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“हमें छह दिनों में एक बार पानी मिलता है और वह भी एक घंटे के लिए. एक पानी टैंकर की कीमत 400 रुपये है. हम उस पार्टी को वोट देंगे जो पानी की समस्या खत्म करेगी.”
यह कहना है राजस्थान के लाडनूं के 60 वर्षीय निवासी राजेंद्र जैन का.
लाडनूं नागौर (Nagaur) संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां 19 अप्रैल को पहले चरण में होने जा रहे लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) की वोटिंग में कांटे की टक्कर होने वाली है.
इस सीट पर दो राजनीतिक दिग्गज और पुराने प्रतिद्वंद्वी एक बार फिर आमने-सामने होंगे. एक ओर ज्योति मिर्धा हैं, जो 2009 से 2014 के बीच नागौर से कांग्रेस सांसद थीं, लेकिन पिछले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गईं.
दूसरी ओर, हनुमान बेनीवाल हैं जो एक प्रभावशाली जाट नेता हैं. किसानों और युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं. उन्होंने 2019 में बीजेपी के समर्थन से नागौर सीट जीती थी. इस बार बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने विपक्षी गठबंधन, इंडिया ब्लॉक से हाथ मिलाया है और कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ रही है.
“नागौर किसानों का जिला है. 2020 में शुरू हुए साल भर के किसान विरोध प्रदर्शन के दौरान 600 किसानों और कृषि श्रमिकों की मौत हो गई थी. किसान बीजेपी का समर्थन नहीं करेंगे", जिले के सबसे वरिष्ठ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में से एक, विजय कुमार भोजक ने यह बात कही.
उन्होंने कहा कि नागौर के किसानों ने 2020 के किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था और जाट किसान "भूलेंगे नहीं".
बीजेपी लाडनूं के जिला प्रमुख गजेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने ही उस कांग्रेस सरकार के उलट किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाया है, जिसने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था.
गजेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में पीएम किसान (PM KISAN) के तहत किसानों को सीधे ट्रांसफर की जा रही राशि को 6,000 रुपये से दोगुना कर 12,000 रुपये प्रति वर्ष करने का वादा किया था.
वहीं विजय कुमार भोजक का कहना है कि नागौर परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट रही है और दावा किया कि पार्टी 1947 के बाद से 2-3 मौकों को छोड़कर इस निर्वाचन क्षेत्र से कभी नहीं हारी है. उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नागौर में भारत की पहली पंचायत का उद्घाटन किया था.
लेकिन गजेंद्र सिंह इस दावे से असहमत थे. उन्होंने कहा, “हमने 2019 और 2014 में यह सीट जीती है. फिर यह कांग्रेस की पारंपरिक सीट कैसे हो सकती है?”
कांग्रेस पार्षद नौशाद अली सिसौदिया ने ज्योति मिर्धा को "पार्ट टाइम राजनेता" करार दिया और पूछा, "वह पिछले साढ़े चार साल में कहां थीं?"
हनुमान बेनीवाल के प्रचार भाषणों को ही दोहराते हुए, सिसौदिया ने कहा कि “जब मिर्धा नागौर से सांसद थीं, तब उन्होंने 5 करोड़ रुपये के एमपीएलएडीएस फंड से एक भी रुपया खर्च नहीं किया था. संसद में उनकी उपस्थिति मात्र 30 प्रतिशत थी.”
पहले ज्योति मिर्धा के लिए प्रचार करने के बाद, विजय कुमार भोजक ने आरोप लगाया कि वह "ईडी के छापे के डर से" बीजेपी में शामिल हुई थीं.
विजय कुमार भोजक जिले में कांग्रेस के सबसे सीनियर कार्यकर्ताओं में हैं. वो पूर्व सीएम अशोक गहलोत के साथ अपने मुलाकात की तस्वीरें दिखाते हुए.
77 वर्षीय भोजक खुद को कांग्रेस का पहला वर्कर बताते हैं. उनकी ज्योति मर्धा से एक और शिकायत है,"ज्योति ने कभी हमारा कॉल नहीं उठाया. चाहें वो चुनाव जीतीं या हारीं, उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की ग्राउंड पर कड़ी मेहनत के बाद भी सराहना नहीं की.
हनुमान बेनीवाल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "बेनीवाल किसानों के मसीहा हैं. 2020 में 3 कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए उन्होंने NDA छोड़ दिया था."
77 वर्षीय विजय कुमार भोजक खुद को कांग्रेस का पहला वर्कर बताते हैं. उनकी ज्योति मर्धा से एक और शिकायत है,"ज्योति ने कभी हमारा कॉल नहीं उठाया. चाहें वो चुनाव जीतीं या हारीं, उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की ग्राउंड पर कड़ी मेहनत के बाद भी सराहना नहीं की.
भोजक से सहमति जताते हुए एक अन्य कांग्रेस कार्यकर्ता मनसफ खान ने कहा कि ज्योति मिर्धा का बाहर जाना पार्टी के लिए हानिकारक नहीं होगा क्योंकि वह बेनीवाल जितनी लोकप्रिय नहीं हैं.
विजय कुमार भोजक ने घोषणा की, ''ज्योति मिर्धा नागौर से 2-2.5 लाख वोटों से हारेंगी.''
हालांकि, गजेंद्र सिंह ने कहा कि बेनीवाल 2019 के चुनाव में नागौर सांसद के रूप में केवल इसलिए जीते थे "क्योंकि उन्हें बीजेपी का समर्थन प्राप्त था."
हनुमान बेनीवाल के बारे में बात करते हुए विजय कुमार ने कहा, ''बेनीवाल किसानों के मसीहा हैं. उन्होंने किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए 2020 में एनडीए गठबंधन छोड़ दिया था.
उन्होंने क्विंट को बताया कि बेनीवाल को जिले के 70 प्रतिशत जाट, 100 प्रतिशत मुस्लिम और 70 प्रतिशत हाशिए पर रहने वाले समुदाय के लोग पसंद करते हैं.
“ज्योति मिर्धा बेनीवाल की फॉलोइंग का मुकाबला नहीं कर सकतीं. वह एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी हैं.'' नौशाद अली सिसौदिया ने कहा. उन्होंने कहा कि ज्योति मिर्धा के चाचा हरेंद्र भी आगामी चुनाव में बेनीवाल का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने पिछले साल अपनी भतीजी को 14,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराकर नागौर विधानसभा सीट जीती थी.
हालांकि, गजेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी को एक ईमानदार, निर्णायक और शिक्षित उम्मीदवार के रूप में ज्योति मिर्धा की प्रतिष्ठा से लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा, “उनका वोटबैंक जाट समुदाय तक ही सीमित नहीं है. वह उदारवादियों (लिबरल्स) और अन्य सामाजिक समूहों से भी वोट हासिल करेंगी.''
बीजेपी लाडनूं के जिला प्रमुख गजेंद्र सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने ही उस कांग्रेस सरकार के उलट किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाया है, जिसने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था.
राजस्थान में बेरोजगारी के सवाल पर गजेंद्र सिंह कहते हैं, “केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को नौकरी खोजने वाले नहीं बल्कि नौकरी पैदा करने वाला बनने के लिए ट्रेंड कर रही है. इसके अलावा, रोजगार के डेटा में असंगठित क्षेत्र के कृषि मजदूरों की गिनती नहीं की गई है.''
उन्होंने कहा कि अगर बेनीवाल ने एनडीए से गठबंधन नहीं तोड़ा होता तो वे जाट समुदाय के लिए बहुत कुछ कर सकते थे.
गजेंद्र सिंह ने कहा, “हालांकि दलित समुदाय आमतौर पर कांग्रेस का पक्ष लेता है, लेकिन मुफ्त अनाज योजना, आवास योजना आदि जैसे कई केंद्रीय योजनाओं के साथ-साथ बीआर अंबेडकर की विरासत का सम्मान करने के लिए पंचतीर्थ की घोषणा ने हाशिए पर रहने वाले समुदायों को लाभ पहुंचाया है. बीजेपी को इस सामाजिक समूह से अच्छे वोट शेयर की उम्मीद है."
लाडनूं के मुख्य बाजार गांधी चौक पर एक चांदी के आभूषण की दुकान के मालिक ने कहा, “लाडनूं में सबसे बड़ा मुद्दा नौकरियों का है. कांग्रेस सरकार ने पेपर लीक के कारण कई छात्रों का भविष्य बर्बाद कर दिया." उन्होंने लगभग बिना किसी हिचकिचाहट के कहा कि उनका वोट पीएम मोदी के लिए होगा.
उन्होंने स्वीकार किया कि जब बेनीवाल बीजेपी के साथ थे तो उन्होंने बेनीवाल को वोट दिया था. लेकिन कांग्रेस पार्टी के पक्ष में मतदान करने से इनकार कर दिया.
इस बीच, कांग्रेस कार्यकर्ता मनसफ खान ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने राज्य सरकार में कई जाट पदाधिकारियों के ट्रांसफर की शुरुआत की.
इस साल की शुरुआत में कांग्रेस सदस्य और पूर्व विधायक कृष्णा पूनिया ने जाट पदाधिकारियों की एक कथित लिस्ट ट्वीट की थी और आरोप लगाया था कि उनका तबादला कर दिया गया है.
क्विंट ने इस लिस्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है.
इस बारे में पूछे जाने पर गजेंद्र सिंह ने कहा, ''जब कोई नई सरकार बनती है तो प्रशासन में फेरबदल होता है. इसका किसी जाति से कोई लेना-देना नहीं है. यह रूटीन काम था."
मनसफ खान ने यह भी दावा किया कि दिसंबर 2023 में राजस्थान में राज्य चुनाव जीतने के बाद भजनलाल सरकार ने ऐसी कई योजनाएं वापस ले लीं, जिनकी घोषणा अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने की थी. इसमें इंदिरा गांधी रसोई (रियायती दरों पर भोजन) और चिरंजीवी योजना (25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर) भी शामिल थीं. इससे उनके लाभार्थियों के वोटों पर असर पड़ने की उम्मीद है.
हालांकि, गजेंद्र सिंह ने दावा किया कि दरअसल वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने भामाशाह योजना के नाम से स्वास्थ्य बीमा शुरू किया था और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इसका नाम बदलकर चिरंजीवी कर दिया.
लाडनूं के मुख्य बाजार गांधी चौक पर एक चांदी के आभूषण की दुकान के मालिक ने कहा, “लाडनूं में सबसे बड़ा मुद्दा नौकरियों का है. कांग्रेस सरकार ने पेपर लीक के कारण कई छात्रों का भविष्य बर्बाद कर दिया."
एक अन्य दुकान के मालिक ने कहा कि लाडनूं को "पिछले 50 वर्षों से उपेक्षित" किया गया है, चाहे कोई भी सरकार सत्ता में आए.
गजेंद्र सिंह ने क्विंट को बताया कि पानी की कमी और भ्रष्टाचार यहां बड़े मुद्दे हैं. उन्होंने कहा, "अगर बीजेपी सत्ता में आई तो हम इन मुद्दों का समाधान करेंगे. हमने इस संबंध में राज्य के जल शक्ति मंत्री कन्हैया लाल चौधरी से बात की है."
हालांकि, विजय कुमार भोजक ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा जारी चुनावी बांड डेटा ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के "भ्रष्टाचार को उजागर" कर दिया है और "यह इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है.
हालांकि लाडनूं में यह मामला ज्यादा तूल पकड़ता नजर नहीं आ रहा है. एक दुकान के मालिक ने कहा, “जो भी सत्ता में होगा उसके पास पैसा होगा. देश के कामकाज के लिए उन्हें इसकी जरूरत है. पीएम मोदी भ्रष्ट नहीं हैं. वह विकास के पक्षधर हैं.''
नौशाद अली सिसौदिया ने कहा, “इतना ध्रुवीकरण है कि लोग बोलने से डरते हैं. पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा है. लेकिन महंगाई के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया.'' उन्होंने कहा कि वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से किसान और मध्यम वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. कांग्रेस इन मुद्दों को जनता के बीच ले जा रही है, लेकिन बदलाव में समय लगेगा. और बीजेपी की सीटों में कमी, न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे भारत में, उस बदलाव का संकेत होगी.
एक अन्य दुकान के मालिक ने अपनी गोटा-पट्टी को हाथ से सजाते हुए कहा कि लाडनूं को "पिछले 50 वर्षों से उपेक्षित" किया गया है, चाहे कोई भी सरकार सत्ता में आए. लेकिन आगामी चुनाव में वह कांग्रेस प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल को वोट देंगे.
इस बीच, गजेंद्र सिंह ने कहा कि एक तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रचार में जुट गए हैं और दूसरी तरफ कार्यकर्ता बूथ स्तर पर मतदाताओं को टारगेट कर रहे हैं. उन्होंने समझाया:
गजेंद्र सिंह ने दावा किया कि दूसरी पार्टियां इस तरह का "बूथ-स्तरीय मैनेजमेंट" नहीं कर सकतीं, जैसा कि बीजेपी करती है. उन्होंने घोषणा की, "बीजेपी राजस्थान में सभी 25 लोकसभा सीटें न्यूनतम एक लाख वोटों के अंतर से जीतेगी."
हालांकि, विजय कुमार भोजक इस दावे से सहमत नहीं दिखे और कहा कि यह योजना "असफल" हो जाएगी. उन्होंने टिप्पणी की: “कांग्रेस जितने दफे टूटी है, उतनी उसमें निखार आयी है. कभी हतोत्साहित नहीं हुई. हम निश्चित रूप से पिछली बार से अधिक जीतेंगे."
उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस राजस्थान की कुल 25 लोकसभा सीटों में से कम से कम छह सीटें जीतेगी और यह आंकड़ा 12 तक जा सकता है. उन्होंने तर्क दिया कि विधानसभा चुनावों के विपरीत इस बार जाट वोट विभाजित नहीं होंगे क्योंकि तब बेनीवाल ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया था.
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