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महाराष्ट्र (Maharashtra) के मंत्री छगन भुजबल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह मराठा समुदाय को बैक डोर से सुविधा दे रही है. उन्होंने कहा कि वह मराठों को आरक्षण मिलने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन मौजूदा OBC कोटे से न दिया जाए. शनिवार, 3 फरवरी को उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने नवंबर में राज्य मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया था. छगन भुजबल NCP के अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट के नेता हैं.
एक रैली को संबोधित करते हुए, छगन भुजबल, ने कहा कि वह मराठों को आरक्षण मिलने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन मौजूदा OBC कोटा में बंटवारा करने के खिलाफ हैं.
भुजबल ने आगे कहा...
भुजबल मराठा आरक्षण की मांग से निपटने के लिए राज्य सरकार की आलोचना करते रहे हैं. जिसके चलते उनसे खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री के रूप में उनके इस्तीफे की मांग की गई है. उन्होंने सरकार पर मराठा आरक्षण नेता मनोज जारांगे की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था.
एकनाथ शिंदे खेमे के एक शिवसेना विधायक ने कहा था कि समाज में दरार पैदा करने की कोशिश के लिए भुजबल को बर्खास्त किया जाना चाहिए.
भुजबल ने कहा, हम मराठा समुदाय को आरक्षण का विरोध नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें अलग से आरक्षण देते हैं. इसे हमारे (ओबीसी) कोटे के तहत न दें. लेकिन वे (मनोज जारांगे) कहते हैं कि इसे ओबीसी कोटे से दें.
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा एक सर्वेक्षण के माध्यम से मराठा समुदाय के पिछड़ेपन को निर्धारित करने के लिए डेटा एकत्र करने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है.
भुजबल एक ओबीसी समाज के नेता हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1960 के दशक में शिव सेना से की थी. उन्होंने 1991 में पार्टी छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. बाद में, जब कांग्रेस के नेता शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) बनाने का फैसला किया, तो भुजबल उनके साथ चले गये.
उन्हें दो बार मुंबई के मेयर के रूप में चुना गया. वह पहले 1985 में और फिर 1990 में मझगांव से चुने गए शिवसेना के शुरुआती विधायकों में से एक थे. भुजबल ने 2014 का आम चुनाव नासिक निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा और शिवसेना के हेमंत गोडसे से हार गए. भुजबल वर्तमान में येओला निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य हैं और 2004 से विधायक हैं.
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