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संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू हो चुका है. सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में सासंदों के वेतन कटौती वाला बिल पेश किया गया और ये पास हो गया. इस बिल के तहत हर सांसद की 30 फीसदी सैलरी में कटौती की जाएगी. इस बिल पर कुछ देर तक चर्चा हुई, जिसके बाद इसे पास कर दिया गया. बता दें कि कोरोना संकट के बाद केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस बिल को मंजूरी दी गई थी.
इस बिल पर चर्चा के दौरान सांसदों ने सैलरी में कटौती का कोई विरोध नहीं किया, लेकिन सांसद निधि को खत्म किए जाने का विरोध किया. कई विपक्षी सांसदों ने मांग करते हुए कहा कि भले ही उनकी पूरी सैलरी काट दी जाए, लेकिन सांसद निधि खत्म किए जाने का फैसला वापस लिया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के चलते सांसद निधि को दो सालों तक के लिए सस्पेंड कर दिया था. ये सांसद निधि वो होती है, जिसे सांसद अपने लोकसभा क्षेत्र में काम करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. इसीलिए सांसदों की मांग है कि इस निधि को वापस दिया जाना चाहिए, जिससे जनता के काम हो सकें.
वहीं महाराष्ट्र के अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा ने भी सांसद निधि को हटाए जाने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि, सरकार सभी सांसदों की पूरी सैलरी ले ले, लेकिन MPLADS फंड में कोई कटौती नहीं होनी चाहिए. क्योंकि इसका इस्तेमाल विकास के कार्यों में किया जाता है.
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