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महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ है. उद्धव सरकार गिर गई है. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही सरेंडर कर दिया है. बुधवार देर रात उन्होंने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) को अपना इस्तीफा सौंपा. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है. हालांकि, शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना (Saamana) के संपादकीय में इसका कोई जिक्र नहीं है. बल्कि आज का संपादकीय उद्धव कैबिनेट के आखिरी फैसलों पर है. शिवसेना ने खुद को हिंदुत्व वाली पार्टी साबित करने के लिए जो कदम उठाए हैं उसी का बखान किया है.
इससे पहले शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के जरिए विरोधियों पर लगातार हमलावर थी. सियासी संकट के दौरान एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सहित बागी विधायकों पर निशाना साधा जा रहा था. बीजेपी पर सरकार गिराने के आरोप लगाए जा रहे थे. लेकिन सरकार गिरने के बाद सामना के संपादकीय में इसका जिक्र तक नहीं है. आज न तो बागी विधायकों पर हमला बोला गया है न ही बीजेपी पर कोई आरोप लगाए गए हैं.
सरकार गिरने से पहले उद्धव ठाकरे ने बड़ा 'हिंदुत्व कार्ड' खेला है. उद्धव सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने को मंजूरी दे दी है. अब औरंगाबाद को 'संभाजी नगर' और उस्मानाबाद को 'धाराशिव' के नाम से जाना जाएगा. इसके साथ ही नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम बदलकर दिनकत बालू पाटिल कर दिया गया है. इसको लेकर सामना की संपादकीय में लिखा गया है कि,
शिवेसना ने खुद को हिन्दुत्व के मुद्दे पर अडिग बताते हुए सामना में लिखा गया है कि, "औरंगाबाद को संभाजीनगर करने को लेकर कई लोगों के पेट में दर्द हुआ फिर भी उसकी परवाह किए बगैर मुख्यमंत्री ने यह निर्णय लिया है. इसके साथ ही लिखा गया है कि,
औरंगाबाद के मुद्दे पर शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधा है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सवाल उठाते हुए संपादकीय में लिखा गया है कि, "विपक्ष ने आरोप लगाया था कि ‘ठाकरे’ सरकार औरंगाबाद का संभाजीनगर करने से डरती है. असल में फडणवीस के महाराष्ट्र सरकार में होने के दौरान उन्होंने यह पुण्य कर्म क्यों नहीं किया, इस सवाल का उत्तर उन्हें पहले देना चाहिए!"
इसके साथ ही सामना में लिखा गया है कि, "शिवसेना भी भूमिपुत्रों के न्याय, अधिकार के लिए स्थापित हुई. शिवसेना ने शिवराय के विचारों का भगवा दुनिया में फहराया है. महाराष्ट्र के स्वाभिमान को उसने नाखून भी नहीं लगने दिया. लोक भावना का आदर शिवसेना ने सदैव किया है."
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