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सोमवार, 28 मार्च को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) ने लोकसभा में दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक (The Criminal Procedure (Identification) Bill, 2022) पेश किया. संसद के 120 सदस्यों ने इस बिल के समर्थन में वोट किया, जिसके बाद ड्राफ्ट को कानून का रूप दिया जाएगा. इसके अलावा विपक्ष के 58 सदस्यों ने इस बिल का विरोध किया. विधेयक में आपराधिक मामलों में पहचान और जांच के लिए दोषियों और अन्य व्यक्तियों की जांच करने और रिकॉर्ड संबंधित मामलों को संरक्षित करने के लिए अधिकृत करने का प्रावधान है.
कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने तर्क दिया कि बिल में बायलॉजिकल इनफॉर्मेशन के कलेक्शन में बल प्रयोग शामिल है, जिससे नार्को एनालिसिस भी हो सकता है. आरएसपी सदस्य एनके प्रेमचंद्रन, टीएमसी सदस्य सौगत रॉय, कांग्रेस सदस्य अधीर रंजन चौधरी और बीएसपी सदस्य रितेश पांडे ने भी पेश किए गए विधेयक का विरोध किया.
अजय मिश्रा ने सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक में 102 साल पुराने कानून को बदलने की मांग की गई है, जो केवल दोषियों के उंगलियों के निशान और पैरों के निशान के कलेक्शन की अनुमति देता है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं और इसे अपराधों की जांच में शामिल करने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि विधेयक पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ विचार-विमर्श किया गया है.
इस बिल का उद्देश्य दोषियों, अपराधियों की इन्फॉर्मेशन को कलेक्ट करना है, जिससे आने वाले वक्त में इसे काम में लाया जा सके. इस बिल के कानून बन जाने के बाद पुलिस को यह अधिकार मिल जाएगा कि अपराधियों के अंगों का निशान ले सके. इसके तहत पुलिस अपराधियों की उंगलियों के निशान, पैरों और हथेली के निशान, फोटोग्राफ, बॉयोलॉजिकल सैंपल, आंख की पुतली, रेटिना स्कैन, दस्तखत और लिखावट जैसे रिकॉर्ड का कलेक्शन कर सकती है.
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Published: 28 Mar 2022,05:27 PM IST