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कर्नाटक में जारी सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बॉल अब बीजेपी के पाले में फेंक दी है. कोर्ट ने बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए शनिवार शाम चार बजे तक का वक्त दिया है. मतलब साफ है कि गुरुवार सुबह 9 बजे सीएम पद की शपथ लेने वाले बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा को अब अपनी कुर्सी बचाने के लिए सदन में बहुत साबित करना होगा.
बीजेपी के पास 104 विधायक हैं, जबकि कर्नाटक का "जादुई आंकड़ा" 111 है. यानी कि बीजेपी को 7 विधायकों की और जरूरत है. सात विधायकों का जुगाड़ करने के लिए बीजेपी के पास करीब 24 घंटे का वक्त है. ऐसे में अब कर्नाटक में नंबर गेम काफी अहम हो गया है. आइए जानते हैं कौन से हालात बचा सकते हैं सीएम येदियुरप्पा की कुर्सी.
कर्नाटक में 222 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ था, जिसका रिजल्ट 16 मई को घोषित हुआ. कर्नाटक में बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए 112 सीटों की जरूरत है. 16 मई को आए नतीजों में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं. नतीजों के हिसाब से बीजेपी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है, लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से दूर है. बहुमत के 112 के आंकड़े को छूने के लिए बीजेपी को 8 सीटें और चाहिए.
लेकिन जेडीएस नेता कुमारस्वामी दो सीटों से इलेक्शन लड़े थे और उन्हें दोनों सीटों पर जीत हासिल हुई थी, ऐसे में उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा. इस हिसाब से सीट बचीं 221. अब बहुमत का आंकड़ा हुआ 111. यानी अब इस आंकड़े को छूने के लिए बीजेपी को 7 सीटों की जरूरत पड़ेगी.
बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी को 7 विधायक चाहिए. बीजेपी के पास फिलहाल 104 विधायक हैं. ऐसे में उसे कांग्रेस या जेडीएस के विधायकों को तोड़ना होगा. उधर, कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन (78+37=115) अपने पास बहुमत होने का दावा कर रहे हैं.
हालांकि, खबर ये है कि कांग्रेस के दो विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं. इसके अलावा बीजेपी दो निर्दलीय विधायकों पर भी डोरे डाल रही है. लेकिन ये विधायक किसके साथ होंगे, फिलहाल ये कहना मुश्किल है.
कुर्सी बचाने के लिए एक और तरकीब है. येदियुरप्पा की कुर्सी बचाने का दूसरा तरीका ये हो सकता है कि शक्ति परीक्षण के दौरान कांग्रेस और जेडीएस के विधायक गैरहाजिर हो जाएं.
लेकिन इस फॉर्मूले की सक्सेस के लिए कम से कम 14 विधायक गैर हाजिर होने चाहिए, तभी बहुमत 207 सदस्यों की विधानसभा में मौजूदगी के आधार पर आंका जाएगा. लेकिन सवाल ये है कि क्या बीजेपी ऐसी स्थिति बना पाएगी?
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