मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP-बिहार के बाद मध्य प्रदेश में जाति समीकरण साधकर 2018 की गलती सुधारेगी BJP?

UP-बिहार के बाद मध्य प्रदेश में जाति समीकरण साधकर 2018 की गलती सुधारेगी BJP?

MP Elections 2023: क्या मध्य प्रदेश में सफल होगा बीजेपी का कास्ट इंजीनियरिंग फॉर्मूला?

विष्णुकांत तिवारी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>MP Election 2023</p></div>
i

MP Election 2023

(फोटो- Altered By Quint Hindi)

advertisement

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में जातिवाद सामाजिक तौर पर बुंदेलखंड और बघेलखंड यानी की विंध्याचल के इलाकों में काफी प्रभावी रहा है. इसके बावजूद व्यापक तौर पर जातिवादी चुनाव मध्यप्रदेश की खासियत नहीं है. लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Assembly Elections 2023) से पहले बीजेपी की राजनीति में बदलाव प्रदेश में जातिवाद आधारित चुनावों की ओर इशारा कर रहे हैं.

हाल ही में अंबेडकर कुंभ के नाम से अंबेडकर जयंती के दो दिन बाद आयोजित एक कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने दलित और अन्य पिछड़ी जातियों के सामाजिक बोर्ड और आयोग के गठन की घोषणा की है. 

ये बात भी मामा शिवराज ने ग्वालियर चंबल इलाके में कही, जहां 2017 में हुए जातिगत तनाव के चलते 6 दलितों की मौत हो गई थी.  इस घटना के बाद से ही दलित समाज बीजेपी से दूर हो गया था और इसी का खामियाजा बीजेपी को 2018 विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ा था. 

बता दें की 2018 में ग्वालियर चंबल इलाके से बीजेपी को 34 में से मात्र 7 सीटें ही मिली थी जबकि कांग्रेस 26 सीटें जीतने में सफल हुई थी. 

बीजेपी मध्यप्रदेश में अलग-अलग समाजों के नाम पर बोर्ड और आयोगों का गठन कर चुकी है जैसे कि, स्वर्णकार कल्याण बोर्ड, रजक कल्याण बोर्ड, विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड, तेलघानी बोर्ड, और इसके अलावा बांस विकास प्राधिकरण, माटी कल्याण बोर्ड आदि का गठन भी बीजेपी की ताजा राजनीति का उदहारण हैं.

बीजेपी ने इसी महीने 10 अप्रैल से मंडल स्तर पर 'सामाजिक समरसता अन्न सहभोज' कार्यक्रम शुरू किया है जिसमें बीजेपी महिला मोर्चा की सदस्य अनुसूचित जाति वर्ग की बहनों के साथ सहभोज कर उन्हें राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में बताएंगी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मध्यप्रदेश में जातिगत समीकरण, दलितों पर सबकी नजर, किसको मिलेगा फायदा?

मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं.  आइए बताते हैं बीते 4 विधानसभा चुनावों में दलितों ने कब किसे जिताया?

मध्यप्रदेश के पिछले 4 विधानसभा चुनावों में दलितों ने कब किसे जिताया?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

2018 में बीजेपी को अनुसूचित जाति वर्ग ने खासा परेशान किया था. 35 से मात्र 18 सीटों पर सीमित हो जाने वाली बीजेपी इस बार 2018 की अपनी गलतियों को दोहराना नहीं चाह रही है. यही कारण है कि प्रदेश भर में हर जाति के लिए अलग कार्यक्रम, अलग घोषणाएं की जा रही है.

राज्य के वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि बीजेपी की रणनीति चुनावी गुणा-गणित के हिसाब से ठीक हो सकती है लेकिन अगर प्रदेश में जातिगत चुनाव कराने में बीजेपी सफल होती है तो फिर मध्यप्रदेश की राजनीति का भविष्य जाति में फंसता हुआ दिखेगा. 

"आप उत्तर प्रदेश और बिहार का उदाहरण देख लीजिए, जाति आधारित चुनाव होने के कारण क्या स्थिति है. अब तक मध्यप्रदेश में खुलकर इस तरीके से चुनाव नहीं लड़ा गया है और इस बार के चुनाव आने वाले कई दशकों की रूपरेखा तैयार करेंगे. ऐसे में अगर जाति आधारित चुनाव करवाने में बीजेपी सफल होती है तो मध्य प्रदेश की राजनीति बहुत कुछ यूपी और बिहार जैसे हो जायेगी, इसकी संभावना बढ़ जाती है". 
वरिष्ठ पत्रकार

खुद को दलित और हर वर्ग का बताने में कांग्रेस भी पीछे नहीं

मध्य प्रदेश की सियासत में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही दोनों राजनीतिक दल बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस जी जान से चुनावी तैयारियों में जुटी हुई हैं. 

एक तरफ जहां हमने बताया की बीजेपी जाति आधारित चुनावों की ओर बढ़ती हुई दिख रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी मध्य प्रदेश में जातीय समीकरण को भुनाने में पीछे नहीं है. 

शिवराज के जातियों के बोर्ड और आयोग की घोषणा के बाद कमलनाथ ने भी सेन समाज को संबोधित करते हुए वादा किया कि कांग्रेस की सरकार आएगी तो सेन समाज का भी आयोग बनाया जाएगा. 

दोनों ही प्रमुख दल मध्यप्रदेश 2023 विधानसभा चुनावों के पहले जातीय समीकरण को साधने में जुटे हुए हैं.

हिंदुत्व के मुद्दे पर भी दोनों दल काम कर रहे हैं. एक खुलकर तो दूसरा परदे के पीछे से. वहीं प्रदेश के हर जाति वर्ग को अलग से साधने के लिए पूरी प्लानिंग की जा रही है.

चुनावी साल में मध्यप्रदेश के किस जाति वर्ग को क्या सौगात मिलेगी ये तो देखने वाली बात होगी. लेकिन इस जाति आधारित राजनीति का प्रदेश के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा इसको लेकर भी चिंता और विचार विमर्श का दौर जोर पर है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT