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लखीमपुर खीरी कांड: मंत्री अजय मिश्र टेनी का टाइम अप?

Ajay Mishra के बेटे के खिलाफ किसानों की साजिशन हत्या का केस दर्ज हुआ है

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>अजय मिश्र टेनी</p></div>
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अजय मिश्र टेनी

(फोटो: Altered by Quint)

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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी पर दबाव बढ़ता जा रहा है. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के बाद भी पूरे नेरेटिव पर उनका फुल कंट्रोल था, लेकिन अब वो आउट ऑफ कंट्रोल दिख रहे हैं. दो घटनाएं ऐसी हुई हैं जिनसे सवाल उठता है क्या पार्टी ने टेनी से टोटल सपोर्ट खींच लिया है?

पहली घटना-टेनी के बेटे पर शिकंजा

एसआईटी के जांच अधिकारी ने लखीमपुर खीरी के सीजेएम कोर्ट में एक अर्जी देते हुए नई धाराओं की बढ़ोतरी की दरखास्त की थी. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया कि लखीमपुर की घटना जिसमें कारों के काफीले ने 4 किसान और एक पत्रकार को कुचल कर मार डाला था- यह घटना कोई लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित साजिश के तहत कराई गई थी.

मौजूदा राजनीति को समझने वाला कोई भी शख्स कहेगा कि सियासी ग्रीन सिग्नल के बिना SIT का ये कदम उठाना मुश्किल है. लखीमपुर खीरी कांड होने के इतने महीने बाद SIT ने सख्त धाराएं लगाने की बात कही है और वो लग भी गई है तो ये महज संयोग नहीं हो सकता है कि इससे 3 कृषि कानून वापस हो चुके हैं. पीएम मोदी किसानों से माफी मांग चुके हैं.

जाहिर है यूपी चुनाव जैसे अहम सियासी पड़ांव से पहले बीजेपी ने किसान जैसे बड़े वोट बैंक से दुश्मनी खत्म करने की रणनीति अपना ली है. किसान लखीमपुर खीरी कांड को लेकर बहुत खफा हैं. अजय टेनी के बेटे पर सख्त धाराएं लगने से बीजेपी अब किसानों को कह सकती है कि देखिए हम उन्हें नहीं बचा रहे. किसानों की एक मांग टेनी का इस्तीफा है. तो अहम सवाल ये है टेनी के बेटे के बाद क्या सरकार टेनी की ओर रुख करेगी?

ये भी अहम है कि इतने महीनों से टेनी का बचाव करने वाली पार्टी के किसी नेता ने टेनी के बेटे पर साजिशन हत्या की धाराएं जुड़ने पर एक शब्द नहीं कहा है.

तो क्या आलाकमान से नीचे तक संदेश जा चुका है कि टेनी को अपनी लड़ाई खुद लड़ने के लिए छोड़ देना है? बीजेपी के सूत्रों की मानें तो अब पार्टी केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी से धीरे-धीरे दूरी बना सकती है.
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विरोधी तो टेनी को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी ने लोकसभा में केंद्रीय राज्यमंत्री ट्रेनी के इस्तीफे की मांग की. बुधवार को बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू के नेता और बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने कहा है कि इस तरह की जो भी घटना बिहार या बिहार से बाहर हो रही है इसमें जो लोग भी दोषी पाए जा रहे हैं कानून के जांच के आधार पर उनको कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए चाहे वह व्यक्ति कितना भी कद्दावर क्यों ना हो.

दूसरी घटना-टेनी का आपा खोना

लखीमपुर खीरी में 15 दिसंबर को अजय टेनी एक कार्यक्रम में गए थे. एक पत्रकार ने पूछ लिया कि बेटे पर गंभीर धाराएं लगने पर क्यe कहेंगे. ये सुनते ही टेनी आग बबूला हो गए. पत्रकार ने स्वाभाविक सवाल पूछा था. मंत्री जी बात नहीं करना चाहते थे तो नो कमेंट्स बोलकर आगे बढ़ सकते थे, लेकिन न सिर्फ वो भड़क गए बल्कि एक पत्रकार पर झपट पड़े और दूसरे से मोबाइल छीनने लगे.

ये घटना टेनी की मनोदशा बताती है. घटना बताती है कि मंत्री जी बेहद प्रेशर में हैं. इस घटना के बाद विपक्ष का हमला और तेज हो गया. कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक ने सीधे पीएम मोदी को निशाना बनाया है..

यूपी की राजनीति को फॉलो करने वाले और मेरठ कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर सतीश प्रकाश कहते हैं कि बीजेपी निश्चित ही टेनी से इस्तीफा लेगी.

बीजेपी 2022 नहीं 2024 के चुनाव पर निगाह बनाए हुए हैं. टेनी का इस्तीफा एक भावनात्मक मामला है. लखीमपुर में सिख समाज की संख्या बहुत ज्यादा है. इनके सरकार के नारा होने से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब तीनों जगहों के चुनाव प्रभावित होते हैं
मेरठ कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर सतीश प्रकाश

जानकार बताते हैं कि किसान कानून को वापस लेने के बाद बीजेपी उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई है लेकिन लखीमपुर में हुई घटना की वजह से सरकार अभी भी विरोधियों और आलोचनाओं से घिरी हुई है. अब जब कानून वापस ले लिया गया है तो सरकार टेनी को बचाकर कानून वापस लेने के फायदे को कम नहीं करना चाहेगी.

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