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कर्नाटक चुनाव (Karnataka Election) में दो पिता-पुत्र की जोड़ी के मुख्यमंत्री बनने का अनूठा गौरव है- एचडी देवेगौड़ा-कुमारस्वामी, एसआर बोम्मई और मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई. आइए देखते हैं कि इस चुनाव में राज्य के कद्दावर नेताओं के बच्चों ने कैसा प्रदर्शन किया है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कांग्रेस उम्मीदवार यासिर अहमद खान पठान के खिलाफ 54,000 से ज्यादा वोटों से शिगगांव सीट पर जीत हासिल की. बोम्मई की इस सीट से यह लगातार पांचवीं जीत है. आखिरी बार कांग्रेस ने इस सीट पर 1999 में जीत हासिल की थी.
उनके पिता एसआर बोम्मई, जनता परिवार के दिग्गज माने जाते थे. उन्होंने अगस्त 1988 से अप्रैल 1989 तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.
बोम्मई ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए बहुत प्रयासों के बावजूद, हम (बहुमत) का आंकड़ा नहीं बना पाए हैं. एक बार पूरे नतीजे आने के बाद, हम एक विस्तृत विश्लेषण करेंगे.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने चित्तापुर सीट से 13,640 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है. उनका मुकाबला बीजेपी के मणिकांत राठौड़ से था.
यह निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है, जो पिछले कुछ सालों से कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है.
प्रियांक ने 2013 और 2018 के बीच सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के तहत कई मंत्री पद भी संभाले हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के पुत्र, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्य उपाध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने अपने पहले चुनाव में पिता के पुराने मैदान शिकारीपुरा निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की. उन्होंने 11,008 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है.
येदियुरप्पा की पारिवारिक सीट माने जाने वाले कांग्रेस के बागी निर्दलीय एसपी नागराज गौड़ा इस सीट पर विजयेंद्र के बाद दूसरे स्थान पर हैं. यह उनका चुनावी डेब्यू है, जो कई पदों पर रह चुके हैं.
रमेश जारकीहोली और बालचंद्र जारकीहोली ने बीजेपी के टिकट पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीता. उनके भाई सतीश जारकीहोली ने राज्य के बेलगावी जिले में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की.
सबसे बड़े रमेश जरकिहोली बीजेपी में शामिल होने से पहले 2018 कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) या जेडी(एस) गठबंधन सरकार में मंत्री थे. वह उन प्रमुख शख्सियतों में से एक थे, जिन्होंने 2019 में विधायकों के इस्तीफे का नेतृत्व किया, जिसकी वजह से कांग्रेस-जेडी (एस) सरकार गिर गई और राज्य में बीजेपी की सत्ता में वापसी का रास्त तय हुआ.
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी चन्नपटना सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार एचए इकबाल हुसैन ने 10715 वोटों से हराया है.
2018 में पुराने मैसूरु इलाके में रामनगर और चन्नापटना दोनों सीटों से चुनाव लड़ते हुए, कुमारस्वामी ने योगेश्वर को 20,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया. बाद में उन्होंने अपनी पत्नी अनीता कुमारस्वामी के पक्ष में रामनगर सीट छोड़ दी.
2023 के विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने रामनगर से एचडी कुमारस्वामी के बेटे और देवेगौड़ा के पोते निखिल कुमारस्वामी को मैदान में उतारा. निखिल 10,715 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए.
2019 के लोकसभा चुनावों में एक असफल चुनावी शुरुआत के बाद, अभिनेता-राजनेता ने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा.
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