखुश होकर तीसरे विकल्प की तलाश कर रहे थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined