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उत्तर प्रदेश के पांचवें चरण में 61 सीटों पर 57% मतदान हुआ. सुर्खियों में रही राजा भैया (Raghuraj Pratap Singh) की कुंडा सीट (Kunda Constituency) पर 52% वोट पड़े. लेकिन हर बार की तरह अबकी राजा भैया के लिए चुनाव आसान नहीं था. क्योंकि उन्हीं के साथ रहे गुलशन यादव को एसपी ने टिकट देकर मैदान में उतार दिया. ऐसे में समझते हैं कि अबकी बार हुआ मतदान क्या संकेत दे रहा?
प्रतापगढ़ में 7 विधानसभा सीटों में से एक कुंडा है, जहां अबकी बार 52% वोट पड़े. साल 2017 में इस सीट पर 58% मतदान हुआ था. राजा भैया निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गए. साल 2012 में 52% वोट पड़े थे.
कुंडा सीट पर कम वोटिंग की एक बड़ी वजह इस क्षेत्र में फैली अव्यवस्था और बूथ कैप्चरिंग की खबरें हो सकती हैं. डर की वजह से लोग घर से न निकले हो. 29 साल से राजा भैया इस सीट से विधायक हैं. अगर वोटिंग ज्यादा होती तो गुलशन यादव फायदे में रह सकते थे, लेकिन 2017 की तुलना में कम वोट पड़ना उनके लिए नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है.
राजा भैया का कुंडा में क्या दबदबा है उसे एक आंकड़े से समझते हैं. राजा भैया को कुंडा विधानसभा सीट से 2002 में 82% वोट मिले थे. वे 2022 से पहले हर बार निर्दलीय ही चुनाव लड़े हैं. पिछले 20 में औसत 71% वोट मिले हैं.
राजा भैया का कुंडा में ऐसा प्रभाव है कि वे लगातार यहां से जीतते आए हैं. साल 1993 में राजा भैया ने पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुंडा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की, जिसके बाद यह सिलसिला जारी है. समय-समय पर राजा भैया ने कई राजनीतिक पार्टियों से हाथ मिलाया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी शामिल है.
राजा भैया के चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह जब 2019 में जनसत्ता पार्टी के टिकट पर प्रतापगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़े तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अक्षय प्रताप सिंह को सिर्फ 46,963 वोट ही मिल सके थे. चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता ने 436291 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी.
राजा भैया के जीत के रिकॉर्ड को देखकर तो यही लगता है कि उन्हें कुंडा से हराना थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन उन्हीं के साथी रहे गुलशन यादव इसे कुछ आसान कर सकते हैं. लेकिन सवाल सिर्फ कुंडा का नहीं है. माना जाता है कि राजा भैया के प्रभाव में कई विधायक रहते हैं, ऐसे में क्या वे अबकी बार सरकार बनाने में बड़ी भूमिका में रहेंगे या कुछ सीटों के साथ विधायक बने रहेंगे.
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