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पश्चिम बंगाल में बीजेपी का खराब प्रदर्शन, वफादारों का नेतृत्व से टकराव क्यों है?

West Bengal Lok Sabha Result: कई नेता हार के पीछे एक साजिश का भी संकेत दे रहे हैं, जहां जीत की संभावना अधिक थी.

मधुश्री गोस्वामी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>पश्चिम बंगाल में बीजेपी का खराब प्रदर्शन, वफादारों का नेतृत्व से टकराव क्यों है?</p></div>
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पश्चिम बंगाल में बीजेपी का खराब प्रदर्शन, वफादारों का नेतृत्व से टकराव क्यों है?

फोटो-पीटीआई

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पीएम मोदी ने 11 मार्च को लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनावी प्रचार का बिगुल फूंका. उन्होंने हुगली जिले के आरामबाग में बीजेपी की 'विजय संकल्प' रैली के साथ पश्चिम बंगाल में अपना अभियान शुरू किया. उन्होंने तीन महीने तक चले अपने अभियान का समापन 29 मई को कोलकाता में एक मेगा रोड शो के साथ किया.

इस दौरान पीएम मोदी ने 22 सभाओं को संबोधित किया और 1 रोड शो किया.

हालांकि, 22 सभा और 1 रोड शो करने के बाद भी बीजेपी राज्य में महज 12 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 18 सीटीं जीतीं थी.

भगवा पार्टी पांच सीटें - कूच बिहार, बांकुरा, मेदिनीपुर, बैरकपुर और झाड़ग्राम - बरकरार रखने में भी विफल रही, जिसे पार्टी ने 2019 में जीता था. खराब प्रदर्शन के कारण राज्य में पार्टी के अंदर मतभेद शुरू हुए. कई बीजेपी नेताओं ने राज्य में लोकसभा चुनावों में अपने खराब प्रदर्शन के लिए "नए, अनुभवहीन नेताओं" को जिम्मेदार ठहराया है. कई नेता हार के पीछे एक साजिश का भी संकेत दे रहे हैं,जहां जीत की संभावना अधिक थी.

किस पर लगाएं दोष?

पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष जो बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से पूर्व क्रिकेटर कृति आजाद से हार गए थे, उन कई वफादारों में से हैं जिन्होंने केंद्रीय नेतृत्व पर "तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आने वालों को बहुत अधिक महत्व देने" का आरोप लगाया.

घोष इस बार अपनी सीट हारने वाले कई नेताओं में से एक हैं. अन्य में अभिनेता लॉकेट चटर्जी और फैशन डिजाइनर अग्निमित्रा पॉल शामिल हैं. घोष ने स्थानीय मीडिया पर आरोप लगाया कि "यह सुनिश्चित करने के लिए एक साजिश रची गई थी कि मैं चुनाव हार जाऊं."

क्विंट हिंदी से बातचीत में, घोष ने बताया- "षड्यंत्र और चुगली करना कुछ और नहीं बल्कि राजनीति का हिस्सा है. मैं उन्हें इसी तरह से लेता हूं. इसके बावजूद, मैंने काफी मेहनत की लेकिन जीत नहीं सका. जिन लोगों ने मुझे बर्धमान-दुर्गापुर से मैदान में उतारने का फैसला किया, वे ही समझा पाएंगे. कई कार्यकर्ता मैदान में नहीं थे."

मेदिनीपुर निर्वाचन क्षेत्र (जिसे बीजेपी का गढ़ माना जाता था) के पूर्व सांसद, घोष को विधानसभा चुनावों में टीएमसी के खिलाफ जीत हासिल करने में विफल रहने के बाद 2021 में बीजेपी बंगाल इकाई के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. फिर उन्हें उनकी मेदिनीपुर सीट से स्थानांतरित कर दिया गया, जिसे टीएमसी ने 2021 के चुनाव में फिर से बर्धमान-दुर्गापुर में हासिल कर लिया, जहां उन्होंने निवर्तमान सांसद एसएस अहलूवालिया की जगह ली.

इसके बदले में, उन्हें बाद में उनके गृह क्षेत्र आसनसोल में ले जाया गया, जहां वह टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा से हार गए. आसनसोल दक्षिण से पार्टी की मौजूदा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने मेदिनीपुर में घोष की जगह ली. हाल ही में संपन्न चुनावों में बीजेपी के तीनों उम्मीदवार टीएमसी उम्मीदवारों से हार गए थे.

इसके बदले में, उन्हें बाद में उनके गृह क्षेत्र आसनसोल में ले जाया गया, जहां वह टीएमसी के शत्रुघ्न सिन्हा से हार गए. आसनसोल दक्षिण से पार्टी की मौजूदा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने मेदिनीपुर में घोष की जगह ली. हाल ही में संपन्न चुनावों में बीजेपी के तीनों उम्मीदवार टीएमसी उम्मीदवारों से हार गए थे.

घोष ने क्विंट हिंदी को आगे बताया कि राज्य में भगवा पार्टी की वृद्धि 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद से रुक गई है जब पार्टी ने 77 सीटें जीती थीं

उन्होंने आरोप लगाया कि "2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी के भीतर कोई उचित सुधार और विश्लेषण नहीं हुआ है. हार के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया. 2026 में जब राज्य में फिर से चुनाव होंगे तो ऐसी स्थिति से बचने के लिए अब सुधार करना होगा. पिछले पांच वर्षों में, पार्टी पश्चिम बंगाल में बढ़ने के बजाय सिकुड़ गई है,''

राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम ने क्विंट हिंदी को बताया:

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"कहा जाता है कि बंगाल बीजेपी में तीन लॉबी हैं. एक का नेतृत्व दिलीप घोष करते हैं, दूसरे का नेतृत्व सुकांत मजूमदार करते हैं, और तीसरे का नेतृत्व सुवेंदु अधिकारी (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पूर्व सहयोगी) करते हैं. इनमें सुवेंदु लॉबी सबसे मजबूत मानी जा रही है. कहा जा रहा है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं का एक वर्ग इस बात से नाराज है कि हाल के वर्षों में टीएमसी से आए नेताओं को अधिक महत्व दिया जा रहा है."

मैदुल इस्लाम ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारी पर जो भरोसा जताया है, उसके कारण पार्टी पर उनकी पकड़ मजबूत है, जिसके कारण उन्हें बंगाल में पार्टी द्वारा उतारे गए 42 उम्मीदवारों में से 15 पर फैसला लेने का अधिकार मिला. उनके सभी सुझावों को केंद्रीय नेतृत्व ने आंख मूंदकर मान लिया, जिससे इस बार बीजेपी मुश्किल में पड़ गई. और अब पार्टी की राज्य इकाई के कई नेता इस पर सवाल उठा रहे हैं."

घोष के अलावा, बिष्णुपुर सीट पर मामूली अंतर से जीत हासिल करने वाले सौमित्र खान ने भी राज्य के पार्टी नेताओं की आलोचना करते हुए उन्हें अयोग्य करार दिया

खान ने मीडिया को बताया, "जब चुनाव लड़ने का कोई उचित राजनीतिक अनुभव नहीं रखने वाले लोग संगठन में काम करते हैं, तो आपको यही परिणाम मिलता है. राज्य के नेताओं की ओर से कुछ प्रकार की जवाबदेही होनी चाहिए, जिन्होंने इस चुनाव में सभी फैसले लिए हैं."

कौन होगा बीजेपी का बंगाल अध्यक्ष?

रविवार, 9 जून को, पश्चिम बंगाल बीजेपी इकाई के वर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, प्रधान मंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए लोगों में से थे.

उन्होंने कथित तौर पर मीडिया से कहा, "पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे निभाऊंगा. पार्टी के वफादार सैनिकों के रूप में, हम यह नहीं चुनते कि हम किस मोर्चे पर लड़ रहे हैं.

मजूमदार का मोदी 3.0 सरकार में शामिल होना इस बात का संकेत है कि पश्चिम बंगाल बीजेपी नेतृत्व में बदलाव होगा.

भले ही अधिकारी को बंगाल में बीजेपी की चुनावी हार के लिए दोषी ठहराया जा रहा है, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता राज्य बीजेपी प्रमुख के पद के लिए सबसे आगे हो सकते हैं. उनके अलावा पार्टी अध्यक्ष पद के लिए अन्य दावेदार भी हैं, जिनमें पूर्व पार्टी अध्यक्ष दिलीप घोष, दो बार के पुरुलिया सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो और अभिनेता लॉकेट चटर्जी शामिल हैं

नाम न बताने की शर्त पर बंगाल के वरिष्ठ बीजेपी नेता ने क्विंट हिंदी को बताया- इस चुनाव में जहां पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है, वहीं सुवेंदु ने अपने गृह क्षेत्र पूर्वी मेदिनीपुर जिले (कोंताई और तामलुक) की दोनों सीटों पर बीजेपी को विजयी बनाया है. इसलिए पार्टी के एक वर्ग को लगता है कि अमित शाह-जेपी नड्डा उन्हें चुन सकते हैं. दूसरी ओर, इस बार बर्धमान-दुर्गापुर सीट हारने के बावजूद बीजेपी ने दिलीप घोष के नेतृत्व में राज्य में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. तो, यह भी उन्हें एक संभावित उम्मीदवार बनाता है,"

भले ही महतो जीत गए, लेकिन इस चुनाव में बंगाल में बीजेपी का कुर्मी वोट बैंक व्यावहारिक रूप से ढह गया, और यह झारग्राम, बांकुरा और मेदिनीपुर जैसी सीटों के नुकसान से स्पष्ट है, जहां कुर्मी आबादी अच्छी खासी है
बीजेपी नेता
वर्तमान में कुर्मी समुदाय से आने वाले ज्योतिर्मय राज्य बीजेपी के पांच महासचिवों में से एक हैं.

बीजेपी नेता ने आगे बताया-उन्हें अध्यक्ष बनाकर और प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी देकर बीजेपी कुर्मी समाज को 'संदेश' दे सकती है. इसके अलावा, लॉकेट राज्य बीजेपी के 'महिला चेहरों' में से एक है, जो उन्हें इस पद के लिए शीर्ष दावेदार बनाता है.

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