लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) का रण तैयार है. 19 अप्रैल यानी शुक्रवार को पहले चरण के लिए वोटिंग होगी. 21 राज्यों की 102 सीटों पर वोट डाले जाएंगे और 1,625 प्रत्याशियों का भविष्य EVM में कैद हो जाएगा. इन प्रत्याशियों में केवल 134 महिला उम्मीदवार हैं जबकि बाकी 1,491 पुरुष हैं. इस बार चुनाव के लिए 7 चरण निर्धारित हैं. नतीजे 4 जून को सामने आएंगे.
फिलहाल पहले चरण की वोटिंग के लिए देश तैयार है. चलिए आपको बताते हैं कि प्रमुख राज्यों में सीटों का समीकरण क्या है और किन VIP कैंडिडेट्स की किस्मत का फैसला कल वोटर्स करने वाले हैं.
पहले चरण में 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में होगी वोटिंग पूरी
पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वोटिंग होगी. वहीं दूसरा चरण 26 अप्रैल को, तीसरा 7 मई को, चौथा 13 मई को, पांचवां 20 मई को, छठा 25 मई को और सातवां चरण 1 जून को होगा. पहले चरण में ही देश के 10 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वोटिंग पूरी हो जाएगी.
इस दौरान जिन निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग होनी है, उनमें बीजेपी के 6 और कांग्रेस के 3 किले शामिल हैं, जी हां, 2009, 2014 और 2019 में बीजेपी ने जबलपुर, चूरू, बीकानेर, सीधी, पीलीभीत और बालाघाट सीटों पर लगातार जीत दर्ज की जबकि कलियाबोर, छिंदवाड़ा और शिलांग सीटों पर कांग्रेस ने लगातार परचम फहराया.
2019 के लोकसभा चुनावों में इन 102 सीटों में से बीजेपी ने 40, डीएमके ने 24 और आईएनसी ने 15 सीटें जीती थीं.
इन सीटों पर रहेगी नजर
उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, रामपुर, पीलीभीत, मुजफ्फरनगर सीट. असम की डिब्रूगढ़ और सोनितपुर, छत्तीसगढ़ की बस्तर, बिहार की जमुई और गया, जम्मू कश्मीर की उधमपुर सीट, मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा, तमिलनाडु की चेन्नई उत्तर, चेन्नई दक्षिण, चेन्नई सेंट्रल, कोयंबटूर, थूथुक्कुडी, तिरुनेलवेली, कन्याकुमारी, मणिपुर दो इनर और आउटर दोनों सीट, राजस्थान की बीकानेर और पश्चिम बंगाल की कूचबिहार के अलावा अलीपुरद्वार सीट.
कहां से कौन खास उम्मीदवार?
LJP (R) के प्रमुख चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती जमुई सीट से, नकुलनाथ छिंदवाड़ा से, के अन्नामलाई कोयंबटूर सीट से, तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन चेन्नई दक्षिण से, कनिमोझी करुणानिधि थूथुक्कुडी सीट से, जितिन प्रसाद पीलीभीत और निसिथ प्रमाणिक कूचबिहार से मैदान में हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में पहले चरण में कुल 91 सीटों के लिए मतदान कराया गया था. इनमें से 31 सीटें बीजेपी जीती थी जबकि कांग्रेस के महज नौ उम्मीदवार ही जमानत बचा पाए थे. इसके अलावा 51 सीटों पर अन्य दलों ने कब्जा जमाया था.
इन राज्यों में वोटिंग
तमिलनाडु: 39 सीटें
राजस्थान: 12 सीटें
उत्तर प्रदेश: 8 सीटें
मध्य प्रदेश: 6 सीटें
उत्तराखंड: 5 सीटें
महाराष्ट्र: 5 सीटें
असम: 5 सीटें
बिहार: 4 सीटें
पश्चिम बंगाल: 3 सीटें
मेघालय: 2 सीटें
अरुणाचल प्रदेश: 2 सीटें
मणिपुर: 2 सीटें
नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जम्मू और कश्मीर, लक्षद्वीप में 1-1 सीट पर होगा मतदान.
19 अप्रैल को वोटिंग का समय सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक है लेकिन 5 बजे तक जो लोग लाइन में लगे हुए थे लेकिन उनका वोट देने का मौका नहीं आ पाया, ऐसे लोगों के लिए एक घंटे का अतिरिक्त समय रहेगा.
इन केंद्रीय मंत्रियों के भविष्य का होगा फैसला
नितिन गडकरी
नागपुर में पहले चरण में मुकाबला केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के विकास कार्यों और कांग्रेस के उम्मीदवार एवं नागपुर पश्चिम सीट से विधायक विकास ठाकरे के बीच है. बता दें, 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से 1996 तक यह सीट कांग्रेस के खाते में ही रही. श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन के प्रभाव में 1996 में बीजेपी पहली बार जीत सकी थी.
इसके बाद फिर चार बार बीजेपी की हार हुई जो 2014 में मोदी लहर में ही रुक पाई जब पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी को टिकट दिया गया. गडकरी 2,84,848 मतों से जीतकर सांसद बने. उम्मीद पर खरे उतरे तो 2019 में दोबारा सांसद चुने गए. वहीं, कांग्रेस को विकास ठाकरे के जातीय समीकरण से उम्मीद है. वह कुनबी समाज से हैं.
किरण रिजिजू
अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नबाम तुकी अरुणाचल पश्चिम संसदीय सीट पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू को चुनौती देंगे. हालांकि 2019 के लोकभा चुनाव में तुकी को रिजिजू से हार का सामना करना पड़ा था. वर्तमान में तुकी विधायक के रूप में पापुमपारे जिले की सागली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह इस सीट से लगातार छह बार विधानसभा पहुंच चुके हैं.
बता दें, गत आम चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी. रिजिजू 1.74 लाख मतों के अंतर से जीते थे. वहीं तुकी का कहना है कि लोग बदलाव चाहते हैं और रिजिजू के प्रति जनता नजरिया बदल रहा है. वह सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं.
सर्वानंद सोनोवाल
केंद्रीय मंत्री और असम के कद्दावर बीजेपी नेता सर्बानंद सोनोवाल डिब्रूगढ़ से इंडी एलायंस के लुरिनज्योति गोगोई के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.उनकी गिनती पूर्वोत्तर के दिग्गज नेताओं के तौर पर होती है. वो 2014 से 2016 तक केंद्र में मंत्री रहे. मई 2016 में हुए असम विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया और 2021 तक उन्होंने इस पद को संभाला.
इसके बाद सोनोवाल ने 2021 के विधानसभा चुनावों में भी जीत दर्ज की.वहीं यूनाइटेड अपोजिशन फोरम, असम (यूओएफए) समर्थित उम्मीदवार लुरिनज्योति गोगोई तेज तर्रार नेताओं में से हैं. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने सीएए का जमकर विरोध किया.
संजीव बालियान
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से बीजेपी ने तीसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान को चुनावी मैदान में उतारा है. उनके सामने एसपी ने हरेंद्र मलिक और बीएसपी ने दारा सिंह प्रजापति को प्रत्याशी बनाया है.इस बार बीजेपी और आरएलडी के जयंत चौधरी के बीच गठबंधन है.
बता दें, 2019 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी संजीव बालियान ने राष्ट्रीय लोकदल के दिवंगत नेता चौधरी अजीत सिंह को करीब 6 हजार वोटों से शिकस्त दी थी.वहीं 2014 के चुनाव में भी बालियान ने बीएसपी के कादिर राणा को हराकर यह सीट जीती थी.
जितेंद्र सिंह
जम्मू संभाग की उधमपुर सीट से 12 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इनमें प्रमुख तौर पर बीजेपी के प्रत्याशी जितेंद्र सिंह के सामने कांग्रेस के उम्मीदवार चौधरी लाल सिंह हैं. मुकाबला मुख्य तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच है.
बता दें, 2014 से इस सीट पर काबिज केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह मोदी के नाम और विकास के नारे के सहारे हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं. वहीं कांग्रेस ने भी दो बार के सांसद रहे चौधरी लाल सिंह को मैदान में उतारा है. इस सीट पर स्टार प्रचारकों के तौर पर दोनों पार्टियों से कई मशहूर चेहरे प्रचार के लिए पहुंचे थे.
भूपेंद्र यादव
अलवर लोकसभा सीट पर बीजेपी से भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के ललित यादव चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. हालांकि पिछले दो लोकसभा चुनावों से इस सीट पर बीजेपी ने ही बाजी मारी है. दोनों ही चुनावों में NDA गठबंधन ने 25 की 25 सीटों पर कब्जा किया.
बता दें, भूपेंद्र यादव राजस्थान बीजेपी का बड़ा नाम हैं. वो मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं लेकिन वो राजस्थान से ही दो बार राज्यसभा भेजे गए.
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव मुंडावर से विधायक हैं. उन्होंने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में 50 हजार से ज्यादा वोट से जीत दर्ज की थी.
अर्जुन राम मेघवाल
राजस्थान के बीकानेर से चुनावी मैदान में बीजेपी से अर्जुन राम मेघवाल,कांग्रेस से गोविंद राम मेघवाल और बीएसपी से खेत राम मेघवाल एकदूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं. अर्जुनराम मेघवाल चौथी बार चुनावी रण में उतारे गए हैं.
बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस के मदन गोपाल मेघवाल को बड़े अंतर से हराया था. कहा जाता है कि अर्जुन राम मेघवाल और गोविंद राम मेघवाल, दोनों ही दलित समाज में अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं.
एल मुरुगन
तमिलनाडु की नीलगिरी लोकसभा सीट पर द्रमुक सांसद एवं पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा का मुकाबला बीजेपी के एल मुरुगन से है जो केंद्रीय मत्स्य राज्य मंत्री हैं. एमपी से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए मुरुगन पहली बार नीलगिरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी उम्मीदवार मुरुगन और ए राजा पुराने राजनीतिक दिग्गज हैं. 2019 में यहां डीएमके के ए राजा ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के एम त्यागराजन को हराया था. इससे पहले 2014 में यहां अन्नाद्रमुक के सी. गोपालकृष्णन ने द्रमुक के ए राजा को 1,04,940 वोटों से हराया था.
बीजेपी का मिशन साउथ
राजनीतिक पंडितों की मानें तो बीजेपी का फोकस इस पर दक्षिण की सीटों पर है क्योंकि पहले से ही बहुमत हासिल कर चुकी पार्टी के पास 400 पार जाने का एकमात्र रास्ता वही बचता है. बीजेपी के चुनाव प्रचार का तरीका ये स्पष्ट भी कर रहा है.
पहले चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने तक पीएम मोदी 36 रैलियां और 7 रोड शो कर चुके हैं. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने 8 रोड शो और 14 जनसभाएं कीं. इसके अलावा राजनाथ सिंह ने 12 राज्यों में 26 जनसभाएं और 3 रोड शो किए तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 18 रैलियां, 3 रोड शो के जरिए प्रचार कर चुके हैं.
वहीं पार्टी ने तमिलनाडु पर अबकी खास फोकस किया है. खुद पीएम मोदी राज्य के 6 दौरे कर चुके हैं. यहां की 39 में से 23 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार हैं और राज्य में करीब 6.23 करोड़ वोटर्स हैं. बता दें, तमिलनाडु में इस बार बीजेपी परिवारवाद के साथ ही कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा उठाकर खुद को स्थापित करने में लगी है.
हालांकि, पीएम मोदी ने तो तमिल लोगों को लुभाने का कार्यक्रम 2019 के बाद से ही शुरू कर दिया था. काशी में तमिल संगमम की शुरुआत, घोषणा पत्र में तमिल भाषा को विश्व के फलक पर फैलाने का वादा और नई संसद में तमिलनाडु से सेंगोल पहुंचाना आदि की चुनाव प्रचार में चर्चा रही है.
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