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लोकसभा चुनाव: 2019 से कम पड़े वोट,मणिपुर में हिंसा... पहले चरण में किस पार्टी को माइलेज?

Lok Sabha Elections 2024 Phase 1 Voting: पहले चरण में 19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोट डाले गए.

आशुतोष कुमार सिंह
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Lok Sabha Elections 2024 Phase 1 Voting</p></div>
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Lok Sabha Elections 2024 Phase 1 Voting

(Photo- The Quint)

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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा का चुनावी रण शुक्रवार, 19 अप्रैल को आधिकारिक रूप से शुरू हो गया. एक तरफ बीजेपी इस चुनाव को विकसित भारत के लिए एक मील का पत्थर बता रही है वहीं विपक्ष इसे देश में लोकतंत्र के अस्तित्व की लड़ाई के रूप में पेश कर रहा है. 7 चरण के चुनावी पर्व के पहले चरण (Phase 1 Voting) में 19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोट डाले गए.

चलिए आपको बताते हैं कि पहले चरण में इन 102 सीटों पर वोटिंग परसेंट क्या रहा? यह आंकड़े क्या बताते हैं? पहले चरण में किस पार्टी को माइलेज मिलता दिख रहा है? हॉट सीट्स पर वोटरों में दिखा रुझान दिग्गजों के लिए राहत की खबर लेकर आया या नहीं.

सबसे पहले बताते हैं कि पहले चरण में किन राज्यों की कितनी सीटों पर वोट डाले गए.

  • तमिलनाडु: 39 सीटें

  • राजस्थान: 12 सीटें

  • उत्तर प्रदेश: 8 सीटें

  • मध्य प्रदेश: 6 सीटें

  • उत्तराखंड: 5 सीटें

  • महाराष्ट्र: 5 सीटें

  • असम: 5 सीटें

  • बिहार: 4 सीटें

  • पश्चिम बंगाल: 3 सीटें

  • मेघालय: 2 सीटें

  • अरुणाचल प्रदेश: 2 सीटें

  • मणिपुर: 2 सीटें

इसके अलावा नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जम्मू और कश्मीर, लक्षद्वीप में 1-1 सीट पर मतदान हुआ.

2019 में इन 102 सीटों में से 45 यूपीए ने जीती थीं, वहीं एनडीए ने 41 सीटें. इनमें से छह सीटों को परिसीमन के बाद नया जोड़ा गया है. पहले चरण में चुनाव में कई दिग्गजों की राजनीतिक साख दांव पर थी. आठ केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व मुख्यमंत्री, एक पूर्व राज्यपाल समेत कई दिग्गजों की किस्मत EVM में कैद हो गयी.

2019 के लोकसभा चुनावों में इन सीटों पर पड़े वोट की तुलना में जानते हैं कि इस बार कितनी वोटिंग हुई है.

सबसे पहले बात तमिलनाडु की. यहां सभी 39 सीटों पर पहले चरण में ही चुनाव पूरा हो चुका है. 2019 के चुनाव में INDIA ब्लॉक की पार्टियों को यहां की 38 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि AIADMK ने एक सीट अपने नाम किया था. पूरे देश में शानदार बहुमत पाने वाली बीजेपी यहां खाता भी नहीं खोल पाई थी. 2019 में यहां वोट परसेंट 77.44% तो इस बार 69.46% रहा. AIADMK इस बार 2014 वाले अपने प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश में है जब उसे 37 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. बीजेपी को भी उम्मीद है कि तमिल संस्कृति पर जोर देने की पीएम मोदी की कोशिश और नए संसद में 'सेंगोल' लगाने वाला पूरा मुदा उसके पक्ष में काम करेगा और पार्टी कम से कम 2014 वाले अपने प्रदर्शन को ही और अच्छा करेगी जब उसे राज्य में 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

बीजेपी पारंपरिक रूप से दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में सेंध लगाने के लिए संघर्ष करती रही है. इस बार, पार्टी ने कोयंबटूर से अप्रत्याशित जीत दिलाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई पर दांव लगाया है. वहीं तेलंगाना कीं पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई साउंडराजन को चेन्नई साउथ से उतारा था.

राजस्थान की जिन 12 सीटों पर पहले चरण में वोट डाले गए, उनपर 2019 के चुनाव में वोटिंग परसेंट कुल मिलकर 63.89% रहा था. इस बार इन सीटों पर यह आंकड़ा 57.26 हो गया. यानी यहां भी वोट कम पड़े हैं.

राजनीति में यह माना जाता है कि अगर पिछली बार की अपेक्षा वोटिंग में गिरावट हुई है तो लोग शासन के मौजूदा रूप को बदलने में उतने उत्साहित नहीं हैं. वहीं वोटिंग अगर ज्यादा होती है तो माना जाता है कि लोग सरकार बदलने के लिए बड़ी संख्या में सामने आए हैं. हालांकि यह सिर्फ ट्रेंड है. इसका हर बार सही होगा जरूरी नहीं.

राजस्थान से बीजेपी को एक बार फिर बड़ी उम्मीद है. पिछले दो लोकसभा चुनावों में NDA गठबंधन ने राजस्थान की 25 की 25 सीटों पर कब्जा किया है. हालांकि नागौर सीट पर जीत हासिल करने वाले RLP प्रमुख हनुमान बेनीवाल इस बार INDIA ब्लॉक में शामिल हो चुके हैं और पूरे चुनावी कैंपेन में उन्होंने किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा है.

बता दें कि अलवर लोकसभा सीट हॉट सीट बन चुकी थी क्योंकि यहां से बीजेपी से भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के ललित यादव चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं.

राजस्थान की एक और हॉट सीट की बात करें तो बीकानेर में रोचक चुनावी मुकाबला है. यहां बीजेपी से अर्जुन राम मेघवाल, कांग्रेस से गोविंद राम मेघवाल और बीएसपी से खेत राम मेघवाल एकदूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं.

यूपी में कांटे की टक्कर

यूपी की जिन 8 सीटों पर पहले चरण में वोटिंग हुई है, वहां 2019 में मिले-जुले नतीजे रहे थे. 2019 में 8 सीटों (कैराना, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, बिजनौर, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद और रामपुर) में 3 पर बीजेपी, 3 पर बीएसपी और 2 पर एसपी ने जीत हासिल की थी. सूबे में बीजेपी को मोदी-योगी के जिताऊ फॉर्मूले पर एक बार फिर भरोसा है. जयंत सिंह के नेतृत्व वाली RLD अब NDA की सहयोगी पार्टी है और उसकी राजनीतिक साख भी इस चुनाव में दांव पर है.

2019 के चुनाव में इन 8 सीटों पर वोट परसेंट 66.58% रहा था जो इस बार 60.25 प्रतिशत रहा.

बीजेपी को इस बार के चुनाव में, खासकर हिंदीपट्टी में अयोध्या राम मंदिर के मुद्दे से बड़े माइलेज की उम्मीद होगी. भले ही पीएम मोदी और बीजेपी यह बार-बार कहती रही है कि राम मंदिर का मुद्दा उसके लिए चुनावी मुद्दा नहीं है लेकिन पीएम मोदी अपनी किसी भी चुनावी रैली में उसका जिक्र करने से चूक भी नहीं रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए वहां भी अमित शाह यह चुनावी वादा करते नजर आए थे कि सरकार बनने पर अयोध्या की तीर्थयात्रा कराएंगे.
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बिहार में वोटिंग की रफ्तार इसबार भी रही धीमी

पहले चरण में बिहार की चार सीटों, औरंगाबाद, गया, जमुई और नवादा पर वोटिंग हुई. 2019 के चुनाव में यह चारों सीट NDA के खाते में रही थी, एक-एक बीजेपी और जेडीयू के पास जबकि 2 LJP के पास. पूरे बिहार की 40 सीटों में से किशनगंज छोड़कर हरेक पर NDA उम्मीदवार जीता था. पीएम मोदी ने इस बार बिहार की जनता से सभी 40 सीट मांगी हैं. हालांकि उनके सामने तेजस्वी की चुनौती है जो 2019 के मुकाबले राजनीतिक रूप से मैच्योर नजर आ रहे हैं.

बिहार में पहले चरण की वोटिंग में रफ्तार पिछली बार से धीमी दिखी. 2019 में इन चार सीटों पर वोटिंग परसेंट 53.707% था जो इस बार घटकर 48.88% हो गया.

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए मौका, मध्यप्रदेश में कांग्रेस के आखिरी गढ़ में चुनौती 

पश्चिम बंगाल की जिन 3 सीटों पर पहले चरण में वोट डाले गए, उन तीनों पर ही 2019 में चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी- अलीपुरद्वार, कूचबिहार और जलपाईगुड़ी. ममता बनर्जी की कोशिश सूबे पर अपनी राजनीतिक पकड़ और मजबूत करने की है. INDIA ब्लॉक में होते हुए भी यहां उनका मुकाबला बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के साथ भी है. कांग्रेस की बंगाल इकाई ने ममता बनर्जी की TMC सरकार को घेरने में कोई कोताही नहीं बरती है.

2019 में पश्चिम बंगाल की इन 3 सीटों पर वोटिंग परसेंट 84.79% रहा था. इसबार यह आंकड़ा 80.55% रहा.

बंगाल में कूचबिहार में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए और एक-दूसरे पर हिंसा का आरोप लगाया है.

वहीं मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने की तमाम उम्मीदों को झटका लगने के बाद कांग्रेस के सामने चुनौती है अपने आखिरी गढ़ को मजफूज रखने की. 2019 के चुनाव में एमपी की 29 सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ छिंदवाड़ा में जीत हासिल हुई थी. यहां से कलानाथ के बेटे नकुलनाथ मौजूदा सांसद हैं. उनका मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार विवेक 'बंटी' साहू से है.

पहले चरण में एमपी की 6 सीटों पर वोटिंग हुई. 2019 के चुनाव में इन सीटों पर वोटिंग परसेंट 75.26% रहा था जो इस बार 67.08% रहा.

महाराष्ट्र में वोट ट्रांसफर पर नजर

महाराष्ट्र में दोनों गुटों, INDIA ब्लॉक और NDA के बीच सीट शेयरिंग का मुद्दा आखिरी समय तक फंसा रहा. काफी मुश्किलों के बाद दोनों गुट के सहयोगी संयुक्त मोर्चा बनाने में सफल रहे. हालांकि INDIA ब्लॉक प्रकाश अंबेडकर को अपने साथ बनाए नहीं रख सका और उन्होंने मुकाबले में तीसरा मोर्चा खोल दिया.

सीट शेयरिंग पर मुहर लग जाने के बाद महाराष्ट्र में सबकी नजर इस बात पर है कि क्या सहयोगी पार्टियां एक-दूसरे को अपना कोर वोट बैंक सफलता से ट्रांसफर कर पाएंगी या नहीं.

पहले फेज में सूबे की 5 सीटों पर वोट डाले गए. इनमें से नागपुर हॉट सीट भी थी क्योंकि आरएसएस के इस गढ़ में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार और नागपुर पश्चिम सीट से विधायक विकास ठाकरे से है. पारंपरिक रूप से कांग्रेस की सीट रही नागपुर से पिछले 2 बार से नितिन गडकरी चुनाव जीत रहे हैं.

महाराष्ट्र की इन 5 सीटों पर 2019 में वोट परसेंट 64.65% रहा था जो इस बार यह आंकड़ा 61.87 रहा. इसके बावजूद महाराष्ट्र के इन सीटों पर पिछली बार से बहुत कम वोटिंग हुई है.

मणिपुर में हिंसा के बीच वोटिंग

मणिपुर की दोनों लोकसभा सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल वोट डाले गए. दोनों सीटों के लिए दूसरे चरण में 26 अप्रैल को भी आंशिक रूप से वोटिंग होगी. मणिपुर के लिए यह चुनाव अहम है क्योंकि यह जातीय संघर्ष की पृष्ठभूमि में हो रहा है जिसने प्रभावी रूप से मणिपुर को उसके मैदानी और पहाड़ी भाग में बांट कर रख दिया है. वोटिंग भी हिंसा से अछूती नहीं रही. वोटिंग के बीच मणिपुर में गोलियां चलीं. इंफाल में मतदाताओं ने बूथ कैप्चरिंग का भी आरोप लगाया है.

इसके अलावा नॉर्थ ईस्ट में बात करें तो असम की 5, अरुणाचल प्रदेश की 2, मेघालय की 2, मिजोरम-नागालैंड-सिक्किम और त्रिपुरा की 1-1 सीटों पर वोटिंग हुई. इस पूरे रीजन में वोटिंग परसेंट की बात करें तो:

  • असम: 5 सीट-  78.33% (2019)- 75.95% (2024)

  • मेघालय: 2 सीट-  71.43% (2019)- 74.50% (2024)

  • अरुणाचल: 2 सीट- 82.11% (2019)- 72.74% (2024)

  • मणिपुर: 2 सीट- 82.69% (2019)- 72.17% (2024)

  • नागालैंड: 1 सीट-  83% (2019)- 56.91% (2024)

  • मिजोरम: 1 सीट-  63.14% (2019)- 56.60% (2024)

  • त्रिपुरा: 1 सीट- 81.93% (2019)- 81.62% (2024)

  • सिक्किम: 1 सीट- 81.41% (2019)- 80.03% (2024)

पहले चरण में नॉर्थ ईस्ट की कुल 15 सीटों पर वोटिंग हुई. 2019 में NDA ने इनमें से 13 पर जीत हासिल की थी.

बस्तर में बड़े एनकाउंटर बाद शांति से पड़े वोट 

छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी पहले चरण में वोट डाले गए. वोटिंग से तीन दिन पहले ही यहां सुरक्षाबलों ने बड़ा अभियान चलाया था जिसमें 29 माओवादियों की मौत हुई थी. 2019 में इस सीट पर वोटिंग परसेंट 66.26% था जो इसबार लगभग 67.56% रहा .

इसके अलावा अंडमान और निकोबार, जम्मू और कश्मीर, लक्षद्वीप की 1-1 सीटों पर वोट डाले गए.

आखिर में एक बात और. इसमें पोस्टल बैलेट से डाले हुए वोट शामिल नहीं हैं.

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