advertisement
महाराष्ट्र में सियासी महाभारत ( Maharashtra Political Crisis) का पटाक्षेप हो गया है. फ्लोर टेस्ट से पहले उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Uddhav Thackeray Resigns) दे दिया है. महाराष्ट्र में जो हुआ है वो एक पॉलिटिकल थ्रिलर है. कल तक जो शिवसना बहुमत का दावा कर रही थी, उसने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के चंद मिनटों के अंदर ही हथियार डाल दिए.
शिवसेना इस मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट गई थी कि फ्लोर टेस्ट ना कराए जाए. उधर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागियों की अर्जी थी कि फ्लोर टेस्ट होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही फैसला सुनाया कि गुरुवार को फ्लोर टेस्ट होगा, उद्धव फेसबुक लाइव पर आए और इस्तीफे का ऐलान कर दिया.
इस तरह से महाराष्ट्र में 2019 में शुरू महाभारत का आखिरी अध्याय लिख दिया गया. 2019 के चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी, लेकिन सहयोगी शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग रख दी.
पाला बदला और एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. शिवसेना की परिपाटी बदल कर उद्धव ठाकरे अपने परिवार से पहले सीएम बने. जब से ये सरकार बनी तभी से बीजेपी खेमा उनकी कुर्सी खींचने में लगा हुआ था.
'ऑपरेशन कमल' को बिजनेस टाइकून मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक मिलने और एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामलों से धार मिली. दोनों ही मामलों की छीटें MVA सरकार तक पहुंचीं.
पहले वाले मामले में बात MVA सरकार के गृहमंत्री अनिल देशमुख की गिरफ्तारी पर रुकी. विस्फोटक मामले की अहम कड़ी पुलिस अफसर सचिन वझे ने आरोप लगाया कि देशमुख ने उन्हें 100 करोड़ उगाही का टारगेट दिया था. सुशांत की मौत के मामले में आरोप ठाकरे परिवार तक भी पहुंचा. केंद्रीय एजेंसियों ने एक के बाद एक MVA सरकार के सिपहसलारों पर एक्शन लिया. उनके परिवारों तक पर दबिश दी.
कहते हैं ना घर का भेदी लंका ढाए....शिवसेना के खास और ठाकरे परिवार के करीबी एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी. 13 विधायकों के साथ सूरत चले गए. फिर वहां से बीजेपी की सरकार वाले असम के गुवाहाटी में पहुंच गए.
दिन बीतते गए और शिंदे के साथ शिवसेना के विधायकों की संख्या बढ़ती गई. बागियों ने बहाना बनाया कि शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे भटक गई है, उद्धव मिलने तक का समय नहीं देते. शिवसेना ने डराया, उद्धव ने इमोशन दिखाया लेकिन बात नहीं बनी.
पिछले दो साल में जितनी बार भी उद्धव सरकार पर संकट आया, मराठा क्षत्रप शरद पवार संकट मोचक बनकर खड़े हुए लेकिन इस बार ऐसा लगा कि उन्होंने भी हथियार डाल दिए. शिंदे की बगावत के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने कह दिया कि ये शिवसेना का आंतरिक मामला है, NCP विपक्ष में बैठने को तैयार है.
अगर ये सच है तो उद्धव की सरकार ही नहीं गई, पार्टी भी निपट गई है. क्योंकि उनके कुल 53 विधायक ही हैं. आरोप है कि इस सियासी ड्रामे की पटकथा बीजेपी ने लिखी है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि महाराष्ट्र का गद्दी किसको मिलेगी. देवेंद्र या शिंदे? चंद घंटों का इंतजार है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 29 Jun 2022,11:10 PM IST