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कर्नाटक के Exit Poll हुए सच, तो कांग्रेस, BJP और JD-S का भविष्य क्या होगा?

Karnataka Election:एग्जिट पोल की मानें तो सिद्धारमैया, DK शिवकुमार और एचडी कुमारस्वामी सबसे आगे रहने वाले नेता हैं.

नाहिद अताउल्ला
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Karnataka Election 2023 Exit Polls</p></div>
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Karnataka Election 2023 Exit Polls

(फोटो- द क्विंट)

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कर्नाटक चुनाव (Karnataka Election 2023) के एक्जिट पोल ने कर्नाटक में जनादेश की तस्वीर पेश की है. इसमें कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत नजर आ रही है. India Today Axis Polls ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान लगाया है. अगर एग्जिट पोल सही हुए, तो क्या जेडी(एस) एक बार फिर कर्नाटक में किंगमेकर के रूप में उभरेगी? इसके साथ ही, इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को क्या फायदा या नुकसान हुआ?

ज्यादातर एग्जिट पोल को देखकर ऐसा लगता है कि 2004 और 2018 में सामने आई राजनीतिक तस्वीर के जैसा ही इस बार भी मामला बना हुआ है, जब कोई भी पार्टी 224 विधानसभा सीटों में से 113 के आंकड़े को नहीं पार कर सकी थी.

2004 और 2018 में, बीजेपी क्रमश- 79 और 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. मौजूदा वक्त में ज्यादातर अनुमान कांग्रेस के लिए भी इसी तरह की किस्मत की ओर इशारा कर रहे हैं.

कर्नाटक विधानसभा के लिए 10 मई को चुनाव हुए थे और वोटों की गिनती 13 मई को होनी है. तीनों दलों के स्टार प्रचारकों द्वारा बड़े स्तर पर किए गए प्रचार ने वोटरों को बड़ी संख्या में बाहर नहीं निकाल सका. शाम 6 बजे तक मतदान प्रतिशत 65.69 प्रतिशत रहा. 2018 में मतदान प्रतिशत 1952 के बाद सबसे ज्यादा- 73.13 प्रतिशत था.

कांग्रेस, बीजेपी और जेडी(एस) के नेताओं के लिए अनुमान क्या रखते हैं?

JD(S) पर सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार की अलग-अलग सोच हो सकती है

अगर एक्जिट पोल सही साबित होते हैं, तो यह कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका होगा, जो 2013 के बाद सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है. कांग्रेस नेताओं को एक साधारण बहुमत की उम्मीद है, क्योंकि इससे पार्टी को 2024 में लोकसभा चुनाव का सामना करने और बीजेपी के खिलाफ सीटें जीतने के लिए एक हौसले की जरूरत होगी.

लेकिन, अगर राज्य के मतदाता बंटा हुआ जनादेश पेश करते हैं, तो कांग्रेस के दोनों राज्य नेताओं- कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष डीके शिवकुमार का इम्तिहान होगा.

सिद्धारमैया, जो मैसूरु जिले में अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र वरुणा से चुनाव लड़ रहे हैं, अपने सभी भाषणों में इस बात पर जोर देते थे कि 2023 चुनावी राजनीति में उनकी आखिरी एंट्री होगी. अगर वह 2023 में 75 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनने में फेल होते हैं, तो सिद्धारमैया, जिन्होंने डिप्टी सीएम और सीएम के रूप में कर्नाटक के 12 बजट पेश किए थे, को शायद स्थायी रूप से अपने राजनीतिक सफर रोकना होगा.

इससे भी अधिक, कांग्रेस के एक बार फिर सरकार बनाने के लिए बहुमत हासिल करने में जेडी(एस) के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में सिद्धारमैया के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह गठबंधन से बाहर निकलना पसंद करेंगे.

2018 में भी सिद्धारमैया जेडी (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी को सीएम की कुर्सी पर कब्जा करने की अनुमति देने के कांग्रेस हाईकमान के फैसले से सहमत होने के लिए तैयार नहीं थे. आगे चलकर कुमारस्वामी और सिद्धारमैया दोनों के बीच एक असहज संबंध बन गया और अंत में जब कांग्रेस और जेडी(एस) के 17 विधायकों के बीजेपी में चले जाने के बाद कुमारस्वामी को पद छोड़ना पड़ा, तो उन्होंने अपने पतन के लिए सिद्धारमैया को जिम्मेदार ठहराया.

लेकिन कांग्रेस सूत्र 61 वर्षीय केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार के त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जेडी(एस) के साथ गठबंधन सरकार के लिए उत्तरदायी होने की संभावना से इंकार नहीं करते हैं. हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री और जेडी(एस) सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा के परिवार के साथ उनके संबंध मनमौजी रहे हैं. जेडी(एस) के साथ गठबंधन के लिए सहमत होने के लिए शिवकुमार का लचीलापन इस बात पर उपजा है कि उनके पास राजनीतिक में खेलने के लिए सिद्धारमैया की तुलना में अधिक वक्त है.

बीजेपी मात खाई तो केंद्रीय नेतृत्व को दोबारा सोचना पड़ सकता है

अगर बीजेपी का रथ दो अंकों के आंकड़े पर ही रुक जाता है, जैसा कि कुछ एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की थी, तो ये पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर खराब असर डाल सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा कर्नाटक चुनाव 2023 में बीजेपी के लिए बड़े चेहरे थे. मुख्य चुनावी रणनीतिकार अमित शाह ने 'मिशन 150' टैगलाइन शुरू करके पार्टी के राज्य नेतृत्व को 150 सीटों का टारगेट दिया था.

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बीजेपी की हार यह भी संकेत देगी कि रिजर्वेशन मैट्रिक्स को बदलने, एक हमलावर हिंदुत्व अभियान को बढ़ावा देने और चुनावी घोषणापत्र में घोषित रियायतों के पार्टी के अंतिम प्रयासों में से कोई भी मजबूत सत्ता-विरोधी भावना को कम करने में मदद नहीं कर सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार सहित लिंगायत नेताओं को टिकट नहीं देने के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर भी सवाल उठ सकते हैं. कई सालों तक पार्टी के लिंगायत वोट हासिल करने के लिए उनका इस्तेमाल करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के हिस्से में कटौती करने के बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले पर भी सवाल उठाया जा सकता है.

मतलब, कर्नाटक में बीजेपी के लिए हार बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व को कर्नाटक में अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है.

JD(S) के HD कुमारस्वामी किंगमेकर बन सकते हैं

एग्जिट पोल के अनुमानों के सच होने की स्थिति में आखिरी हंसी तो गौड़ा परिवार की होगी. हालांकि एचडी कुमारस्वामी ने अपने अभियान में जोर देकर कहा था कि इस बार JD(S) अच्छा प्रदर्शन करेगी और 123 सीटें जीतकर अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में होगी.

एक्जिट पोल वालों का दावा है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सरकार बनाने के लिए नंबर हासिल करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों को जेडी(एस) की ओर रुख करने की उम्मीद है.

लेकिन विवादास्पद सवाल यह है कि कुमारस्वामी किसे काम आएंगे, भले ही वह शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने और पिछड़े वर्ग की सूची में आने वाले मुसलमानों के लिए आरक्षण को खत्म करने की बीजेपी की हिंदुत्व पिच का विरोध करने वाले नेताओं में से एक रहे हैं. संकेत मिल रहे हैं कि कुमारस्वामी एक बार फिर बीजेपी से बातचीत कर भगवा पार्टी से मोलभाव कर सकते हैं, जो सत्ता की बागडोर फिर से मिलने तक अपनी मांगों को मानने के लिए बेताब होगी.

(नाहिद अताउल्ला बेंगलुरु स्थित सीनियर पॉलिटिकल जर्नलिस्ट हैं.)

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