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ये कर्नाटक चुनाव कई मामलों में अलग था. रैलियों में 'क्रांतिकारी' भाषण हो, न्यूज चैनलों की बहस हो या सोशल मीडिया पर कैंपेन, कर्नाटक राज्य ने इतने आक्रामक चुनाव कभी नहीं झेले थे. बात विकास से शुरू हुई लेकिन 'बकवास' तक पहुंच गई. 'मोहब्बत और जंग में सब जायज है' की तर्ज पर कर्नाटक चुनाव में जमकर जुबानी जंग लड़ी गई. 29 में से 20 राज्य में सत्ता वाली पार्टी बीजेपी के सबसे बड़े नेता पीएम मोदी को ऐसे बयानों, तर्कों की जरूरत पड़ी जो पहले किसी पीएम के मुखारविंद से शायद ही सुनने को मिले हों.
कांग्रेस पर जुबानी बढ़त हासिल करने के चक्कर में पीएम मोदी सेना को बीच में ले आए. कहा कि जनरल थिमैया और जनरल करिअप्पा के साथ कांग्रेस ने दुर्व्यवहार किया था. बात गलत साबित हुई क्योंकि टाइमिंग का पेच फंस गया. सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों के जरिए ये बात पीएम को पता लग ही गई होगी.
बात बनती न देख अब बारी स्वतंत्रता सेनानियों की थी. पीएम ने कांग्रेस पर स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया और ये उदाहरण दिया.‘जब देश की आज़ादी के लिए लड़ रहे शहीद भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, वीर सावरकर जैसे महान लोग जेल में थे, तब क्या कांग्रेस का कोई नेता उनसे मिलने गया था? लेकिन अब कांग्रेस के नेता जेल में बंद भ्रष्ट नेताओं से मिलते हैं.’ ये भी तथ्य गलत साबित हुए. अब चुनाव के नतीजे आ गए हैं और ये साबित हुआ है कि वोटरों को किसी आर्टिकल, टीवी डिबेट या सोशल मीडिया की गुत्थमगुत्था से ज्यादा भरोसा पीएम के भाषणों पर है.
पीएम से थोड़ा नीचे अब सीएम पर आते हैं. बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा ने आक्रमकता के मामले में किसी भी दूसरे नेता के कान काट दिए. एक चुनावी रैली में ये बोल डाला
''अब आराम से मत बैठो. अगर आपको लगता है कि कोई वोटिंग नहीं कर रहा है, तो उसके घर जाओ और उसको हाथ-पैर बांधकर बीजेपी के प्रत्याशी के पक्ष में वोट डालने के लिए लेकर आओ''
आक्रामक अंदाज में पीएम ने भी कांग्रेस को चेतावनी दे ही दी-कांग्रेस के नेता कान खोलकर सुन लें, अगर आप सीमा लांघेंगे तो ये मोदी है, आपको इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने इसे धमकी जैसा लिया और राष्ट्रपति को बाकायदा चिट्ठी भी लिख दी. लेकिन कर्नाटक के लोगों ने इसे मंजूर किया है, नतीजे में इसकी तस्दीक है.
बीजेपी ने इस चुनाव में बढ़त हासिल की है साथ ही सबक भी. सबक ये है कि पीएम की आक्रमकता, कांग्रेस और सोनिया-राहुल पर किए जाने वाले निजी हमले से अब कोई नुकसान नहीं होने वाला. ऐसे में आगे आने वाले आम चुनाव में तैयार रहिए और भी धमाकेदार भाषणों के लिए. पंचलाइन और निजी वार-पलटवार के लिए.
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Published: 15 May 2018,03:42 PM IST