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बीजेपी शिवसेना से पालघर लोकसभा उपचुनाव का बदला विधान परिषद चुनाव में लेने की तैयारी में है. 21 मई को हुए विधान परिषद चुनाव में नासिक की सीट पर बीजेपी ने एनसीपी उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला किया है. नासिक में शिवसेना, एनसीपी और निर्दलीय उम्मीदवार के बीच कड़ा मुकाबला है.
शिवसेना से नरेंद्र दराडे, कांग्रेस-एनसीपी की ओर से शिवजी सहाने और निर्दलीय परवेज कोंकणी, ये तीनों उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं.
विधान परिषद के 6 सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए कांग्रेस-एनसीपी ने गठबंधन का ऐलान पहले ही कर दिया था. लेकिन शिवसेना और बीजेपी ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार न उतारते हुए 3-3 सीटों पर समझौता कर लिया था. हालांकि शिवसेना ने बीजेपी को पालघर उपचुनाव में झटके दिए, जिसके बाद अब बीजेपी शिवसेना से बदला ले रही है.
1. अमरावती: प्रवीण पाटिल (बीजेपी) vs अनिल माधव गड़ियां
2. वर्धा-चन्द्रपुर: रामदास अंबाटकर (बीजेपी) vs इंद्रकुमार सराफ (कांग्रेस)
3. लातूर-उस्मानाबाद-बीड: सुरेश धस (बीजेपी) vs अशोक जगदाले (इंडिपेंडेंट), एनसीपी का समर्थन
4. नासिक: नरेंद्र दराडे (शिवसेना) vs शिवाजी सहाने
5. रतनागिरी-सिंधुदुर्ग-रायगढ़: राजेश सबले (शिवसेना) vs अनिकेत तटकरे (एनसीपी)
6. हिंगोली-परभणी: विपुल बाजोरिया (शिवसेना) vs सुरेश देशमुख
बीजेपी ने विधान परिषद चुनाव में नासिक की सीट पर अपनी 'सहयोगी पार्टी' शिवसेना के खिलाफ लड़ रहे एनसीपी उम्मीदवार को समर्थन दे दिया है. सूत्रों के मुताबिक, कोंकण सीट पर भी बीजेपी-एनसीपी का तालमेल वाला समीकरण दिख रहा है.
कोंकण सीट पर भी मुकाबला शिवसेना और एनसीपी-कांग्रेस के बीच है, लेकिन यहां भी नारायण राणे और बीजेपी की भूमिका बड़ी है. हालांकि लातूर, उस्मानबाद, बीड विधान परिषद सीट पर बीजेपी बनाम एनसीपी की लड़ाई बेहद अहम और रोचक है. यह सीट मंत्री पंकजा मुंडे के लिए प्रतिष्ठा वाली है, वहीं पंकजा के चचेरे भाई और विधान परिषद में नेता विपक्ष धनंजय मुंडे भी इस सीट पर अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं.
नासिक में कुल वोटों के साथ ये देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी के पास कितनी ताकत है. नीचे के आंकड़ों में साफ देखा जा सकता है कि अगर बीजेपी-शिवसेना साथ आते, तो इनके संयुक्त उम्मीदवार के पास बहुमत का आंकड़ा होता. लेकिन बीजेपी ने एनसीपी को समर्थन दिया है, जिससे इस खेमा का पलड़ा भारी हो गया है.
कुल वोट: 644
दरअसल, जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, शिवसेना और बीजेपी के बीच रिश्तों की डोर और कमजोर हो रही है. लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के शिवसेना के ऐलान के बाद पार्टी कैडर भी बीजेपी का साथ देने के मूड में नहीं है. इसके बाद साफ दिख रहा है कि अगर मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं आया, तो शिवसेना-बीजेपी के बीच दरार और चौड़ी होगी. इसका सीधा फायदा महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को मिलना तय है.
विधान परिषद चुनाव के लिए 21 को मतदान हुए और नतीजे 24 मई को आएंगे. बता दें कि महाराष्ट्र विधान परिषद में कुल 78 सीटें हैं. इसमें एनसीपी के 23 सदस्य हैं. इसके अलावा कांग्रेस के 19, बीजेपी के 18, शिवसेना के 9, पीआरपी और लोकभारती के 1-1 सदस्य हैं. विधान परिषद में विपक्ष का बहुमत होने से सभापति पद एनसीपी और उपसभापति पद कांग्रेस के पास है.
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