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कर्नाटक विधानसभा चुनाव की जंग में बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल (सेक्लुयर) हर एक सीट पर जीत हासिल करने की जद्दोजहद में जुटे हैं. लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जो किसी का गढ़ नहीं है, मतलब यहां कोई ट्रेंड काम नहीं करता. इन्हीं सीटों में सबसे पहला नाम उडुपी निर्वाचन क्षेत्र का आता है.
उडुपी रेस्त्रां पूरे देश में मशहूर हैं, लेकिन इस सीट में इतना जोखिम है कि कोई भी उम्मीदवार जीत की गारंटी नहीं सोच सकता है.
यह कर्नाटक के तटीय क्षेत्र उडुपी जिले का हिस्सा है. निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,03,804 मतदाता हैं जिनमें आम मतदाता, एनआरआई मतदाता और सेवा मतदाता शामिल हैं. सामान्य मतदाताओं में पुरुषों की संख्या 98,759 है तो वहीं महिलाओं की संख्या 1,05,015 है.
बात करें क्षेत्रीय राजनीति की तो उडुपी विधानसभा क्षेत्र सबसे अप्रत्याशित रहा है. यहां पर जनता ने कभी भी किसी एक नेता पर दांव खेलने के बजाय सभी पार्टियों के उम्मीदवारों को मौका दिया है. कांग्रेस के प्रमोद माधवराज ने 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 39,524 वोट के अंतर के साथ कुल 62.75 फीसदी मत हासिल किए थे. 2013 में इस सीट पर 76.56 फीसदी मतदान हुआ था.
वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के. रघुपति भट्ट ने इस सीट पर 2,479 वोट के अंतर से जीत हासिल की थी. इससे पहले भी 2004 विधानसभा चुनाव में भट्ट ने इस सीट पर जीत हासिल कर क्षेत्र में कमल खिलाया था.
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मौजूदा कांग्रेस विधायक प्रमोद माधवराज एक बार फिर से चुनाव मैदान में हैं. प्रमोद उडुपी के कांग्रेस जिला प्रभारी हैं. प्रमोद की मां मनोरमा माधवराज भी कांग्रेसी नेता थीं, लेकिन 2004 में वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं. सिद्धारमैया सरकार में मत्स्य पालन मंत्री प्रमोद माधवराज के हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ संबंधों में खटास की खबरें आई थीं और उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थी. लेकिन प्रमोद की ओर से कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ने के फैसले ने उन अटकलों पर विराम लगा दिया.
बीजेपी ने दो बार के विधायक के. रघुपति भट्ट को एक बार फिर से कांग्रेस उम्मीदवार और विधायक प्रमोद माधवराज के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है. शिवल्ली ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रघुपति भट्ट ने बीजेपी सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. वह उडुपी नगरपालिका परिषद के लिए चुने गए थे और बाद में वह बीजेपी युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष भी रहे थे. 2004 में उन्हें पहली बार टिकट दिया गया और उन्होंने लगातार दो बार चुनाव जीतकर पार्टी में अपना कद ऊंचा किया.
इसके अलावा राज्य में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी जनता दल (सेक्युलर) ने बिरथी गंगाधर भण्डारी को चुनाव मैदान में उतारा है. साथ ही शिवसेना ने मधुकर मुडराडी, ऑल इंडिया महिला एम्पावरमेंट पार्टी ने वाई.एस. विश्वनाथ, भारतीय रिपब्लिकन रक्षा ने शेखर हवानजी को अपना उम्मीदवार बनाया है. क्षेत्रीय दलों के अलावा दो निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पहले ही जनता दल (सेक्युलर) को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है.
बता दें कि कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक चरण में 12 मई को मतदान होगा और वोटों की गिनती 15 मई को होगी.
(इनपुट: IANS)
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