Home News Politics बंदी विधायकों की आजादी हो, स्पीकर लें फ्लोर टेस्ट पर फैसला: कमलनाथ
बंदी विधायकों की आजादी हो, स्पीकर लें फ्लोर टेस्ट पर फैसला: कमलनाथ
मध्य प्रदेश का सियासी संकट फिलहाल कम होता नहीं दिख रहा
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ
(फोटोः PTI)
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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन के उस लेटर का जवाब दिया है, जिसमें टंडन ने 17 मार्च तक राज्य विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे.
कमलनाथ ने अपने लेटर में लिखा है, ''मध्य प्रदेश के बंदी बनाए गए 16 कांग्रेसी विधायकों को स्वतंत्र होने दीजिए और 5-7 दिन खुले वातावरण में बिना किसी डर-दबाव अथवा प्रभाव के उनके घर पर रहने दीजिए ताकि वे स्वतंत्र मन से अपना निर्णय ले सकें.''
कमलनाथ ने राज्यपाल को लिखे लेटर में कहा है, ‘’आपका यह मानना कि 17 मार्च 2020 तक मध्य प्रदेश विधानसभा में, मैं फ्लोर टेस्ट करवाऊं और अपना बहुमत सिद्ध करूं अन्यथा यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव में विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है, पूरी तरह आधारहीन होने से असंवैधानिक होगा.’’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसके आगे लिखा है, ''इन सारे तथ्यों के प्रकाश में मैंने आपके निर्देश को माननीय विधानसभा अध्यक्ष को समुचित फैसला लेने के लिए फॉरवर्ड कर दिया है.''
टंडन ने अपने लेटर में क्या-क्या कहा था?
राज्यपाल टंडन ने 16 मार्च को कमलनाथ को लिखे अपने लेटर में कहा था-
मेरे 14 मार्च 2020 के लेटर का जवाब मिला है. मुझे खेद है कि लेटर का भाव / भाषा संसदीय मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है. मैंने अपने 14 मार्च 2020 के लेटर में आपसे विधानसभा में 16 मार्च को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए निवेदन किया था
आज (16 मार्च को) विधानसभा का सत्र शुरू हुआ. मैंने अपना अभिभाषण पढ़ा, लेकिन आपके द्वारा सदन का विश्वास मत प्राप्त करने की कार्यवाही शुरू नहीं की गई और इस संबंध में कोई सार्थक प्रयास भी नहीं किया गया और सदन की कार्यवाही 26 मार्च 2020 तक स्थगित हो गई
आपसे फिर से निवेदन है कि आप संवैधानिक और लोकतंत्रीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए 17 मार्च 2020 तक मध्य प्रदेश विधानसभा में शक्ति करवाएं और अपना बहुमत सिद्ध करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधानसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है
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ऐसे शुरू हुआ मध्य प्रदेश का हालिया सियासी संकट
मध्य प्रदेश का हालिया राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दिया. सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. उधर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिन्हें सिंधिया खेमे का बताया जा रहा है.
मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने 22 में से 6 विधायकों के इस्तीफे को ही स्वीकार किया है. ऐसे में 16 ‘बागी’ विधायकों के इस्तीफे पर अभी स्पीकर का फैसला बाकी है. इस बीच मध्य प्रदेश विधानसभा का मौजूदा संख्याबल 222 हो गया है, जबकि बहुमत का आंकड़ा 112 हो गया है.
बात कांग्रेस के संख्याबल की करें तो उसके पास फिलहाल (16 ‘बागी’ विधायकों सहित) 108 विधायक हैं. इसके अलावा उसे 7 सहयोगी विधायकों का भी समर्थन हासिल है. जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.
अगर बाकी 16 विधायकों के भी इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो विधानसभा का संख्याबल घटकर 206 हो जाएगा. उस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा घटकर 104 हो जाएगा और बीजेपी की सरकार बनाने की राह साफ हो जाएगी.