वीडियो एडिटर- मो. इरशाद आलम
महाराष्ट्र में होने जा रहा पालघर लोकसभा उपचुनाव बड़ा ही दिलचस्प साबित होने जा रहा है. इस सीट पर बीजेपी-शिवसेना 2019 से पहले एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलती दिखाई दे रही है.
वहीं कांग्रेस-एनसीपी ये साबित करने की कोशिश में हैं कि दोनों एक-दूसरे के साथ हैं. जाहिर है कि पार्टियों ने पालघर को प्रयोगशाला बना लिया है, जिसके हिसाब से वो 2019 की लड़ाई की रणनीति तैयार करेंगे.
बीजेपी-शिवसेना आमने-सामने
बीजेपी सांसद चिंतामण वनगा के अचानक निधन से पालघर लोकसभा सीट खाली हुई. शिवसेना ने चिंतामण के बेटे श्रीनिवास वनगा को अपने पाले में खींचा और टिकट दे दिया. जिससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं.
बीजेपी ने भी शिवसेना की धार कम करने के लिए स्थानीय नेता और आदिवासी वोटों पर मजबूत पकड़ रखने वाले पूर्व कांग्रेस नेता राजेंद्र गावित को टिकट दिया है. हालांकि इसके लिए पार्टी को आलोचना का सामना भी करना पड़ा.
शिवसेना की 'चाल' को मुख्यमंत्री ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा,
बीजेपी की मौजूदा सीट पर बिना कोई जानकारी दिए वनगा परिवार को शिवसेना में लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे उम्मीद है कि शिवसेना अब भी सोच-विचारकर बीजेपी के उम्मीदवार को समर्थन देगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिवसेना को हर उपचुनाव में मदद की गई, चिंतामण वनगा के निधन के बाद सीट बिना विरोध चुनी जाए, इसके लिए उन्होंने उद्धव ठाकरे से बात की थी, लेकिन शिवसेना की अचानक चली गई चाल से वे दुखी हैं.
कांग्रेस-एनसीपी ने मिलाया हाथ
कांग्रेस ने दामोदर शिंगदा को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस और एनसीपी के बीच समझौता पूरे इत्मीनान के साथ हुआ है. पालघर कांग्रेस के पास है तो भंडारा गोंदिया पर एनसीपी उम्मीदवार चुनावी ताल ठोकेगा.
इन तीनों पार्टियों के अलावा पालघर लोकसभा में अच्छी-खासी पैठ रखने वाली बहुजन विकास अघाड़ी ने भी ऐलान किया है कि वे इस चुनाव में उम्मीदवार उतरेगी.
पालघर की 6 विधानसभा सीट में से 3 विधायक बहुजन विकास अघाड़ी के हैं.
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